अंकारा: “आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन’ (आईओसी) के सदस्य वाले ५७ इस्लामी देशों के संयुक्त लष्कर की संख्या ५२ लाख से अधिक होगी और इसका बजट १७५ अरब डॉलर्स से भी अधिक होगा। इसलिए यह इस्लामी देश एक ही समय पर इस्रायल पर विविध ठिकानों से हमले करे”, ऐसा आवाहन तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के मुखपत्र के तौर पहचाने जाने वाले तुर्की के दैनिक ने किया है। इस्लामी देशों के इस सामर्थ्य के सामने इस्रायल का टिक पाना संभव नहीं है, ऐसा तर्क भी इस दैनिक ने लगाया है। पिछले कुछ दिनों से राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन और उनकी सरकार सीरिया की लष्करी मुहीम के साथ साथ यूरोपीय देशों को धमकियां दे रही है। उसी समय एर्दोगन इस्रायल के खिलाफ इस्लामी देशों को एकजुट होने का आवाहन दे रहे हैं। इस वजह से उनके मुखपत्र में प्रसिद्ध हुए इस लेख का महत्व बढ़ गया है।
अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने जेरुसलेम को इस्रायल की राजधानी घोषित करने के बाद उसपर दुनियाभर से विशेष रूपसे इस्लामिक देशों से तीव्र प्रतिक्रिया आई थी। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने सभी इस्लामिक देशों को इस्रायल के खिलाफ एक होने का आवाहन किया था। इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने सीरिया के आफ्रिन और अन्य शहरों पर हमले किए थे। आफ्रिन के बाद मनजिब और उसके बाद इदलिब शहरों में तुर्की का लष्कर घुसेगा, ऐसा दावा एर्दोगन किया था। उसी समय तुर्की के अन्य कुछ नेता ग्रीस पर हमला करने की भाषा बोल रहे हैं। स्वयं एर्दोगन ने ही एक जगह बोलते समय अपनी देश की सीमाओं का विस्तार ऑटोमन साम्राज्य इतना करने की घोषणा की थी। साथ ही तुर्की की जनता तीसरे विश्वयुद्ध के लिए तैयार रहे, ऐसा संदेश भी एर्दोगन ने दिया था।
इस पृष्ठभूमि पर कुछ हफ़्तों पहले तुर्की के एक अख़बार में ‘इस्रायल के खिलाफ इस्लामी देशों का संयुक्त लष्कर तैयार हुआ तो क्या होगा?’ ऐसे प्रश्नार्थक शीर्षक का लेख प्रसिद्ध हुआ था। यह दैनिक राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन और उनकी राजनीतिक पार्टी का मुखपत्र है, ऐसा माना जाता है। इस वजह से इस दैनिक में प्रसिद्ध हुए सदर लेख का महत्व अधिक बढ़ गया है। ‘आईओसी’ के ५७ सदस्य देशों के संयुक्त लष्कर की संख्या ५२ लाख से भी अधिक है और उनका कुल बजट १७५ अरब से भी अधिक होगा, ऐसा इस दैनिक का कहना है।
इस्रायल के खिलाफ युद्ध में शुरुआती समय में एक ही समय पर २५ लाख जवान शामिल होंगे। उसी समय जमीन, आकाश और समुद्री रास्ते से इस्रायल पर भीषण हमले किए जा सकते हैं। इसके लिए ५०० टैंक और लष्करी गाड़ियाँ, १०० लड़ाकू विमान और ५०० हमला करने वाले हेलिकॉप्टर्स और ५० जंगी जहाज एक ही समय पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं, इसका एहसास एर्दोगन के मुखपत्र ने कराके दिया है। एर्दोगन ने पहले किए इस्रायल के खिलाफ तीखे विधानों का संदर्भ देकर सदर दैनिक ने किए दावे को पश्चिमी देशों के अख़बारों ने प्रसिद्धि दी है।
अमरिका की तरफ से इस्रायल की सुरक्षा के लिए ७०.५ करोड़ डॉलर्स
तेल अविव: अमरिका ने इस्रायल की सुरक्षा के लिए अधिक प्रावधान करके लगभग ७० करोड़ ५० लाख डॉलर्स का निधि मंजूर किया है, ऐसी घोषणा करके इस्रायली रक्षामंत्री एविग्दोर लिबरमन ने इसका स्वागत किया है।
पहले की तुलना में अमरिका ने इस्रायल की सहायता को लगभग १४ करोड़ डॉलर्स ने बढाया है, ऐसा कहकर इसके लिए दिल से अमरिका का आभार माना है। इसीके साथ ही इस्रायल की सुरक्षा के लिए अमरिका ने अब तक ६.५ अरब डॉलर्स का निवेश किया है ऐसा कहकर, इसके इस्रायली रक्षामंत्री ने अमरिका को धन्यवाद दिया है।
आयर्न डोम, डेव्हिड स्लिंग और ‘एरो ३’ इस हवाई सुरक्षा के लिए विकसित की गई यंत्रणा के लिए अमरिका ने लगभग ७०.५ करोड़ डॉलर्स का यह निधि मंजूर किया है। अमरिकी संसद ने इसे मंजूरी दी है, जिससे पडौसी देशों के खतरों से इस्रायल की रक्षा होगी, ऐसा दावा लिबरमन ने किया है।
अमरिका ने किया हुआ यह प्रावधान इस्रायल की सुरक्षा के सामने की बढती चुनौतियाँ को ध्यान में रखकर किया है, इस बात की पुष्टि हो रही है। खाड़ी देशों में इस्रायल के खिलाफ प्रचंड गुस्सा है और किसी भी समय इस द्वेष का रूपांतरण प्रत्यक्ष संघर्ष में हो सकता है, ऐसा इशारा जानकार दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर अमरिका ने इस्रायल के बारे में लुया हुआ यह निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)