लंडन – हाँगकाँग, हुवेई और कोरोना की महामारी के मुद्दों को लेकर ब्रिटन और चीन के बीच के राजनीतिक संबंध बिगड़े होकर, उसपर से सबक सिखाने के लिए चीन, ९/११ के आतंकी हमले की तरह ब्रिटन पर भयंकर सायबरहमलें करेगा, ऐसी चेतावनी ब्रिटिश मंत्री और अधिकारियों ने दी है। हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन को आड़े हाथ लेनेवाले ब्रिटन ने कोरोना महामारी की स्वतंत्र तहकिक़ात शुरू करने की बात सामने आयी है। उसी समय, ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन जल्द ही चीन की हुवेई कंपनी पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय घोषित करने की संभावना है। इस पृष्ठभूमि पर यह चेतावनी सामने आयी होकर, पिछले महीनेभर में चीन ने उसकी हरक़तों को प्रत्युत्तर देनेवाले ऑस्ट्रेलिया और भारत के ख़िलाफ़ बड़े सायबरहमलें किये होने की ख़बरें आयीं थीं।
‘अमरीका पर किये गए ९/११ के भयंकर आतंकी हमले की तरह ही, चीन भी ब्रिटन के ख़िलाफ़ भयानक सायबरहमला करा सकता है। इस ‘सायबर ९/११’ के कारण ब्रिटन की संपर्क यंत्रणा तथा कॉम्प्युटर नेटवर्क पूरी तरह ठप पड़ जायेगा और सरकारी कामकाज, उद्योग क्षेत्र तथा स्वास्थ्ययंत्रणा ढ़ह जायेंगे’, ऐसी गंभीर चेतावनी ब्रिटिश मंत्री तथा वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने दी। ब्रिटन में हाल ही में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान, चीन से रहनेवाले ख़तरों के बारे में चर्चा हुई, जिसमें यह चेतावनी सामने आयी, ऐसा बताया जाता है।
ब्रिटन के एक वरिष्ठ मंत्री ने, चीन से होनेवाले सायबरहमले के ख़तरे पर चर्चा हुई होने की बात स्वीकार की है। ‘चीन की हुवेई कंपनी यह बड़ी समस्या है और उसपर निर्णय न लेना ब्रिटन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है। इस निर्णय के कारण ब्रिटन को गंभीर परिणामों का मुक़ाबला करना पड़ सकता है और उसकी संभावना नकारकर नहीं चलेगा। ख़तरा सभी क्षेत्रों में होगा’, ऐसा डर वरिष्ठ ब्रिटिश मंत्री ने व्यक्त किया। ब्रिटन की लेबर पार्टी के संसद सदस्य और शॅडो मिनिस्टर कॉनर मॅकगिन ने भी सायबरहमले की संभावना व्यक्त की होकर, शत्रु देश से ऐसा हमला हो सकता है और सरकार उसे प्रत्युत्तर देने की तैयारी रखें, ऐसा जताया है।
ब्रिटिश संसद की ‘डिफेन्स सिलेक्ट कमिटी’ के प्रमुख टोबिअस एलवूड ने ब्रिटन को होनेवाले चीन के बढ़ते ख़तरे की पुष्टि की। ‘शीतयुद्ध के दौर में सोव्हिएत रशिया से जितना ख़तरा था, उससे कई गुना अधिक ख़तरा फिलहाल चीन से है। रशियन संघराज्य की तुलना में वर्तमान चीन प्रचंड अमीर है। रशियन नेता स्टॅलिन तथा ख्रुश्चेव्ह सोच भी नहीं सके होंगे, ऐसी दीर्घकालीन नीति चीन की हुक़ूमत ने बनाई होकर, वह रशिया की अपेक्षा ज़्यादा कपटी है। चीन की हुक़ूमत ने जिस भयानक तरीक़े से कोरोना महामारी का वास्तव छिपाने की कोशिश की, उसके बाद उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता’, इन शब्दों में एलवूड ने चीन के ख़तरे पर ग़ौर फ़रमाया।
चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने कोरोना महामारी का ग़लत तरीके से हैंडलिंग किया होने के मुद्दे पर ब्रिटिश सरकार ने चीन को आड़े हाथ लिया था। ब्रिटन ने इस महामारी की स्वतंत्र जाँच शुरू की होकर, इस मामले में ब्रिटीश यंत्रणाएँ अमरीका के संपर्क में हैं, ऐसा बताया जाता है। उसी समय, हाँगकाँग में चीन ने सुरक्षा क़ानून थोंपने के बाद ब्रिटन ने अत्यंत आक्रमक भूमिका अपनाई होकर, २५ लाख से अधिक हाँगकाँगवासियों को ब्रिटिश नागरिकता प्रदान करने का निर्णय किया है। इस हफ़्ते में ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन चीन की हुवेई कंपनी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करेंगे, ऐसा बताया जाता है।
ब्रिटन ने चीन के विरोध में अपनाई इस आक्रमक भूमिका से चीन की हुक़ूमत ग़ुस्सा हुई है। चीन के राजदूत तथा प्रवक्ता ने ब्रिटन पर उपनिवेशवादी और शीतयुद्धकालीन मानसिकता के आरोप किये होकर, तीव्र परिणामों की धमकी दी है। पिछले कुछ महीनों में चीन की हरक़तों का मुँहतोड़ जवाब देनेवाले ऑस्ट्रेलिया तथा भारत के विरोध में चीन ने बड़े सायबरहमलें किये थे। इन सायबरहमलों के ख़िलाफ़ आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी तीव्र प्रतिक्रिया उठी थी।
ब्रिटन पर सायबरहमलों का डर जताया जा रहा है कि तभी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरीस जॉन्सन के साथ चर्चा की है, यह बात सामने आ रही है।
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