ब्रुसेल्स – अमेरीका द्वारा ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने के बाद युरोपिय देशो ने इसका जवाब देने की तैयारी की है| अमेरीका की आपत्ती की परवाह किए बगैर युरोपिय देशो ने ईरान से इंधन की खरीदारी करने का फैसला लिया है| इस व्यवहार में से अमेरिकन डॉलर को हटाके उसकी जगह युरो मे यह व्यवहार पूर्ण करने का निर्णय युरोपिय देशों ने लिया है| वृत्तसंस्थाओं ने सूत्रो का हवाला देकर इसकी जानकारी दी| युरोपिय महासंघ के परराष्ट्र व्यवहार विभाग प्रमुख प्रेडरिका मोघेरिनी ने इस बारे मे दिया बयान सूत्रों के इस बात की पुष्टी कर रहा है| ईरान पर अमेरीका के निर्बंधों पर वास्तविक समाधान ढुंढने पर ब्रिटन, प्रान्स, जर्मनी और युरोपिय महासंघ तथा ईरान मे सहमती हो गयी, ऐसा मोघेरिनी ने कहा है|
ईरान के साथ परमाणु करार से पल्ला झाड अमेरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ईरान पर कडे आर्थिक प्रतिबंध लगाए है| इन प्रतिबंधों का ईरान के साथ व्यापार करने वाले कंपनिया तथा देशो पर भी बुरी तरह असर होगा| इस कारण ईरान मे भारी मात्रा मे निवेश करने और ईरान के साथ व्यापार समझौते करने वाले ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी और युरोपिय महासंघ का बडा नुकसान होने की संभावना है| इस नुकसान को देखते हुए, अमेरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प यह परमाणु समझौता रद्द ना करे, इसके लिए इन देशों ने भारी प्रयास किये थे| लेकिन ट्रम्प ने इन देशों की बातत ठुकराकर लिए हुए इस निर्णय पर ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी तथा युरोपिय महासंघ कडा ऐतराज जता रहे है|
युरोपिय महासंघ के कौन्सिल के अध्यक्ष जंकर ने अमेरीका की जगह युरोपिय महासंघ ले, ऐसा आवाहन किया था| मंगलवार को ब्रुसेल्स मे हुए बैठक के बाद युरोपिय महासंघ, ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी और ईरानने मिलकर अमेरीका के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए वास्तविकता को ध्यान मे रखते हुए समाधान ढुँढने पर सहमती हुई, ऐसा दावा फ्रेडरिका मोघेरिनी ने किया| लेकिन मोघेरिनी ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नही दी| मगर इस मुद्दे पर युरोपिय महासंघ का अमेरीका के साथ संबंध तोडने का इरादा नही, ऐसा भी मोघेरिनी ने स्पष्ट किया|
मोघेरिनी इस बारे में सावधानी बरत रही है| लेकीन जंकर ने इसके पहले दिये बयानों से ब्रिटन, फ्रान्स और जर्मनी ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते पर अपनाया हुए रुख से बिल्कुल अलग संदेश मिल रहा है| ईरान के साथ इंधन व्यवहार मे से डॉलर को हटाके यह व्यवहार युरो मे करने का निर्णय होने की बात बडी वृत्तसंस्थो ने दी है| सूत्रो के हवाले से दिए इस समाचार से आने वाले समय मे भारी उथल पुथल होने की संभावना है| रशिया और चीन ने आंतरराष्ट्रीय चलन डॉलर के वर्चस्व को आव्हान देने वाले आक्रमक निर्णय लिए थे| उसके बाद युरोपिय देशों ने ईरान के साथ इंधन का कारोबार युरो में शुरू किया तो इसेके गंभीर परिणाम सामने आएंगे|
वैश्विक स्तर पर इंधन की खरीदारी सिर्फ डॉलर मे शुरू होने के बाद डॉलर आंतरराष्ट्रीय चलन बन गया था| पेट्रो-डॉलर यह अमेरीका के चलन की नयी पहचान बन गयी| इसी कारण अमेरीका आंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर अपना नियंत्रण रख पा रहा है| इस व्यवस्था को चुनौती देने वाले देश और नेताओं को अमेरीका ने अपने रास्ते से हटा दिया था, ऐसा विश्लेषकों का मानना है| ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसेन ने अपने देश का इंधन डॉलर के बजाय युरो में बेचने का निर्णय लिया था| उसके बाद अमेरीका ने ईराक पर हमाल कर सद्दाम के?शासन का अंत किया था, इसकी याद विश्लेषक हमेशा दिला देते है|
इस पृष्ठभूमी को ध्याने मे रखते हुए, अगर युरोपिय देशों ने आंतरराष्ट्रीय चलन बने डॉलर को धक्का देने की कोसिश की, तो अमेरीका यह बिल्कुल भी बरदाश्त नही कर सकता| इस मुद्दे पर अमेरीका और युरोपिय देशों के संबंध तुटने की भारी संभावना है| वही इस व्यवहार को बढावा देने वाले ईरान को आने वाले दिनों में अमेरीका की और कडी कारवाई की सामना करना होगा| इसके संकेत अभी से मिल रहे है|
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