चीन द्वारा दी गई चेतावनी के बावजूद अमेरिका ने प्रक्षेपास्त्र प्रणाली से लैस ‘युएसएस लासेन’ युद्धपोत ‘साऊथ चायना सी’ में रवाना कर दी| इससे नाराज चीन द्वारा फिर से दी गई धमकी के बाद भी ‘साऊथ चायना सी’ में अमेरिकी युद्धपोत की रतवाही और विमानों की उडाने जारी रहेंगी, ऐसी घोषणा अमेरिका के रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने की| इसी घोषणा के साथ ही अमेरिका चीन के समुद्री आक्रमकता को चुनौती देगा, ऐसा कार्टर ने स्पष्ट किया| वहीं ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में अपनी युद्धपोत भेजनेवाले अमेरिका को चीन को युद्ध के लिए तैयार है, ऐसा संदेश देना जरूरी है, ऐसी मॉंग चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने की है|
‘साऊथ चायना सी’ के सागरी तथा हवाई क्षेत्र में किसी भी देश को घुसने की इजाजत नहीं देगा, ऐसी घोषणा पिछले महीने चीन के वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने की थी| चीन की इस धमकी को ज्यादा अहमियत न देते हुए, अमेरिका ने अपनी युद्धपोत को ‘साऊथ चायना सी’ में रवाना कर दी| इस सागरी क्षेत्र के स्प्रार्टले द्विपसमुहों में चीन द्वारा निर्माण किए गए द्विप के नजदीक से अमेरिकी युद्धपोत गुजरी, ऐसा बताया जाता है| गाइडेड प्रक्षेपास्त्रों को तबाह करने की क्षमता रखनेवाली इस युद्धपोत की मौजुदगी पर चीन ने नाराजी जताई| वहीं अमेरिकी रक्षामंत्री कार्टर ने कॉंग्रेस में दी सफाई में पेंटॅगॉन की इस रणनीति का समर्थन किया|
साथ ही अमेरिकी रक्षामंत्री ने कहा कि इस सागरी क्षेत्र में अमेरिका द्वारा किया जा रही समुद्री तथा हवाई गश्ती आनेवाले दिनों में भी चलती रहेंगी| अमेरिका की सुरक्षित भविष्य के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र में समतोल बनाए रखना जरूरी है, ऐसा बताते हुए आनेवाले दिनों में अमेरिकी युद्धपोत फिर एक बार इस सागरी क्षेत्र के लिए रवाना होगी, ऐसी घोषणा भी उन्होंने की| अमेरिकी युद्धपोत और विमानों की गश्ती अन्तरराष्ट्रीय निकषों के अनुसार होगी, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया|
चीन द्वारा ‘साऊथ चायना सी’ में निर्माण किए गए अप्राकृतिक द्विपसमुहों के सीमाक्षेत्र में अमेरिकी युद्धपोत ने प्रवेश किया था, ऐसा इलजाम चीन ने लगाया है| लेकिन इस समुद्री क्षेत्र में अमेरिकी युद्धपोत की रतवाही समुद्री व्यापार के स्वतंत्रता का हिस्सा है, ऐसा दावा व्हाईट हाऊस कर रहीं है| लेकिन चीन अमेरिका की सुनने को तैयार नहीं है| इस क्षेत्र में चीन द्वारा आठ द्विपों का निर्माण किया गया है| जिनमें से एक द्विप पर चीन ने सबसे बड़ा ‘रन-वे’ बनाया है| इसी द्विप के सटीक से अमेरिकी युद्धपोत ने अपना सफर तय किया| चीन के रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान में, चीन के युद्धपोत और विमानों ने अमेरिकी युद्धपोत की जासूसी की| साथ ही इस मसले पर चीन में बसे अमेरिकी दूत को तलब किया|
प्रतिवर्ष इस सागरी क्षेत्र से अरबों डॉलर्स का समुद्री व्यापार किया जाता है| ऐसे में इस सागरी क्षेत्र की सुरक्षा अहम है और इस विषय में अमेरिका की भूमिका साफ है, ऐसा पेंटॅगॉन के प्रवक्ता कॅप्टन जेफ डेव्हिस ने स्पष्ट किया| इसलिए अमेरिकी युद्धपोत द्वारा ‘साऊथ चायना सी’ में रतवाही करना योग्य और अन्तरराष्ट्रीय नियमों की कक्षा में है, ऐसा उन्होंने कहा|
चीन के विदेश मंत्रालय ने हमारे सागरी सीमाक्षेत्र में प्रवेश करने से पहले अमेरिका दुबारा सोचे, ऐसी चेतावनी दी| साथ ही अमेरिका अपनी जिम्मेदारी जान कर बर्ताव करे, ऐसी आलोचना चीन के विदेशमंत्री ‘वँग ई’ने की| वहीं चीनि माध्यमों ने अमेरिका पर जमकर आलोचना करते हुए, अमेरिका को सैनिकी प्रत्युत्तर देने की मॉंग की| युद्धपोत रवाना कर अपनी आक्रामकता दिखानेवाले अमेरिका को जवाब देने का समय आ चुका है| अगर चीन ऐसा करता है, तो फिर हम अमेरिका से नहीं डरते और अपने हितसंबंधो की रक्षा के लिए तैयार है, ऐसी चेतावनी अमेरिका को जाएगी, ऐसा ‘ग्लोबल टाईम्स’ने प्रकाशित किया है| वहीं चीन की सेना के ‘पिपल्स लिबरेशन आर्मी डेली’ ने अमेरिका ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र में अफगानिस्तान-इराक समान अस्थिरता निर्माण करने की कोशिश में है, ऐसा आरोप किया है|
दरमियान, अमेरिका द्वारा ‘साऊथ चायना सी’ में भेजी गई युद्धपोत का ऑस्ट्रेलिया के रक्षामंत्री ‘मेरी पेन’ ने समर्थन किया| लेकिन ऑस्ट्रेलिया अमेरिका के साथ इस कारवाई में शामिल नहीं होगा, ऐसा भी उन्होंने स्पष्ट किया| इससे ‘साऊथ चायना सी’ का तनाव बढ़ गया है|
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)