किव्ह – राजधानी कीव पर पूजा करने जा रही रशियन सेना को अपनी सेना ने रोक रखा होने का दावा यूक्रेन ने किया है। वहीं, युक्रेन के मारिओपोल शहर पर रशिया के हमले अधिक ही तीव्र हुए हैं। हवाई हमले, तोपों की मार इनसे युक्रेन के शहर तहस-नहस हुए होकर, युक्रेन के 35 लाख नागरिक मौत के डर से अन्य देशों में भाग गए हैं।
पिछले 24 घंटों में युक्रेनी सेना के 137 ठिकानों पर करारे हमले करके ये ठिकान नष्ट किए गए होने की जानकारी रशियन सेना ने दी। वहीं, रशिया वॅग्नर मर्सिनरिज् यानी कॉन्ट्रैक्ट सैनिकों को भेजकर उनका इस्तेमाल युक्रेन के विरोध में कर रहा है, ऐसे आरोप युक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने किए हैं। ये कॉन्ट्रैक्ट सैनिक युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की को ख़त्म करने की मुहिम पर हैं, ऐसा दावा भी युक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने किया।
ऐसे आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है कि तभी रशिया ने कीव तथा खारकिव्ह इन युक्रेन के शहरों पर ज़बरदस्त हमले किए। इस कारण युक्रेन से बाहर निकलकर दूसरे देशों में आश्रय लेनेवाले शरणार्थियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती चली जा रही है। फिलहाल यह संख्या 35 लाख पर गई है। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात समय का यह सबसे बड़ा शरणार्थियों का संकट होने का दावा संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया है। युक्रेन की हालत खराब है और इस संदर्भ में युक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने किए दावे बढ़ाचढ़ाकर किए होने की बात सामने आई है।
युक्रेन की जनता ही रशिया के विरोध में हथियार लेकर सड़कों पर उतरी होने की घोषणाएँ झेलेन्स्की ने कीं थीं। उसमें हालांकि कुछ मात्रा में सच्चाई है, फिर भी अधिकांश युक्रेनी जनता मौत के डर से अन्य देशों में आश्रय लेने के लिए भागती हुई दिखाई दे रही है। शरणार्थियों की 35 लाख पर गई हुई संख्या यही स्पष्ट कर रही है। ऐसा होने के बावजूद भी राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने युक्रेन में यह युद्ध रोकने के लिए रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के साथ ठेंठ चर्चा करने की ज़िद नहीं छोड़ी है।
उसी के साथ, अगर रशिया के साथ चर्चाएँ हुईं भी, तो उस पर युक्रेन में जनमतसंग्रह लिया जाएगा, ऐसी नई शर्त झेलेन्स्की ने रशिया के सामने रखी है। लेकिन रशिया उसे महत्त्व देने के लिए तैयार नहीं है।
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