मनिला – “ ‘साउथ चायना सी’ क्षेत्र की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, फिलिपीन्स अमरीका के साथ चल रहे लष्करी सहयोग से पीछे नहीं हट सकता। फिलिपीन्स को अमरिकी सेना की आवश्यकता है। राष्ट्राध्यक्ष रॉड्रिगो दुअर्ते ने ही अमरीका के इस सेनातैनाती की माँग की है’, ऐसी घोषणा फिलिपीन्स के विदेश मंत्रालय ने की। फिलिपीन्स की भूमिका में आया यह बदलाव चीन के लिए झटका साबित हो रहा है।
सन १९८८ में अमरीका और फिलिपीन्स में हुए ‘व्हिजिटिंग फॉर्सेस ॲग्रीमेंट’ (व्हीएफए) के अनुसार, अमरीका के लड़ाक़ू विमान और युद्धपोतों को फिलिपीन्स में मुक्त प्रवेश प्रदान किया गया था। लेकिन इस वर्ष के फ़रवरी महीने में फिलिपीन्स के राष्ट्राध्यक्ष रॉड्रिगो दुअर्ते ने अमरीका के साथ हुए इस समझौते से बाहर निकलने का फ़ैसला किया था। साथ ही, अमरिकी लष्कर अगले १८० दिन में फिलीपाईन्स छोड़कर जायें, ऐसी सूचना भी फिलिपीन्स के राष्ट्राध्यक्ष ने की थी। इस फ़ैसले के कारण अगस्त महीने के अन्त तक अमरीका को इस देश में तैनात अपनी सेना को यहाँ से हटाना ज़रूरी था।
लेकिन अब राष्ट्राध्यक्ष दुअर्ते ने अपना निर्णय पीछे ले लिया है, ऐसी जानकारी फिलिपीन्स के विदेशमंत्री थिओडोर लोकोसीन जूनियर ने दी। विदेशमंत्री लोकोसीन ने राष्ट्राध्यक्ष दुअर्ते का निर्णय फिलिपीन्सस्थित अमरीका के दूतावास को बताया है। साऊथ चायना क्षेत्र की राजनीतिक और अन्य गतिविधियों का दाखिला देकर, अमरिकी सेना की फिलिपीन्स को ज़रूरत है ऐसा विदेशमंत्री लोकोसीन मे कहा। अगले छ: महीनों तक अमरीका फिलिपीन्स में से किसी भी प्रकार की वापसी ना करें, ऐसा आवाहन विदेशमंत्री लोकोसीन ने अमरीका से किया है। इस कारण, फ़रवरी २०२१ तक यानी अमरीका में नयी सरकार के शपथग्रहण समारोह तक फिलिपीन्स में अमरीका की यह तैनाती बरक़रार रहनेवाली है।
इसी बीच, ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में चीन की आक्रमक हरक़तें और कोरोनावायरस की पृष्ठभूमि पर फिलिपीन्स ने अमरीका से सेनातैनाती कायम रखने का आवाहन किया होने का दावा किया जाता है। फिलिपीन्स की सागरी सीमा पर चीन ने दावा बताया है। पिछले कुछ दिनों में इस क्षेत्र में चीन के गतिविधियाँ बढ़ीं हैं। इस पृष्ठभूमि पर, फिलिपीन्स की भूमिका में यह बदलाव आया दिखायी दे रहा है।
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