जागतिक अर्थव्यवस्था पर १६४ ट्रिलियन डॉलर्स का कर्जा – अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निधि की चेतावनी – भारत के आर्थिक नीति की प्रशंसा

जागतिक अर्थव्यवस्था पर १६४ ट्रिलियन डॉलर्स का कर्जा – अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निधि की चेतावनी – भारत के आर्थिक नीति की प्रशंसा

वॉशिंग्टन – जागतिक अर्थव्यवस्था पर कर्जे का भार १६४ ट्रिलियन डॉलर्स तक (१६४ लाख करोड डॉलर्स) जाने का जिक्र करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निधी ने उसके लिए चीन और अमरिका जिम्मेदार होने की बात कही है। दुनिया की पहली और दुसरी अर्थव्यवस्था रहे अमरिका और चीन को फटकारने वाले मुद्रा निधी द्वारा, छटे क्रमांक की अर्थव्यवस्था होनेवाला भारत अच्छी आर्थिक नीतियों का अवलंब कर रहा है, ऐसे शब्दों में प्रशंसा की गयी है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा निधी ने बुधवार को ‘फिस्कल मॉनिटर रिपोर्ट’ प्रकाशित किया। इस रिपोर्ट में जागतिक अर्थव्यवस्था के उपर बढ रहे कर्जे के बोझ के बारे में गंभीर चेतावनी दी गयी है। साथ ही में कर्जे का भार दुसरे विश्‍वयुद्ध के बाद सबसे ज्यादा है, इस बात से भी अवगत कराया गया है। कर्जे के बढते बोझ के लिए प्रगत तथा उभरती अर्थव्यवस्थांए जिम्मेदार है, इस ओर भी मुद्रा निधी ने ध्यान खिंचा है।

मुद्रा निधि के रिपोर्ट में चीन और अमरिका इन दोनों प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की आलोचना की गयी है। पिछले दशक के कालावधी में जागतिक अर्थव्यवस्था पर बोझ काफी बढ गया है और उस में सिर्फ चीन का हिस्सा करीबन ४३ प्रतिशत है, ऐसा मुद्रा निधी ने चीन को बताया है। चीन में निजी क्षेत्र के कर्जे के आंकडे काफी बडे है। दुनिया में आये मंदी के बाद चीन के निजी कंपनियों ने करीब ७५ प्रतिशत तक ज्यादा कर्जा लिया है, ऐसी चेतावनी मुद्रा निधी ने दी है।

अमरिका में कर्जे का बोझ ‘जीडीपी’ के १०८ प्रतिशत तक गया है और यह देश आर्थिक घाटा तथा कर्जे के आंकडे कम करने के लिए कदम नही उठा रहा, ऐसी नाराजगी मुद्रा निधी ने अपने रिपोर्ट में जतायी है। अगले पॉंच सालों में अमरिका के कर्जे का बोझ जीडीपी की तुलना में ११७ प्रतिशत तक जा सकता है। यह भार आफ्रीकि अर्थव्यवस्थाओं से भी ज्यादा होगा ऐसा डर भी जताया है। पिछले दशक के कालावधी में अमरिका नें सामाजिक सुरक्षा और आरोग्य से जुडी योजनाओं पर काफी व्यय किया है। नये सरकार द्वारा कर में दी गयी कटौती कर्जे का हिस्सा और भी बढा रही है, ऐसी फटकार मुद्रा निधि ने लगायी है।

अमरिका और चीन के साथ ही मुद्रा निधी ने उभरते हुए अर्थव्यवस्थाओं को भी लक्ष्य बनाया। दुनिया की अधिकतम उभरते अर्थव्यवस्थाओं में कर्जे का हिस्सा ‘जीडीपी’ की तुलना में ७० प्रतिशत से ज्यादा है, इस बात पर मुद्रा निधी ने नाराजगी जतायी। यह देश कर्जे का बोझ और घाटा बढानेवाली आर्थिन नीतियां ना अपनाये, ऐसी सलाह भी मुद्रा निधी ने रिपोर्ट दी है।

एक तरफ दुनिया के प्रमुख देशों की आलोचना करनेवाले मुद्रा निधी ने भारत द्वारा अपनाये गये नीतियों का स्वागत किया। भारत की अर्थव्यवस्था में कर्जे का हिस्सा ७० प्रतिशत के आसपास है, लकिन वह कम करने के लिए सरकार द्वारा सही कदम उठाये गये है। सही नितियों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कर्जे का भार अगले कुछ सालों में ६० प्रतिशत तक नीचे आयेगा , ऐसा भरोसा मुद्रा निधी ने जताया है।

२०१८-१९ वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था ७.४ प्रतिशत की गती से विकास की ओर बढने में सफल होगी, ऐसे भी मुद्रा निधी द्वारा अपने रिपोर्ट में कहा गया है।

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