स्वीडन के सेनाप्रमुख का आवाहन
‘दुनियाभर में दूसरे विश्वयुद्ध जैसे ही हालात पैदा हुए हैं। दूसरे विश्वयुद्ध में हमारा देश तटस्थ रहा था। लेकिन इस बार वैसे हालात नहीं हैं। तीसरा विश्वयुद्ध बिलकुल क़रीब आ पहुँचा होकर, स्वीडन को अपनी सुरक्षा के लिए इस युद्ध में सहभागी होना ही पड़ेगा’ ऐसी चेतावनी स्वीडन के सेनाप्रमुख ने दी है। इस युद्ध में स्वीडन की सेना का मुक़ाबला युद्धकुशल दुश्मन से होगा, इन शब्दों में सेनाप्रमुख ‘अँडर्स ब्रानस्टॉर्म’ ने स्वीडन के लष्कर तथा प्रशासकीय अधिकारियों को सचेत किया है।
अगले हफ़्ते स्वीडन की सेना का युद्ध-अभ्यास शुरू होनेवाला है। इस अभ्यास से पहले तक़रीबन २८ पन्नों का अहवाल प्रकाशित हुआ होकर, स्वीडन के लष्करी अधिकारियों को तथा सैनिकों को इस अहवाल के द्वारा स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी गयी है। साथ ही, ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने एक अख़बार को दिये हुए इन्टरव्ह्यू में भी, देश के सामने खड़ी हुईं सुरक्षाविषयक चुनौतियों पर अपने निर्भीड़ विचार प्रस्तुत किये। दूसरे विश्वयुद्ध के घमासान में भी स्वीडन तटस्थ रहा था। सारे पड़ोसी देश विश्वयुद्ध में सहभागी हो रहे होने के बावजूद भी स्वीडन को इस विश्वयुद्ध की आँच सहनी नहीं पड़ी थी, इसकी याद ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने दिला दी। मग़र इस बार के हालात भिन्न हैं, ऐसा ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने आगे कहा।
युरोप और दुनिया के सामने ‘आयएस’ जैसे ख़तरनाक आतंकवादी संगठनों की चुनौती खडी है। उसी में, युक्रेन के मुद्दे को लेकर रशिया और पश्चिमी देश एक-दूसरे के विरोध में खड़े हैं। यह परिस्थिति सन १९३० जैसी ही होकर, तीसरा विश्वयुद्ध बिलकुल क़रीब आ चुका है, ऐसा दावा ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने किया। युरोपीय देशों में दाख़िल हो रहे निर्वासितों के कारण अंतर्गत सुरक्षा की समस्या गंभीर बनी होने के संकेत ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने दिये होकर; उसके लिए देश ने अपनायी नीति ही ज़िम्मेदार है, ऐसा ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने कहा है। लेकिन इन नीतियों का ज़िक्र करते समय, देश के राजनीतिक नेतृत्व की आलोचना करना ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने टाला हुआ दिखायी दे रहा है।
इस सारे हालातों के कारण स्वीडन की सुरक्षा के सामने संकट खड़ा होनेवाला है। आनेवाले समय में स्वीडन को युद्धकुशल दुश्मन का मुक़ाबला करना पड़ेगा। इसीलिए अपने देश की रक्षा करने के लिए तत्परता और कुशलता को बढ़ाना अनिवार्य बन गया होने का संदेश ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने अपने लष्कर को तथा प्रशासकीय अधिकारियों को भी दिया है। आनेवाले समय में लष्कर को भयानक परिस्थिति का सामना करने के लिए सुसज्जित रहना अनिवार्य है, ऐसा दावा भी ‘जनरल ब्रानस्टॉर्म’ ने किया है।
पिछले २०० साल में एक भी युद्ध न लड़े हुए स्वीडन जैसे देश के सेनाप्रमुख ने किये हुए इस दावे की ओर ध्यान आकर्षित कर कुछ अख़बारों ने, युरोप के हालात भयावह स्थिति से भी परे निकल गये होने का निष्कर्ष दर्ज़ किया है। उसी समय, निर्वासितों के झूँड़ों की आड़ में ‘आयएस’ के आतंकवादी युरोपीय देशों में घुस रहे होते हुए, स्वीडन जैसे देश के लष्करप्रमुख ने ज़ाहिर की इस जागरूकता की ओर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है, ऐसा दावा कुछ अख़बारों ने किया है।
स्वीडन करेगा ८० हज़ार निर्वासितों का देशनिकाला
स्वीडन के अंतर्गत सुरक्षामंत्री अँडर्स येगमन ने, हमारे देश में प्रविष्ट हुए तक़रीबन ८० हज़ार निर्वासितों को देश से बाहर निकाला जायेगा, ऐसी घोषणा की। इन घुसपैठियों को ‘निर्वासित’ नहीं कहा जा सकता, इसलिए यह कार्रवाई की जायेगी, ऐसी जानकारी येगमन ने दी। साथ ही, इन निर्वासितों को देश से बाहर निकालने के लिए स्वतंत्र हवाई जहाज़ों का प्रबन्ध किया जायेगा, ऐसा भी येगमन ने कहा है।
‘आयएस’ के ख़ौफ़ से जान बचाने के लिए सिरिया एवं इराक से विस्थापित हुए लोगों का युरोपीय देशों में स्वागत करने की माँग की जाने लगी थी। लेकिन युरोपीय देशों में दाखिल होनेवाले इन निर्वासितों में इराक, सिरिया तथा ‘आयएस’ के आतंकवाद से पीड़ित देशों की अपेक्षा, अन्य देशों के निर्वासित ही अधिक प्रमाण में आ रहे होने की बात सामने आ रही है।
इसलिए निर्वासितों को होनेवाला विरोध अधिक ही कड़ा हो चुका दिखायी दे रहा होकर, आर्थिक कारणों के लिए युरोपीय देशों में घुसनेवालों का स्वीकार क्यों किया जाये, ऐसा सवाल स्थानीय जनता द्वारा पूछा जा रहा है। ऐसे हालातों में स्वीडन ने, जिन्हें निर्वासित नहीं कहा जा सकता ऐसे तक़रीबन ६० से ८० हज़ार के ऊपर घुसपैठी हमारे देश में घुसे हैं, ऐसा कहा है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)