जेरूसलेम – स्वतंत्र कुर्दिस्तान को मान्यता देने वाला प्रस्ताव इस्रायली संसद मे दाखील होने वाला है| इराक, सिरिया और तुर्की में बिखरे हुए कुर्दवंशियोको अपना स्वतंत्र देश स्थापित करने का अधिकार हे, ऐसा इस्रायलने पहले ही स्पष्ट कर इराक मे स्थित कुर्दींओ के स्वतंत्रता का समर्थन दिया था| अब इस्रायल के दो प्रमुख राजनैतिक दलों के और से यह प्रस्ताव इस्रायल की संसद मे दाखिल करने तयारी शुरू हो गयी है|
इराक मे स्थित कुर्दवंशियों ने जनमत संग्रह करके स्वातंत्र्य की और अपने कदम बढाये है| इन कुर्दवंशियों को सबसे पहले इस्रायल ने समर्थन दिया था| इराक के उत्तर मे स्थित इंधन से संपन्न प्रदेश मे कुर्दवंशिंयों का प्राबल्य है| इस्रायलने कुर्दवंशियों के स्वातंत्र्य का समर्थन करने के बाद यहासे इस्रायल को इंधन की आपुर्ती शुरू हुई थी| इस के बाद सिरिया स्थित कुर्दवंशियोंनेही स्वतंत्रता के लिया अपनी गतिविधीया तेज की थी| इस के साथ तुर्की मे स्थित कुर्दवंशियोंनेही ऐसाही प्रयास शुरू कर दिया है| इराक, सिरिया और तुर्की मे बसनेवाले कुर्दो का स्वतंत्र देश स्थापित करने के दिशा मे इस्रायल और अमेरिका प्रयत्न कर रहे है| इस के लिया इन देशो का बटवारा करने की तयारी भी इस्रायल और अमेरिका ने शुरु की है, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है|
इसी लिए अमेरिका का नजदिकी मित्र देश तुर्की अमेरिका से दूर हुआ है| अब इस्रायल की संसद मे कुर्दों का स्वतंत्र देश बनाये जाने की मांग को वैधता मिलरही है| इसके परिणाम आने वाले समय मे दिखाई देंगे| लिकूड और ‘यिस्रायेल बैतेनु’ ये इस्रायल के दो प्रमुख राजकीय पक्ष है| इन दो पक्षोंने ये प्रस्ताव संसद मे लाने की तयारी की है| अगर ऐसा होत है तो इराक, सिरिया और तुर्की मे स्थित कुर्दवंशियों के विद्रोही संघटन पुरी तरह से इस्रायल के पिछे खडे हो जायेंगे| इस वजह से इराक, सिरिया और तुर्की मे परिस्थिती बदल सकती है|
सिरिया मे स्थित कुर्द विद्रोही अपने देश मे हस्तक्षेप कर रहे है, ऐसा आरोप कर तुर्कीने इसे पुर्वही सिरिया के कुर्द संघटनों पे हमले शुरू कर दिये थे| ऐसे समय इस्रायली संसद मे कुर्दवंशियों के स्वतंत्र देश की मांग को अगर बढावा मिलता है, तो तुर्की अपने अखंडता पे हमला करार दे सकता है| इस के बाद तुर्की के क्षेत्र मे कुर्द विद्रोहियों पे हमले और भी तेज हो सकते है| उसी वक्त कुर्दवंशियों के स्वतंत्र देश को मान्यता देनेवाले इस्रायल के ओर से कुर्द संघटनाओं को और भी सहाय्य मिल सकता है| इस वजह से आखाती देशों के संघर्ष का और एक मोर्चा खुलने की संभवना तेज हुई है|
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