वॉशिंग्टन – चीन के पास ‘साऊथ चायना सी’ पर काबू पाने की पूरी क्षमता है और यह रोकने के लिए जंग यही एक विकल्प अमरिका के पास है। ऐसी चेतावनी अमरिका के ‘इंडो-पॅसिफिक कमांड’ के प्रमुख ऍडमिरल फिलिप डेव्हिडसन ने दी। कुछ महीने पहले अमरिका के वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ऍडमिरल हॅरी हॅरिस ने भी ऐसे ही चेतावनी देते हुए, चीन के ‘साऊथ चायना सी’ में चल रही गतिविधियॉं की अनदेखी की तो वह अमरिका को महंगी पडेगी, ऐसी फटकार लगायी थी।
अमरिकी संसद के ‘सिनेट आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ के सामने हुए सुनवाई में ऍडमिरल डेव्हिडसन ने भूतपूर्व अधिकारियों ने दी चेतावनी को दोहराया। अमरिका का रक्षा विभाग ‘पेंटॅगॉन’ने पिछले महीने प्रकाशित किए एक रिपोर्ट में, चीन के ‘साऊथ चायना सी’ में बढते धोखे का जिक्र किया था। इस पृष्ठभूमि पर ऍडमिरल डेव्हिडसन ने संसदीय सुनवाई में किया बयान ध्यान खींचनेवाला साबित हो रहा है।
अमरिका ने ‘इंडो-पॅसिफिक कमांड’ की स्थापना करते हुए पॅसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव फिर से बढाने के संकेत दिए है। अमरिका की यह गतिविधियॉं चीन के ‘साऊथ चायना सी’ में आक्रामक नीती को निशाना बनाने के उद्देश से है, ऐसा कहा जाता है। दो हफ्ते पहले, ‘साऊथ चायना सी’ में अमरिकी नौसेना और जापानी नौसेना का संयुक्त युद्ध अभ्यास हुआ था। उससे पहले अमरिका के प्रगत ‘बी-५२’ बॉम्बर्स विमानों ने चीन के ‘साऊथ चायना सी’ में गस्त की थी।
अमरिका चीन को रोकने के लिए प्रयास कर रही है, वहीं चीन भी अमरिका सहित अन्य देशों को इस क्षेत्र से दूर रखने के लिए आक्रामक नीति अपना रहा है। चीन के ब्रिटन स्थित राजदूत लिऊ शिओगि ने ‘साऊथ चायना सी’ में पश्चिमी देशों की गतिविधियॉं सही नही जाएगी, ऐसी फटकार लगायी है। ‘कुछ देश फ्रीडम ऑफ नेव्हिगेशन का आधार लेते हुए चीन के समुद्री सरहद के पास युद्धपोत तथा लडाकू विमान भेज रहे है। यह चीन के सार्वभौमत्त्व का उल्लंघन है। अपने हितसंबंध और सार्वभौमत्त्व की रक्षा के मसले पर कोई भी चीन को कम समझने की गलती ना करे।’ ऐसी कडी चेतावनी शिओमिंग ने दी।
कुछ दिन पहले ही, ‘साऊथ चायना सी’ के सागरी क्षेत्र में ब्रिटन का ‘एचएमएस अल्बियॉन’ युद्धपोत और चीन की नौसेना आमनेसामने आने की जानकारी सामने आयी थी। उससे पहले अमरिका, फ्रान्स और जापान के युद्धपोतों ने ‘साऊथ चायना सी’ के सागरी क्षेत्र से सफर करते हुए चीन को चुनौती दी थी।
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