स्ट्रासबर्ग/अंकारा – तुर्की ने भूमध्य समुद्री क्षेत्र के सायप्रस के करीब शुरू की हुई हरकतें, नियमों का उल्लंघन करनेवालीं हैं और इसके लिए तुर्की पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएँ, ऐसा प्रस्ताव युरोपिय संसद ने पारित किया है। इस दौरान, तुर्की की आक्रामक और वर्चस्ववादी गतिविधियों की वजह से युरोप-तुर्की संबंध नीचतम स्तर पर जा पहुँचे हैं, यह चेतावनी भी संसद में दी गयी। अगले महीने में युरोपिय महासंघ ने तुर्की के मुद्दे पर बैठक आयोजित की है। इस बैठक में प्रतिबंधों का स्वरूप तय करके इसपर अंतिम निर्णय होगा। इस पृष्ठभूमि पर, युरोपिय संसद ने बहुमत के साथ इन प्रतिबंधों को दी हुई मंज़ुरी, युरोपिय देशों में तुर्की के खिलाफ बने असंतोष की पुष्टि कर रही है।
तुर्की ने पिछले कुछ वर्षों में, अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए विस्तारवादी गतिविधियाँ शुरू की हैं। मध्य एशिया, खाड़ी, अफ्रिका समेत युरोप में भी तुर्की की दखलअंदाज़ी शुरू है। तुर्की की इन गतिविधियों की ओर युरोप ने आजतक विशेष गंभीरता से नहीं देखा था। लेकिन अब तुर्की ने, युरोपिय महासंघ का हिस्सा होनेवाले ग्रीस और सायप्रस जैसें देशों को धमकाना शुरू किया है। इसपर युरोप से तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है और युरोपिय संसद ने इन प्रतिबंधों को मंज़ुरी प्रदान करना उसी का हिस्सा हैं। गुरूवार के दिन यूरोपिय संसद में, तुर्की के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव ६३१ बनाम ३ वोट से पारित किया गया।
भूमध्य समुद्री क्षेत्र मे ग्रीस एवं सायप्रस इन दोनों देशों के खिलाफ तुर्की की गतिविधियाँ शुरू हैं। कुछ दिन पहले तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने, सायप्रस में ‘नो मैन्स लैण्ड’ का हिस्सा होनेवाले विवादित ‘वरोशा रिसॉर्ट’ क्षेत्र की यात्रा की थी। यह यात्रा, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन होने का आरोप युरोप ने किया है। सायप्रस के मुद्दे पर चर्चा के माध्यम से ही हल निकल सकता है और तुर्की की जारी आक्रामक गतिविधियाँ बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह चेतावनी भी युरोपिय संसद ने दी है।
तुर्की के खिलाफ प्रतिबंध पारित करनेवाली युरोपिय संसद ने इस दौरान, अन्य मुद्दों पर भी स्पष्ट नाराज़गी व्यक्त की। तुर्की युरोपिय मूल्यों से दूर जा रहा है, यह आरोप रखकर युरोप-तुर्की के संबंध नीचतम स्तर पर जा पहुँचे हैं, यह आरोप भी युरोपिय संसद ने रखा। भूमध्य समुद्री क्षेत्र में, तुर्की द्वारा जारी एकतरफा एवं अवैध लष्करी गतिविधियाँ, ग्रीस और सायप्रस इन युरोपिय सदस्य देशों की संप्रभुता के लिए खतरनाक हैं, इस बात का स्पष्ट एहसास संसद ने कराया है। इसके साथ ही, तुर्की ने ‘नागोर्नो-कैराबख’ के युद्ध में अज़रबैजान को खुलेआम प्रदान की हुई सहायता और लीबिया एवं सीरिया में जारी तुर्की की हरकतों को भी युरोपिय संसद ने लक्ष्य किया।
दो महीनें पहले युरोपिय संसद में हुए ‘स्टेट ऑफ इयू स्पीच’ में ही, युरोपिय महासंघ की प्रमुख उर्सुला व्हॉन डेर लेयन ने तुर्की को स्पष्ट शब्दों में फटकार लगाई थी। ग्रीस और सायप्रस की क़ानूनी संप्रभुता के अधिकारों के लिए युरोप ड़टकर खड़ा रहेगा, ऐसा लेयन ने जताया था। लेकिन, युरोप ने अपनाई इस पुख्ता भूमिका के बावजूद तुर्की ने अपनी हरकतें जारी रखी हैं, यह बात बीते कुछ दिनों की गतिविधियों से स्पष्ट हो रही है। इसी वजह से, अब युरोप ने भी तुर्की के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने की तैयारी जुटाना शुरू किया है और तुर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए संसद में प्राप्त हुई मंज़ुरी इसमें एक अहम चरण है।
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