मॉस्को – रशिया के अस्तित्व के लिए ख़तरा साबित होनेवाले किसी भी हमले का जवाब इसके आगे परमाणु हमले से मिलेगा, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतीन ने दी। पिछले हफ़्ते रशिया में हुई एक बैठक में पुतीन ने रशिया की नयी परमाणु अस्त्रविषयक नीति को मान्यता दी। अमरीका परमाणु अस्त्रों के अलावा अन्य प्रगत शस्त्रों की सहायता से रशिया पर हमला करके उसका नुकसान कर सकेगी, ऐसी चिंता रशिया ने तैयार की नयी नीति में व्यक्त की गयी है। इन गतिविधियों से, अमरिका तथा चीन के साथ रशिया ने भी परमाणु-अस्त्र सिद्धता को गति दी होने के दावों की पुष्टि हो रही है।
रशिया की ‘न्यूक्लिअर डिटरंट पॉलिसी’ में पहली ही बार, परमाणुअस्त्रों के अलावा अन्य किसी भी पारंपरिक तरीक़े से किये हमले का जवाब परमाणुअस्त्रों से देने का उल्लेख किया गया है। अमरीका द्वारा अलग अलग तंत्रज्ञानों पर आधारित प्रगत शस्त्र विकसित किये जा रहे हैं, जो रशिया के प्रमुख लष्करी अड्डों को नष्ट कर सकते हैं, इस संभावना को मद्देनज़र रखकर नयी नीति का गठन किया गया है।
रशिया अथवा उसके सहयोगी देश पर परमाणुअस्त्र हमला अथवा सर्वसंहारक शस्त्रों की सहायता से हमला होने पर और शत्रु देश ने पारंपरिक शस्त्रों की सहायता से हमला करके रशिया का अस्तित्व ही ख़तरे में लाने पर; रशिया ऐसे हमलों का प्रत्युत्तर परमाणु हमले से देगा, ऐसा स्पष्ट उल्लेख नयी नीति में किया गया है। उसी समय, रशिया अथवा उसके मित्रदेश पर बॅलिस्टिक क्षेपणास्त्रों की सहायता से हमला होनेवाला है ऐसी पुख़्ता जानकारी मिलने पर रशिया उसका प्रत्युत्तर परमाणु हमले से देगा, ऐसा भी इस नीति में नमूद किया गया है। रशियन सरकार के लिए संवेदनशील दृष्टि से बहुत ही अहम रहनेवाले स्थानों तथा लष्करी अड्डों पर होनेवाले हमले का भी नयी नीति में समावेश किया गया है।
रशिया की यह नयी नीति, अमरीका द्वारा पिछले कुछ सालों में रक्षासिद्धता के लिए शुरू होनेवालीं आक्रमक गतिविधियों का परिणाम है, ऐसा बताया जाता है। अमरीका ने रशिया की सीमा के क़रीब तैनात कीं ‘मिसाईल डिफेन्स सिस्टिम्स’, लगातार बढ़ती जा रही लष्करी तैनाती, और ‘स्पेस बेस्ड वेपन्स’ ये रशिया के लिए बड़े ख़तरे होने का उल्लेख नीति में है।
पिछले महीने में ही, अमरीका नये परमाणु परीक्षण के तैयारी कर रही होने की ख़बर प्रकाशित हुई थी। यह तैयारी रशिया और चीन के बढ़तीं हुईं परमाणु क्षमताओं को प्रत्युत्तर देने के लिए है, ऐसे संकेत दिये गए थे। वहीं, चीन सरकार अमरीका को मात देने के लिए कम से कम एक हज़ार परमाणु हथियारों से सुसज्जित रहें, ऐसी माँग की गयी होने की बात भी सामने आयी थी। इस पृष्ठभूमि पर रशिया द्वारा नयी परमाणु नीति घोषित की जाना ग़ौरतलब साबित होता है।
पिछले दो सालों में रशिया द्वारा लगातार प्रगत परमाणु हथियार तथा क्षेपणास्त्रों की आधुनिक संस्करणों का परीक्षण किया जा रहा है। पिछले साल, अमरीका के साथ हुए ‘आयएनएफ’ इस क्षेपणास्त्र समझौते का भंग होने के बाद ये परीक्षण अधिक ही तेज़ी से किये जा रहे हैं। रशिया फिलहाल तेज़ रफ़्तार के और क्षेपणास्त्रभेदी यंत्रणाओं को आसानी से चकमा दे सकनेवाले ‘हायपरसोनिक’ क्षेपणास्त्रों का विकास एवं निर्माण पर विशेष ज़ोर दे रहा होकर, राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन ने भी इसके बारे में बार बार यक़ीन दिलाया है। कुछ महीने पहले ही रशिया ने हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र रक्षादल में तैनात किए होने की भी घोषणा की थी।
प्रगत और हायपरसोनिक क्षेपणास्त्रों से लैस होते हुए भी, रशिया ने नयी परमाणु नीति घोषित करके परमाणु अस्त्र बढ़ाने के संकेत दिये हैं, जिसके कारण आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हथियारों की होड़ (आर्म्स रेस) अधिक ही भड़कने की संभावना है।
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