मॉस्को: रशिया में पूरे हुए चुनाव में व्लादिमिर पुतिन को बहुत बड़ी सफलता मिली है और अब वह चौथी बार रशिया के राष्ट्राध्यक्ष बने हैं| ७६.६७ प्रतिशत वोट प्राप्त करके पुतिन ने यह जबरदस्त सफलता प्राप्त की है| अपनी सरकार ने किए कार्यों को रशिया की जनता ने दिया हुआ यह प्रतिसाद है, ऐसा कहकर उन्हें प्राप्त हुए भारी वोट ने सब कुछ स्पष्ट कर दिया है, ऐसा पुतिन ने कहा है| दौरान, इस चुनाव में कई घोटाले और भ्रष्टाचार होने के आरोप शुरू हुए हैं| साथ ही चुनाव निष्पक्ष नहीं था, ऐसा भी दावा किया जा रहा है| लेकिन रशियन यंत्रणाओं इन आरोपों को ख़ारिज किया है|
राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के साथ छः उम्मीदवार इस चुनाव में खड़े थे| लेकिन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को चुनौती देने वाला एक भी प्रतिस्पर्धी इस चुनाव में नहीं है, ऐसा दावा राजनीतिक निरीक्षकों की ओर से किया जा रहा था| साथ ही पुतिन के खिलाफ खड़े छः उम्मीदवारों में से कुछ लोगों को तो सत्तारूढ़ पार्टी ने ही खड़ा किया था, ऐसा आरोप भी कुछ लोगों ने लगाया था| इस वजह से पुतिन की जीत सुनिश्चित थी| लेकिन उन्हें मिले भारी वोटों के माध्यम से बहुत कुछ स्पष्ट होगा, ऐसा निरीक्षकों का कहना है|
पुतिन को इस चुनाव में ७६.६७ प्रतिशत वोट मिले हैं और दूसरे नंबर के उम्मीदवार को सिर्फ १२ प्रतिशत वोट मिले हैं| इस वजह से पुतिन को विकल्प नहीं है, यह इस चुनाव में सामने आया है| लेकिन यह चुनाव निष्पक्ष नहीं था और इसमें कई घोटाले और भ्रष्टाचार होने की टीका ‘गोलोस’ इस चुनाव पर नजर रखने वाले एक समूह ने की है| चुनाव शुरू होने से पहले मतपेटियों में पहले से ही मतपत्रिका रखे जाने की बात स्पष्ट हुई है| कुछ मतदान केन्द्रों पर निरीक्षकों को मिलने के लिए पाबन्दी लगाई गई थी| कुछ मतदान केन्द्रों पर जबरदस्ती से मत देने के लिए मजबूर किए जाने का आरोप भी इस समूह ने लगाया है|
मतदान केन्द्रों पर लगाए गए सीसीटीवी और वेब कैमरों के सामने गुब्बारे और अन्य रुकावटें डाली गईं थी| इस वजह से चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए थे, इस पर रशियन सरकार ने बहुत बड़ा प्रभाव डाला था, ऐसा दावा ‘गोलोस’ ने किया है| लेकिन रशिया के चुनाव आयोग ने यह सभी आरोपों को ख़ारिज किये है| रशिया का यह चुनाव बहुत ही अच्छे तरीके से पूरा हुआ हैं और कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, ऐसा कहकर चुनाव आयोग की अध्यक्षा एला पैम्पिलोआ ने समाधान व्यक्त किया है|
दौरान, पिछले कुछ महीनों से अमरिका और यूरोपीय देशों को भी अपनी आक्रामकता से अस्वस्थ करने वाले पुतिन को मिली इस सफलता पर यूरोपीय देशों ने सतर्क प्रतिक्रिया दी है| पुतिन के नेतृत्व के नीचे रशिया के साथ के जर्मनी के संबंध कठिन स्थिति में रहेंगे, ऐसा जर्मनी के विदेश मंत्री हायको मास ने कहा है| साथ ही वर्तमान के घटनाक्रमों को देखा जाए तो रशिया के चुनाव के परिणाम अपेक्षित ही थे, ऐसा सूचक वक्तव्य मास ने किया है| उसी समय युक्रेन से तोड़कर रशिया ने अपने भूभाग को जोड़े क्रिमिआ के चुनाव हमें मान्य नहीं हैं, ऐसा जर्मनी के विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया है|
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)