टोकियो – जापान की समुद्री सीमा में हो रही चीन की घुसपैठ रोकने के लिए अमरीका पूर्णरूप से जापान की सहायता करेगा, यह वादा जापान में स्थित यूएस फोर्सेस के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल केविन श्नायडर ने किया है। बीते वर्ष से चीन के जहाज़ एवं विमानों की ईस्ट चायना सी के क्षेत्र में बड़ी मात्रा में घुसपैठ हो रही है। चीन की जारी ऐसी हरकतें देखें तो इनकी तीव्रता आनेवाले दिनों में अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका ने तेज़ गतिविधियां शुरू कर दी हैं, और जनरल श्नायडर का बयान इस बात की पुष्टि है।
कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनी विस्तारवादी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए जोरदार कोशिशें शुरू कर दी हैं। इसके लिए चीन ने विभिन्न हिस्सों में सेना की तैनाती बढ़ाने के साथ-साथ विवादित इलाकों में घुसपैठ करने की कोशिशें भी जारी कर दी हैं। जापान के नज़दीक ‘ईस्ट चायना सी’ क्षेत्र में चीन लगातार अपने युद्धपोत, लड़ाकू विमान, पनडुब्बियां एवं गश्तीपोतों के ज़रिये घुसपैठ कर रहा है। पिछले महीने जापान के ‘ओशिमा आयलैंड’ के निकट चीन की पनडुब्बी की मौजूदगी देखी गई थी।
जापानी यंत्रणाओं द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार चीन की गश्तीपोतें पिछले तीन महीनों से लगातार जापान के ‘ईस्ट चायना सी’ की सीमा में घुसपैठ कर रही हैं। इससे पहले चीन के युद्धपोत घुसपैठ करने के कुछ घंटे बाद लौट जाते थे। लेकिन, अब चीन इस क्षेत्र में अपने घुसपैठी युद्धपोतों की मौजुदगी के समय में जानबूझकर बढ़ोतरी करता हुआ दिखाई दे रहा है। मार्च 2019 से 2020 इस एक वर्ष में चीन के लड़ाकू एवं गश्ती विमानों ने 900 से भी अधिक बार जापान की सीमा में घुसपैठ की कोशिशें की थीं, यह जानकारी जापानी सेना ने साझा की। इस बढ़ रही घुसपैठ के पीछे ईस्ट चायना सी के साथ ही सेंकाकू द्विपों पर अपना दावा अधिक मज़बूत करने की चीन की योजना का मत जापानी विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं।
ऐसें में, अमरिकी कमांडर ने दावा किया है कि, आनेवाले कुछ समय में चीन की घुसपैठ की मात्रा में बढ़ोतरी होगी। चीन की यंत्रणा ने अगस्त महीने तक अपने मछुआरों के जहाज़ों पर प्रतिबंध लगाए थे। यह प्रतिबंध हटने के बाद चीन के मछुआरों के जहाज़, तटरक्षक बल एवं नौसेना के जहाज़ों के साथ फ़िर से ईस्ट चायना सी के सेंकाकू द्विपों की सीमा से टकराने लगेंगे, इस ओर अमरिकी जनरल श्नायडर ने ध्यान आकर्षित किया। सेंकाकू द्विपों के इलाके में किसी भी तरह की स्थिति निर्माण होने पर जापान को संपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए अमरीका 100% तैयार है, यह विश्वास अमरिकी लष्करी अधिकारी ने दिलाया। अमरिका की जापान के प्रति यह वचनबद्धता वर्ष के 365 दिन, सप्ताह के सात दिन और दिन के 24 घंटे कायम रहेगी, यह बयान भी लेफ्टनंट जनरल केविन श्नायडर ने किया है।
अमरीका के छोटे-बड़े 80 से अधिक लष्करी ठिकाने जापान में कार्यरत हैं। इन अड्डों पर अमरिकी विमान वाहक युद्धपोतों के अलावा कई लड़ाकू विमान और 54 हज़ार से भी अधिक सैनिक तैनात हैं। अमरीका और जापान में हुए समझौते के अनुसार जापान की सुरक्षा के लिए किसी भी तरह का खतरा निर्माण हुआ तो उसे प्रत्युत्तर देने का अधिकार अमरीका को रहेगा। इस पृष्ठभूमि के मद्देनज़र चीन की बढ़ती हरकतों के बाद अमरिकी अधिकारी ने जापान की सुरक्षा को लेकर किया गया वादा अहमियत रखता है।
अमरिकी अधिकारी का यह बयान सामने आ रहा था तब जापान और अमरीका के बीच लड़ाकू विमानों के आधुनिकीकरण के लिए आवश्यक समझौते होने की बात सामने आई हैए। अमरीका की बोर्इंग और जापान की मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रिज् कंपनी के बीच यह समझौता हुआ। इसके अनुसार जापान की वायुसेना के बेड़े में शामिल ‘एफ-15 जे इंटरसेप्टर’ पर नई रड़ार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर प्रणाली एवं प्रगत मिसाइल्स तैनात किए जाएंगे। जापान की वायुसेना में 200 ‘एफ-15’ लड़ाकू विमानों का बेड़ा कार्यरत है और इनमें से 100 विमानों का आधुनिकीकरण किया जाएगा, यह जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। चीन की हरकतों को प्रत्युत्तर देने के लिए जापान ने पहले ही अमरीका के साथ 140 से अधिक ‘एफ-35’ लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौता किया हुआ है।
इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:
https://twitter.com/WW3Info | |
https://www.facebook.com/WW3Info |