पैरिस/अंकारा – तुर्की अपनी आक्रामक गतिविधियों ने इस क्षेत्र का तनाव चरम स्तर पर पहुंचा रहा है, यह आरोप फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने रखा| तुर्की की इस आक्रामकता को जवाब देने के लिए राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने ग्रीस और सायप्रस के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करने का ऐलान किया है| साथ ही फ्रान्स ने ग्रीस की सहायता करने अपने युद्धपोत भी भेजे है| क्रेटे बंदरगाह की सीमा में इस युद्धाभ्यास का आयोजन हो रहा है| पर, युद्धपोत भेजकर फ्रान्स भूमध्य समुद्र में बने तनाव के लिए कारण बन रहा है, ऐसा जवाबी आरोप तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने किया|
ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने दो दिन पहले फ्रान्स की यात्रा करके राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन से भेंट की| इस दौरान फ्रान्स और ग्रीस के बीच सहयोग बढाने के लिए समझौता हुआ| साथ ही भूमध्य क्षेत्र की गतिविधियों पर भी इस दौरान बातचीत हुई| इस बातचीत के बाद फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने ग्रीस की सहायता के लिए अपने युद्धपोत भेजने का ऐलान किया| फ्रान्स की ‘डिक्सम्यूड’ विध्वंसक इस युद्धाभ्यास का हिस्सा होगी| यह युद्धाभ्यास समुद्री एवं क्रेटे बंदरगाह की तटीय क्षेत्र में आयोजित होगा|
‘ग्रीस के साथ सामरिक सहयोग बढाने के लिए इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया है और इस क्षेत्र के अन्य देश भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बनें’, यह निवेदन राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने किया है| इसके अलावा तुर्की ने लीबिया के साथ भूमध्य समुद्र के क्षेत्रों से संबंधित किया समझौता और लीबिया के संघर्ष में हो रहे तुर्की के हस्तक्षेप के विषय पर राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने आलोचना की है| ‘ग्रीस और सायप्रस की सार्वभूम अधिकारों का फ्रान्स समर्थन करता है और इसे चुनौती दे रहे तुर्की का फ्रान्स निषेध कर रहाहै| ऐसे में तुर्की और लीबिया ने किए समझौते से फ्रान्स सहमत नही है’, यह बयान भी मैक्रॉन ने किया|
ग्रीस के प्रधानमंत्री मित्सोताकिस ने भी फ्रान्स के सहयोग का स्वागत किया| युद्धपोतों की यह तैनाती ग्रीस की सुरक्षा की हमी देनेवाली साबित होगी, यह दावा प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोताकिस ने किया| अगले कुछ ही घंटों में फ्रान्स, ग्रीस और सायप्रस के इस युद्धाभ्यास की शुरूआत होगी| भूमध्य समुद्र में क्रेटे बंदरगाह के दक्षिणी हिस्से में इस युद्धाभ्यास का आयोजन हो रहा है| फिलहाल ग्रीस और अमरिकी युद्धपोत ‘अलेक्झांडर द ग्रेट – २०२०’ युद्धाभ्यास में शामिल हुए है|
इसी बिच कुछ घंटें पहले ‘लीबिया’ के मुद्दे पर फ्रान्स और तुर्की के बीच बने मतभेद तीव्र हुए थे| तुर्की के जहाजों से सीरियन कान्ट्रैक्ट सैनिक लीबिया पहुंच रहे है, यह आरोप फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने रखा था| मैक्रॉन के इन आरोपों पर प्रत्युत्तर देते समय तुर्की ने लीबिया की समस्या के लिए फ्रान्स ही जिम्मेदार होने की आलोचना की थी| तभी इससे पहले सीरिया के कुर्दों के विषय पर दो देशों में चरम स्तर का तनाव बनने की बात सामनी आ चुकी थी|
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