‘हायपरसॉनिक’ प्रक्षेपास्त्रों की स्पर्धा से नया शीतयुद्ध के संकेत

‘हायपरसॉनिक’ प्रक्षेपास्त्रों की स्पर्धा से नया शीतयुद्ध के संकेत

अमेरीका के पूर्व रक्षा सलाहकार की चेतावनी

वॉशिंग्टन – दुनिया की अग्रतम देशों में ‘हायपरसॉनिक’ प्रक्षेपास्त्र तैयार करने के लिए शुरू दौड़ नए शीतयुद्ध के संकेत देनेवाली है, ऐसी चेतावनी अमेरीका के पूर्व रक्षा विषयक सलाहकार फिलिप कॉयल ने दी।​ दुनिया के अलग देशों की ‘हायपरसॉनिक’ प्रक्षेपास्त्रों की तैयारी अमेरीका के प्रक्षेपास्त्र भेदक सिस्टम को निष्प्राण बनानेवाली साबित होगी, ऐसा दावा कॉयल ने किया​।​ साथही उन्होंने इस नए जलद प्रक्षेपास्त्रों से एटम बम का खतरा और बढ़ने की चिंता जताई है​।​

अमेरीका के पूर्व रक्षा विषयक सलाहकार फिलिप कॉयल ने ब्रिटन के एक समाचारपत्र से की बातचित में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्रों के बढ़ते इस्तेमाल के संकेत दिए​।​ ‘महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र अपने निशाने पर ३० से ३५ मिनट में पहुँच सकते है, तो हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्र यही पल्ला सिर्फ २० मिनट में पार करेंगे​।​ महाद्वीपीय प्रक्षेपास्त्र अथवा क्रूझ प्रक्षेपास्त्रों समान इन प्रक्षेपास्त्रों में एटम बम ढोने की क्षमता है, इन शब्दों में कॉयल ने हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्रों के खतरे का अहसास करा दिया​।​

कॉयल ने ध्यान में लाकर दिया कि, हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्रों की एटमी क्षमता यह सबसे चिंताजनक है​।​

‘हायपरसॉनिक’अमेरीका, रशिया और चीन यह तीन अग्रतम देश हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्र के निर्माण के आखिरी पग पर पहुँचे है​।​ ध्वनी की गति से पाच से दस बार गति अथवा घंटा पच्चीस हजार किलोमीटर गति से प्रवास करनेवाले यह प्रक्षेपास्त्र अमेरीका, रशिया और चीन के सामर्थ्य को बढ़ानेवाली होने का दावा किया जाता है​।​ दुश्मन देश के प्रक्षेपास्त्र कुछ सेकंद में ही हवा में नष्ट करने की क्षमता इन प्रक्षेपास्त्रों में है​।​​​

‘एक्स-५१ वेव्हरायडर’ साथही ‘फॅल्कन’ ऐसे दोन हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्र अमेरीका ने विकसित किए जिनका परीक्षण लिया जा चुका है​।​ रशिया ने ‘केएच-९०’ और ‘केएच-८०’ इन दो हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्रों के परीक्षन के बाद ‘झिरकॉन’ इस नए हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्र को विकसित किया है​।​ चीन से प्रक्षेपास्त्र भेदक सिस्टम को चकमा देकर अमेरीका के विमान वाहक युद्धपोतों को निशाना बनाने की क्षमता रहनेवाले ‘डीएफ-झेडएफ’ हायपरसॉनिक प्रक्षेपास्त्रों का निर्माण शुरू हो चुका है​।​

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