अमरीका ‘रेड लाईन’ पार ना करें – चीन की चेतावनी

अमरीका ‘रेड लाईन’ पार ना करें – चीन की चेतावनी

बीजिंग – अमरीका का हाँगकाँग, तैवान और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर हो रहा हस्तक्षेप, यह चीन के लिए ‘रेड लाईन’ है और इसे पार करने पर अमरीका के साथ किया व्यापारी समझौता रद करेंगे, ऐसी चेतावनी चीन ने दी है। चीन के वरिष्ठ नेता और अधिकारियों ने, पिछले कुछ दिनों में अमरीका के साथ हुई बैठकों के दौरान व्यापारी समझौते के मुद्दे पर धमकी दी है, ऐसी ख़बरें अमरिकी माध्यमों ने प्रकाशित की हैं। चीन ने हालाँकि अभी इसपर अधिकृत बयान नहीं किया है, लेकिन, अमरीका के हस्तक्षेप के विरोध में प्रत्युत्तर देने के संदर्भ में लगातार बयानबाज़ी की है।

अमरीका के ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ इस अख़बार ने इस चेतावनी की ख़बर प्रकाशित की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता यांग जिएची एवं चीन के उप-प्रधानमंत्री लिउ हे, इन्होंने व्यापारी समझौते के मुद्दे से संबंधित चेतावनी अमरिकी नेतृत्व तक पहुँचाई है, ऐसा इस ख़बर में कहा गया है। जिएची ने अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ के साथ हुई बैठक के दौरान यह मुद्दा उपस्थित किया है, ऐसा भी कहा गया। यांग जिएची ने हाँगकाँग एवं उइगरवंशियों के मुद्दे पर लगाए प्रतिबंधों पर नाराज़गी व्यक्त करके, अमरीका ने ‘रेड लाईन्स’ का उल्लंघन किया, तो व्यापारी समझौता ख़त्म होगा, ऐसा जताया है।

चीन के उप-प्रधानमंत्री लिउ हे ने पिछले हफ़्ते में हुई एक बैठक के दौरान भी व्यापारी समझौते का ज़िक्र करके अमरीका को चेतावनी दी थी, यह दावा भी संबधित ख़बर में किया गया है। अमरीका ने अन्य संवेदनशील मुद्दों पर चीन पर बनाया दबाव कम किया, तो ही चीन को व्यापारी समझौते पर अमल करना संभव होगा, यह इशारा भी लिउ हे ने दिया था। लिउ हे ने अमरीका-चीन व्यापारी समझौते में अहम ज़िम्मेदारी निभाई है और इसी कारण उनका बयान ग़ौरतलब साबित होता है।

अमरीका और चीन के बीच इस वर्ष के जनवरी महीने में, प्राथमिक द्विपक्षीय व्यापारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। ‘फेज़ वन ट्रेड डील’ के तौर पर जाने जा रहे इस समझौते के तहत, चीन ने अमरीका से करीबन २०० अरब डॉलर्स का सामान खरीदने की तैयारी दिखाई थी। इसके बदले में अमरीका ने, चीन पर लगाए कुछ व्यापारी प्रतिबंध और कर कम करने की बात स्वीकारी थी। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के विरोध में शुरू किए हुए व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह समझौता अहम समझा जाता है। इस समझौते की वज़ह से व्यापार युद्ध फ़िलहाल स्थगित होने का दावा किया जा रहा है।

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने यह समझौता यानी बड़ी राजनीतिक जीत होने का दावा किया था। लेकिन, कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर दोनों देशों के बीच बने समीकरण तेज़ी से बदलना शुरू हुआ है। चीन के साथ किया समझौता अहम होने का दावा कर रहें राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, पिछले महीने से दो बार चीन के साथ बनें व्यापारी संबंध पूरी तरह से तोड़ने की धमकी दी है। यह धमकी देते समय ही, अमरीका को ५०० अरब डॉलर्स का लाभ होगा, ऐसीं फटकार भी उन्होंने लगाई थी।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प व्यापारी संबंध तोड़ने की धमकी दे रहे हैं कि तभी चीन ने व्यापारी समझौता ख़त्म करने के बारे में चेतावनी देना चौकानेवाला साबित हुआ है। कोरोना की महामारी एवं हाँगकाँग को लेकर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने किए निर्णय पर अमरीका के सियासी दायरे में कड़ी प्रतिक्रियाएँ दर्ज़ हुईं हैं। पिछले कुछ दिनों में अमरीका ने चीन पर लगातार बढ़ाया दबाव इन्हीं प्रतिक्रियाओं का हिस्सा हैं। अमरीका में इस वर्ष के अन्त में चुनाव होने हैं और दोनों सियासी दलों ने, चीन के विरोध में आक्रामकता बरकरार रखने के स्पष्ट संकेत दिए हैं।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के शुरू से ही चीन को तीव्र विरोध जताया था। चीन के विरोध में शुरू किया हुआ व्यापारयुद्ध, तैवान को रक्षा सहायता प्रदान करने का निर्णय, साउथ चायना सी के मुद्दे पर अपनाई आक्रामक भूमिका ऐसें मुद्दों के ज़रिये ट्रम्प प्रशासन ने चीन के संदर्भ में अपनी नीति स्पष्ट की थी। खास तौर पर तैवान के मुद्दे पर अपनाई सकारात्मक नीति, यह ‘वन चायना पॉलिसी’ का स्पष्ट उल्लंघन होने के बावजूद राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इसपर अभी भी अड़िग हैं। तैवान की सीमा में घुसपैठ की कोशिश करते रहना और ख़ोख़लीं धमकियाँ देना, इसके अलावा चीन की हुकूमत इस मुद्दे पर अमरीका का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकी हैं, ऐसा पिछले वर्ष से दिखाई दे रहा है।

हाँगकाँग में पिछले वर्ष चीन के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान भी, चीन की हुकूमत ने अमरीका के विरोध में कई आरोप रखें थे एवं अमरीका को धमकाया भी था। लेकिन, फिर भी उन प्रदर्शनों के मुद्दे पर चीन को ही पीछे हटना पड़ा था। उइगरवंशियों के मुद्दे पर भी चीन को आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अवमान का सामना करना पड़ा था। साउथ चायना सी एवं हुवेई के मुद्दों पर भी, चीन के विरोध में आंतर्राष्ट्रीय मोरचा तैयार करने में अमरीका को कामयाबी प्राप्त हुई दिखाई दे रही है।

यह सारी पृष्ठभूमि यही दिखा रही है कि चीन के लिए संवेदनशील होनेवाले मुद्दों के साथ, अन्य मुद्दों पर भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को घेरने में अमरीका को कामयाबी प्राप्त हुई है। इसी के साथ अमरीका जैसीं महासत्ता को चुनौती देने के लिए, चीन की हुकूमत ने शुरू कीं ‘बेल्ट ॲण्ड रोड’ जैसी परियोजना भी पूरी तरह से नाकाम हुई हैं। ऐसी स्थिति में, व्यापारी समझौते ख़त्म करने को लेकर चीन ने दी चेतावनी को, ट्रम्प और अमरिकी प्रशासन किस हद तक अहमियत देंगे, इस पर आशंका व्यक्त की जा रही हैं।

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