टोकियो – चीन द्वारा भारतीय सीमा से नज़दीक जारी हरक़तों की पृष्ठभूमि पर, दुनिया के अन्य देशों ने चीन के विरोध में अपनी रक्षासिद्धता बढ़ाने की लिए गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। जापान ने अपने रक्षाअड्डों पर ‘पॅट्रिऑट मिसाईल डिफेन्स’ यंत्रणा तैनात करने की शुरुआत की होकर, इस महीने के अन्त तक यह तैनाती पूरी होगी, ऐसी जानकारी सूत्रों द्वारा दी गयी। कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर चीन ने गत कुछ महीनों में जापान से सटे अपने सीमाक्षेत्र में भी अपनीं हरकतें बढ़ायीं होकर, ‘पॅट्रिऑट मिसाईल’ यंत्रणा की तैनाती यह उसे प्रत्युत्तर देने की कोशिशों का भाग दिख रही है।
पिछले महीने चीन ने अपना ‘लिओनिंग’ यह विमानवाहक युद्धपोत तथा ‘स्ट्राईक ग्रुप’ जापान से सटे ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में गश्ती के लिए भेजा था। उससे पहले चीन के कुछ लड़ाक़ू विमानों में जापान की हवाई सीमा में घुसपैंठ की कोशिशें कीं होने की ख़बर भी सामने आयी थी। जापानस्थित अमरिकी रक्षाअड्डे के प्रमुख ने भी चीन की बढ़ीं हुईं हरक़तों पर ग़ौर फ़रमाया था। इस सारी पृष्ठभूमि पर जापान ने क्षेपणास्त्र तैनाती के लिए शुरू कीं गतिविधियाँ अहम साबित होतीं हैं।
जापान ने अपने चार रक्षाअड्डों पर ‘पॅट्रिऑट पीएसी-३ एमएसई एअर डिफेन्स मिसाईल सिस्टिम’ तैनात करने की प्रक्रिया शुरू की है। इस महीने के अन्त तक यह तैनाती पूरी होगी, ऐसा बताया जाता है। क्षेपणास्त्रों के साथ ही, लष्करी टुकड़ियों की तैनाती भी बढ़ायी जा रही होने की जानकारी सूत्रों ने दी है।
चीन से बढ़ते ख़तरे की पृष्ठभूमि पर, जापान ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी रक्षासिद्धता बढ़ाने के लिए आक्रमक कदम उठाये हैं। उसके अनुसार, जापान ने अपनी रक्षा नीति बदली होकर, रक्षाखर्चे में भी भारी मात्रा में बढ़ोतरी की है। नये लड़ाक़ू विमान, क्षेपणास्त्र यंत्रणा, विनाशिका, सबमरिन्स इनकी ख़रीद के साथ ही विमानवाहक युद्धपोत विकसित करने के संकेत भी जापान से दिये गए हैं।
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