लंदन/मॉस्को – नाटो और रशिया के बीच के संबंध नीचतम स्तर पर जा चुके होकर, किसी अपघात अथवा ग़लतफ़हमी में से दोनों के बीच युद्ध भड़क सकता है, ऐसी चेतावनी युरोपीय अभ्यासगुट ने दी है। एक पत्र के द्वारा यह आवाहन करते समय, दोनों पक्षों में सुरक्षा की दृष्टि से इससे पहले हुए समझौते कालबाह्य हो चुके हैं, ऐसा दावा भी किया गया। फिलहाल दोनों पक्ष युद्ध नहीं चाहते, इसलिए पारदर्शिता का पालन करते हुए चर्चा का मार्ग कायम रखना यही महत्त्वपूर्ण उपाय साबित होता है, ऐसा मशवरा भी इस अभ्यासगुट ने दिया है।
कुछ ही दिन पहले नाटो ने अपनी रिपोर्ट में, रशिया यह अभी भी बड़ा ख़तरा होने की बात स्पष्ट की थी। इस ख़तरे को रोकने के लिए लष्करी तैनाती तथा सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग पर ज़ोर देने की आवश्यकता भी व्यक्त की गयी थी। उससे पहले रशिया के वरिष्ठ नेताओं ने, नाटो फिलहाल ‘रशिया से होनेवाला ख़तरा’ इस एक ही सूत्र पर अपना अस्तित्व बनाये है, ऐसी आलोचना की थी। उसी समय, नाटो सदस्य देश रशिया की सीमा से नज़दीक जो गतिविधियाँ कर रहे हैं, उनपर बारिक़ी से नज़र रखी जा रही है, ऐसी चेतावनी भी दी थी। पिछले कुछ महीनों में नाटो और रशिया के लड़ाक़ू विमान तथा युद्धपोत इनकी, एक-दूसरे की सीमाओं के नज़दीक गतिविधियाँ बढ़ीं हैं, यह बात भी सामने आयी है।
इस पृष्ठभूमि पर, ‘युरोपियन लीडरशिप नेटवर्क’ इस अभ्यासगुट ने यह आवाहन किया है कि दोनों पक्ष आपस में संवाद बढ़ायें। ‘नाटो और रशिया के बीच के संबंध हमेशा ही पेचींदा और बेचैन करनेवाले रहे हैं। शीतयुद्धपश्चात् के दौर को मद्देनज़र रखें, तो फिलहाल दोनों पक्षों के बीच के संबंध पूरी तरह बिगड़ गये हैं। पिछले ३० सालों में, दोनो पक्षों को सुरक्षित रखनेवाले समझौते भी कालबाह्य हुए हैं। इस कारण, कोई अपघात अथवा ग़लतफ़हमी से दोनों पक्षों में युद्ध भड़क सकता है’, ऐसी चेतावनी इस अभ्यासगुट ने दी।
दोनों पक्षों में तनाव क्यों निर्माण हुआ, इसके कारणों को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल दोनों पक्ष युद्ध नहीं चाहते, इस बात पर ‘युरोपियन लीडरशिप नेटवर्क’ ने ग़ौर फ़रमाया। इस कारण दोनों पक्ष युद्ध टालने पर ज़ोर दें, ऐसा आवाहन किया गया है। अमरीका, रशिया और युरोपिय देश इस बात को गंभीरतापूर्वक ले लें, ऐसा भी अभ्यासगुट ने जताया। गत चार महीनों से अमरीका, रशिया तथा युरोपिय देशों के पूर्व लष्करी एवं राजनैतिक अधिकारी और सुरक्षाविषयक विशेषज्ञ संघर्ष टालने की विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा कर रहे होने की जानकारी भी इस पत्र में दी गयी है।
दोनों पक्षों में कभी भी युद्ध भड़क उठने की संभावना दिख रही होने के कारण, उसे चर्चा द्वारा टालने की कोशिशें शुरू हैं, ऐसा ‘युरोपियन लीडरशिप नेटवर्क’ द्वारा बताया गया। संवाद और चर्चा के अधिक से अधिक मार्ग खुले रखना और एकदूसरे की लष्करी गतिविधियों के बारे में पारदर्शिता रखना, इन जैसे उपायों के ज़रिये रशिया और नाटो के बीच का तनाव कम हो सकता है, ऐसा दावा अभ्यासगुट का भाग होनेवाले पूर्व अधिकारियों ने किया है। इस अभ्यासगुट में रशिया, ब्रिटन, जर्मनी, इटली इन देशों के पूर्व विदेश एवं रक्षमंत्रियों समेत लगभग १४५ राजनीतिक अधिकारी तथा विशेषज्ञों का समावेश है। इस कारण इस अभ्यासगुट ने दी चेतावनी और संबंधित बातें ग़ौरतलब साबित हो रहीं हैं।
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