वॉशिंग्टन/मॉस्को: रशियन अधिकारियों को खदेड़ने वाली देशों की संख्या अब २५ हुई है। इससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को रशिया के प्रति की निराशा और अपेक्षा भंग व्यक्त होने का दावा ब्रिटन के विदेश मंत्री बोरिस जॉन्सन ने किया है। रशिया की तरफ से पर अपेक्षित प्रतिक्रिया आई है और अपने राजनीतिक अधिकारियों की खदेड़ के पीछे अमरिका का दबाव होने की टीका रशियन विदेश मंत्री ने की है। दुनिया भर में कुछ ही देश वास्तव रूप में स्वतंत्र हैं, यही इससे साबित हुआ है, ऐसा रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लाव्हरोव्ह ने कहा है।
ब्रिटन के सॅलिसबरी इलाके में ४ मार्च को रशिया के भूतपूर्व जासूस सर्जेई स्क्रिपल और उनकी बेटी युलिआ पर ‘नर्व्ह एजंट’ के माध्यम से विषप्रयोग किए जाने की बात सामने आई थी। इस हमले के पीछे रशिया का ही हाथ होने का आरोप करके ब्रिटन ने कठोर कार्रवाई का इशारा दिया था। १४ मार्च को ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने देश के २३ रशियन राजनीतिक अधिकारियों को खदेड़ने की घोषणा की थी। उसके बाद अमरिका और यूरोपीय महासंघ ने मजबूती से ब्रिटन के पीछे खड़े रहने का निर्णय लिया था।
यूरोपीय महासंघ ने ब्रिटन के साथ हुई बैठक के बाद रशिया में स्थित अपने राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया था। उसके बाद अमरिका ने भी ब्रिटन में घटी घटना के पीछे रशिया का हाथ है, इसे मान्य करके ब्रिटन को समर्थन देने के लिए रशिया के खिलाफ कार्रवाई का निर्णय लिया था। अमरिका के साथ साथ यूरोपीय देशों ने भी कठोर कार्रवाई की घोषणा करनी चाहिए, ऐसी आग्रही भूमिका अमरिकी नेतृत्व ने ली थी।
इस पृष्ठभूमि पर सोमवार को रशिया के खिलाफ हुई कार्रवाई दुनिया के राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा निर्णय साबित हुआ है। ब्रिटन के साथ साथ अमरिका और यूरोपीय देशों के साथ साथ कुल २५ देशों ने अब तक रशिया के राजनीतिक अधिकारियों की खदेड़ करने की घोषणा की है और लगभग १४० रशियन राजनीतिक अधिकारियों को वापस भेजा जाने वाला है।
इन देशों में फ़्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, झेक रिपब्लिक, लिथुआनिया, डेन्मार्क, नेदरलैंड, इटली, स्पेन, इस्टोनिया, क्रोएशिया, फ़िनलैंड, हंगेरी, लाटविया, रोमानिया, स्वीडन, अल्बेनिया, नॉर्वे, मॅसिडोनिया, आयरलैंड इन २१ यूरोपीय देशों का समावेश है। यूरोपीय देशों के अलावा कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और युक्रेन इन देशों ने भी ब्रिटन को समर्थन देकर रशियन राजनीतिक अधिकारियों को खदेड़ने की घोषणा की है।
पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया और ग्रीस इन देशों ने ब्रिटन को समर्थन देने की घोषणा की है, लेकिन राजनीतिक अधिकारियों को खदेड़ने से इन्कार किया है। चीन और तुर्की ने भी इस प्रकरण में राजनीतिक स्तरपर कार्रवाई नहीं करेंगे, ऐसा स्पष्ट किया है।
इतने बड़े पैमाने पर रशियन अधिकारीयों की खदेड़ होने की तीव्र प्रतिक्रिया रशिया में उमटी है और इस कार्रवाई के पीछे अमरिका का दबाव है, ऐसा आरोप रशियन सरकार ने किया है। रशिया के विदेश मंत्री लाव्हरोव्ह ने अमरिका ने प्रचंड दबाव और ब्लैकमेल का इस्तेमाल करने का दावा किया है। इस सामूहिक कार्रवाई को ‘जैसे को तैसा’ प्रत्युत्तर दिया जाएगा, ऐसा इशारा भी रशिया ने दिया है।
(Courtesy: www.newscast-pratyaksha.com)