वॉशिंग्टन – ‘बी६१-१२ ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ के परीक्षण का ऐलान कर अमरिका ने खलबली मचा दी है। ‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ परमाणु बम से ज्यादा संहारक है। इसके परिणामों का क्षेत्र परमाणु बम के विस्फोट से अधिक भयावह है। इसलिए यह परीक्षण करके अमरिका ने रशिया और चीन इन स्पर्धक देशों को बडी चेतावनी दी है। यह परीक्षण ट्रम्प प्रशासन द्वारा हाथ लिये गये १.२ ट्रिलियन डॉलर्स की महत्त्वाकांक्षी योजना का हिस्सा है, ऐसा कहा जाता है।
अमरिकी हवाईदल और अमरिका के ऊर्जा विभाग के ‘नॅशनल न्यूक्लिअर सिक्युरिटी ऍडमिनिस्ट्रेशन’ (एनएनएसए) द्वारा नेवाडा में ९ जून को यह परीक्षण हुआ। ‘बी६१-१२ ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ के इस परीक्षण में परमाणु विस्फोट का इस्तेमाल नही किया गया था। ऐसी जानकारी अमरिकी यंत्रणाओं ने दी। यह बम डालने के लिए ‘बी-२ए’ इस बॉम्बर विमान का इस्तेमाल किया गया था। पिछले पाच दशकों से ‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ अमरिका तथा नाटो सदस्य देशों के अड्डों पर तैनात किया गया था। पर उसका परीक्षण नही लिया गया था। परमाणु हमला करने के लिए ‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ के अलावा दूसरे परमाणु बम का इस्तेमाल करने की तैय्यारी अमरिका ने रखी थी। इसकी वजह, ‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ की विध्वंसक और प्रचंड संहारक क्षमता बतायी जा रही थी। इस से अपेक्षा से ज्यादा हानी हो सकती है, यह जानते हुए अमरिका ने यह नीति अपनायी थी।
‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ का विस्फोट परमाणु बम से ज्यादा उंचाई तक विध्वंस मचा सकता है। साथ ही परमाणु बम की तुलना में ‘ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’ का क्षेत्र भी बहुत ज्यादा है, ऐसा बताया जाता है। पर यह बम कितना हाहाकार मचा सकता है, इसकी जानकारी अमरिका ने अभी तक खुली नही की है। इस पृष्ठभूमी पर ‘बी६१-१२ ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम’के परीक्षण का महत्त्व बढ गया है। सन २०२० तक ‘बी६१-१२ ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम्स’ का निर्माण पूरा हो जायेगा, ऐसी जानकारी अमरिकी यंत्रणाओं ने दी। अतिप्रगत लडाकू विमान ‘एफ-३५ लाईटनिंग टू’ पर ‘बी६१-१२ ग्रॅव्हिटी न्यूक्लिअर बम्स’ की तैनाती करने की योजना अमरिका ने तैय्यार की है।
जनवरी महीने मे अमरिका ने ‘न्यूक्लिअर पोश्चर रिव्ह्यू’ तैय्यार किया था। इस रिपोर्ट में रशिया और अमरिका जैसे देशों पर मात देने के लिए अमरिका अपनी परमाणु क्षमता बढाये, ऐसी सिफारिश की गयी थी। इसकी दखल लेते हुए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने परमाणु क्षमता बढाने का कार्यक्रम हाथ लेते हुए १.२ ट्रिलियन डॉलर्स की तरतूद करने का फैसला लिया था।
इस निधी में से करीब ८०० अरब डॉलर्स, इस वक्त अमरिका पास रहे परमाणु अस्त्रों के देखभाल के लिए खर्च होंगे। वहीं ४०० अरब डॉलर्स परमाणु अस्त्रों के आधुनिकीकरण पर खर्च होनेवाले है।
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