‘कोरोना टीके’ का सिक्रेट चुराने के लिए रशिया तथा ईरान के ब्रिटन पर सायबरहमलें – ब्रिटन के अख़बार का दावा

‘कोरोना टीके’ का सिक्रेट चुराने के लिए रशिया तथा ईरान के ब्रिटन पर सायबरहमलें  – ब्रिटन के अख़बार का दावा

लंडन कोरोना संक्रमण के विरोध में टीका खोजने के लिए दुनिया के कोने कोने में संशोधन शुरू है कि तभी इस संदर्भ की जानकारी की चोरी करने के कारनामें शुरू हुए हैं। ब्रिटन की विभिन्न यंत्रणाएँ और विद्यापीठों में कोरोना के टीके पर संशोधन जारी हैं और उसे हथियाने के लिए रशिया तथा ईरान ने सायबरहमलें किये होने की खलबलीजनक जानकारी सामने आयी है। ब्रिटन केनॅशनल सायबर सिक्युरिटी सेंटरऔरजीसीएचक्यूने इन हमलों के ख़बर की पुष्टि की होने का समाचार ब्रिटिश अख़बार ने दिया है।

दुनियाभर में कोरोनावायरस की महामारी ने हाहाकार मचाया होकर, संक्रमण को रोकने के लिए सभी देश जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं। अमरीका, ब्रिटन, इस्रायल, जर्मनी के साथ ही कई देशों में कोरोनावायरस को रोकने के लिए टीका तथा दवाई विकसित करने के प्रयास चालू हैं। ब्रिटन के अग्रसर विद्यापीठ के रूप में जानी जानेवालीऑक्सफर्ड युनिव्हर्सिटीने एक टीका विकसित करके उसका टेस्टिंग शुरू किया होने की जानकारी भी हाल ही में सामने आयी थी।

इस पृष्ठभूमि पर, ब्रिटिश विद्यापीठ और संशोधनसंस्थाओं पर हुए सायबरहमलें लक्षणीय साबित होते हैं।डेली मेलइस अग्रसर ब्रिटिश दैनिक ने इस संदर्भ में ख़बर जारी की है। रशिया तथा ईरान के हॅकर्स ने ब्रिटीश शिक्षणसंस्थाओं के साथ साथ संशोधक तथा डॉक्टरों पर भी सायबरहमलें किये हैं, ऐसा ख़बर में कहा गया है। केवल कोरोना के टेस्टिंग के संदर्भ में जानकारी चुराने की कोशिश की गयी, ऐसाडेली मेलने कहा है।

ब्रिटन केनॅशनल सायबर सिक्युरिटी सेंटरने तथा प्रमुख गुप्तचर यंत्रणाजीसीएचक्यूने सायबरहमले कीख़बर की पुष्टि की है। उसी समय, ऐसे हमलें निंदनीय होने की आलोचना भी की है। लेकिन रशिया तथा ईरानी हॅकर्स गोपनीय जानकारी चुरा नहीं सके, ऐसा वरिष्ठ ब्रिटीश अधिकारी द्वारा बताया गया।

सायबरहमलों की इस घटना के बाद ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ने एक विशेष पथक स्थापन किया होकर, उसपरनॅशनल हेल्थ सर्व्हिसके पूरे कॉम्प्युटर नेटवर्क की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है। उसी समय ब्रिटन कीडिफेन्स कमिटीके प्रमुख टोबिस एलवूड ने, ऐसे सायबरहमलों का ब्रिटन उसी भाषा में मुँहतोड़ जवाब देगा, ऐसी चेतावनी भी दी है।

ब्रिटन में हुए सायबर हमलों से पहले अमरीका में भी कोरोना के संशोधन का समावेश होनेवाले कॉम्प्युटर नेटवर्क्स को लक्ष्य किया गया था। उसके बाद अमरिकी गुप्तचर यंत्रणा ने देश की सभी वैद्यकीय संशोधनसंस्थाओं को सायबरहमलों के ख़तरों के संदर्भ में दक्षता का इशारा भी दिया था। यह इशारा देते समय, सायबरहमलों के पीछे चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत का भी संबंध हो सकता है, इसपर ग़ौर फ़रमाया था।

गत कुछ वर्षों में अमरीका एवं युरोपीय देशों पर बड़े पैमाने पर सायबरहमलें हो रहे होकर, ये हमलें यानी युद्ध का ही हिस्सा होने का एहसास विभिन्न अभ्यासगुटों तथा विशेषज्ञों द्वारा कराया जा रहा है। वहीं, कोरोनावायरस का संक्रमण यह जैविक युद्ध होने के भी दावे किये जा रहे हैं।

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