जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने इराक और सीरिया में आतंक मचानेवाले ‘आयएस’ के खिलाफ तृतीय विश्वयुद्ध शुरू करने का आवाहन किया है। इस तृतीय विश्वयुद्ध में दुनिया के सभी धर्मों के देश शामिल हो, ऐसी माँग किंग अब्दुल्ला ने की। अमेरिकी समाचार वाहिनी को दी मुलाक़ात में उन्होंने यह आवाहन किया।
इराक, सीरिया के बाद ‘आयएस’ने लिबिया में भी अपना शासन स्थापित करने के लिए आतंकी हमले शुरू कर दिए है। साथ ही लिबिया के जरिए यूरोप में घुसपैठ कर हमले चढ़ाने की धमकी भी ‘आयएस’ने दी है। इसी पृष्ठभुमीपर जॉर्डन के अब्दुल्ला का यह आवाहन सभी का ध्यान ख़ीचनेवाला है। ‘सीएनएन’ इस अमेरिकी समाचार वाहिनी पर दी गई मुलाक़ात में ‘आयएस’ का धोखा सिर्फ अरब-इस्लामी देशों को ही नहीं है, ऐसे अब्दुल्ला ने कहा।
‘आयएस’ के कारण सारी दुनिया की सुरक्षा को धोखा है। इसी कारण ‘आयएस’ के खिलाफ विश्वयुद्ध शुरू करने की जरूरत है, जिसमें सभी देश शामिल हो। इसमें अरब-इस्लामी देशों के साथ, ख्रिस्त और अन्य धर्मों के देश भी शामिल हो जाए, ऐसा आवाहन अब्दुल्ला ने किया। इस युद्ध में सभी धर्मों के देश शामिल हो जाए तो फिर इस आतंकी संगठन पर परमाणु बम गिराने की या फिर तोपों का इस्तेमाल करने की जरूरत भी नहीं होगी, ऐसा भी उन्होंने कहा।
पिछले महिने ही जॉर्डन के किंग ने इराक और सीरियास्थित ‘आयएस’ के ठिकानों को नष्ट करने की घोषणा की थी। जॉर्डन के लड़ाकू विमानों ने ‘आयएस’ के ठिकानों पर हमले भी चढ़ाए थे। इस कारवाई का जॉर्डन के पथति सभी स्तरों से स्वागत हुआ था, साथ ही ‘आयएस’ के विनाश की माँग हुई थी।
लेकिन छह महिने पहले जॉर्डन में यह स्थिति नहीं थी। जॉर्डन के ‘सेंटर फॉर स्ट्रॅटेजिक स्टडिज्’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में जॉर्डन के सिर्फ 62 फिसदी लोगों ने ‘आयएस’ को आतंकी संगठन करार देना उचित समझा था।
जॉर्डन की अधिकतम जनता ‘आयएस’ के खिलाफ हो रहीं कारवाई के खिलाफ थी। अब्दुल्ला ने भी सीरिया में चल रहीं कारवाई पर चिंता जताते हुए बातचीत द्वारा हल निकालने की माँग की थी।
लेकिन पिछले महिने ‘आयएस’ने जॉर्डन के बंधक वैमानिक मोआथ कसाबेह को जिंदा जला दिया। साथ ही इस हत्या की विडिओ बना कर सोशल मीडिया में पोस्ट कर दिया। इस हत्या के बाद जॉर्डन में ‘आयएस’ के खिलाफ नाराजगी की लहर छाई हुई है और इस आतंकी संगठन को खत्म करने की माँग हो रही है।
पिछले महिनेभर में जॉर्डन के विमानों ने सीरिया तथा इराक के सीमावर्ती इलाकों में ‘आयएस’ के ठिकानों पर हमले किए है। इन हमलों में ‘आयएस’ के आतंकी मारे जाने की आशंका जताई जाती है।
ऑस्ट्रेलिया ‘आयएस’ के खिलाफ 300 जवान तैनात करेगी
इराक में ‘आयएस’ के खिलाफ चल रहे संघर्ष में 300 जवान तैनात करने की घोषणा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी अॅबट ने की। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के 200 जवान इराक में तैनात हैं।
ऑस्ट्रेलियाई जवान इराकी जवानों को आतंकवाद के खिलाफ चल रही कारवाई के लिए प्रशिक्षित करेंगे, ऐसी जानकारी अॅबट ने दी। अमेरिका, ब्रिटन, जर्मनी, कॅनडा, फ्रान्स, बेल्जिअम, डेन्मार्क यह देश पिछले छह महिनों से इराक में ‘आयएस’ के ठिकानों पर हवाई हमले कर रहे हैं। वहीं इटली, नेदरलँड, न्यूझीलँड, नॉर्वे, पोर्तुगाल, स्पेन और तुर्की जैसे देश इस संघर्ष के लिए जवानों को प्रशिक्षित करने और हथियारों की सहायता देने में जुटे हुए हैं। सीरिया में सात अरब देश मिलकर कारवाई कर रहें है।
पिछले पाँच से छह महिनों से ‘आयएस’ के खिलाफ चल रहे इस संघर्ष में पश्चिमी और मित्र देशों को अधिक सफलता नहीं मिल पाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आनेवाले कुछ सालों में ‘आयएस’ पर अंतिम विजय प्राप्त होगी, ऐसा बताते हुए इस संघर्ष के जल्द खत्म न होने ने संकेत दिए थे।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)