तेहरान – दो दिन पहले ईरान के नातांझ परमाणु केंद्र में संदिग्ध तरीके से भड़की आग के लिए इस्रायल ज़िम्मेदार होने का आरोप किया जा रहा है। इस आग की घटना की वज़ह से ईरान का परमाणु कार्यक्रम कम से कम दो महीने पिछड़ गया है, ऐसा दावा किया जा रहा है। वहीं, पिछले हफ़्ते में ईरान के मिसाइल अड्डे के क़रिबी इलाक़े में हुए भीषण विस्फोट के पीछे भी इस्रायल का हाथ होने की बात खाड़ी क्षेत्र के एक नामांकित अख़बार ने प्रकाशित की है। महज़ हफ़्ते भर में हुई इन दो घटनाओं की वजह से ईरान काफ़ी गुस्सा हुआ है और इन हमलों के लिए इस्रायल ज़िम्मेदार होने की बात यदि साबित हुई, तो इस्रायल को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, यह धमकी भी ईरान ने दी है। इसी बीच, इस्रायल ने हमेशा की तरह, माध्यमों में हो रहें आरोपों पर प्रतिक्रिया देना टाल दिया है।
गुरुवार सुबह ईरान के नातांझ स्थित भूमिगत परमाणु केंद्र में संदिग्ध तरीके से विस्फोट होने से आग लगी। इस हादसे में, इस परमाणु केंद्र की ईमारत के छत का नुकसान होने की जानकारी ईरानी अधिकारियों ने साझा की थी। लेकिन, ईरान के सरकारी चैनल ने जारी किए फोटो और वीडियो देखने पर, इस दुर्घटना में इस परमाणु केंद्र का भारी मात्रा में नुकसान होने की बात सामने आयी है। परमाणु केंद्र की ईमारत का प्रमुख दरवाज़ा इस घटना में तहस नहस होने की बात स्पष्ट हुई हैं। इसके बाद यह घटना केवल दुर्घटना नहीं, बल्कि हमला था, यह आरोप खाड़ी क्षेत्र के एक अख़बार ने किया है। इस्रायल ने सायबर हमले के माध्यम से नातांझ परमाणु केंद्र को लक्ष्य किया है, ऐसा आरोप भी संबंधित अख़बार ने सूत्रों के हवाले से किया है। इसके लिए, दस वर्ष पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हुए ‘स्टक्सनेट’ के हमले की मिसाल भी इस अख़बार ने दी है।
सन २०१० में ईरान के नातांझ और बुशहेर इन दो परमाणु केंद्रों पर ‘स्टक्सनेट’ वायरस के हमले हुए थे। इन हमलों में ईरान के परमाणु केंद्र के ६० प्रतिशत कम्प्युटर्स और संबधित यंत्रणाएँ पूरी तरह से ठप हुईं थीं। इस सायबर हमले की वजह से कुछ हज़ार ‘सेंट्रीफ्युजेस’ नाकाम होने से ईरान का परमाणु कार्यक्रम छः वर्ष तक पिछड़ गया था। अपने परमाणु केंद्र पर हुए इस सायबर हमले के लिए इस्रायल की गुप्तचर यंत्रणा मोसाद और अमरीका ज़िम्मेदार होने का आरोप ईरान ने किया था। अब भी ‘स्टक्सनेट’ की तरह ही नातांझ परमाणु केंद्र पर सायबर हमले होने की बात खाड़ी के अख़बार ने कही है। ईरान ने इस हमले के व्याप्ति अभी सार्वजनिक नहीं की है। लेकिन कम से कम दो महीनों के लिए ईरान का परमाणु कार्यक्रम प्रभावित होने की बात इस अख़बार ने कही है।
ईरान ने पिछले कुछ महीनों से नातांझ परमाणु केंद्र में सेंट्रीफ्युजेस के प्रगत संस्करण पर काम शुरू किया था। अमरीका परमाणु समझौते से पीछे हटने के बाद और अमरीका ने प्रतिबंध थोपने के बाद, ईरान ने अपने परमाणु केंद्र में सेंट्रीफ्युजेस की संख्या बढ़ाने पर ज़ोर दिया है। नातांझ परमाणु केंद्र में आवश्यक सेंट्रीफ्युजेस् का बड़ी मात्रा में निर्माण हो रहा है और इसी कारण यहाँ पर हुए सायबर हमले से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर बड़ा प्रहार होने का दावा किया जा रहा है। इस सायबर हमले से ईरान का परमाणु कार्यक्रम और कुछ वर्षों के लिए पिछड़ गया होगा, ऐसी संभावना भी जताई जा रही है। नातांझ परमाणु केंद्र पर हुए हमले के साथ ही, पिछले हफ़्ते में पारचीन के मिसाइल अड्डे के करीबी इलाके में हुए विस्फ़ोट के पीछे भी इस्रायल ही होगा, यह आरोप इस अख़बार ने किया है।
राजधानी तेहरान से नज़दिकी क्षेत्र में स्थित पारचीन शहर में बनें ईरानी सेना के सबसे अहम मिसाइल अड्डे के करीबी इलाके में भीषण विस्फ़ोट हुआ था। ईरान की सेना ने शुरू में यह घटना गैस टैंक का विस्फोट होने का ऐलान किया था। लेकिन, इस विस्फोट के फोटो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध होने के बाद, ईरान की सेना अहम जानकारी छिपाने में जुटी होने की चर्चा शुरू हुई थी। उसी में, अब खाड़ी क्षेत्र के अख़बार ने सूत्रों के हवाले से प्रदान की हुई जानकारी के अनुसार, पिछले हफ़्ते में इस्रायल के ‘एफ स्टेल्थ’ विमानों ने पारचीन अड्डे पर रखें मिसाइलों के भंड़ार पर हमला किया था। इस हमले में ईरान के बैलेस्टिक मिसाइलों का बड़ा भंड़ार नष्ट होने का दावा किया जा रहा है। ईरान की सेना के लिए यह घटना यानी सबसे बड़ा झटका होने की बात भी इस अख़बार ने कही है।
गेल्या आठवडाभरात घडलेल्या घटनांमागील कारण लवकरच जाहीर करण्यात येईल, अशी माहिती इराणने दिली आहे. अणुप्रकल्पावरील हल्ल्यामागे इस्रायल असल्याचे उघड झाले, तर त्यासाठी इस्रायला गंभीर परिणामांना सामोरे जावे लागेल, असे इराणच्या वरिष्ठ लष्करी अधिकाऱ्याने बजावली आहे. दरम्यान, इस्रायलने या सर्व प्रकरणांबाबत प्रतिक्रिया देण्याचे टाळले आहे.
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