‘बोस्निया’ के मुद्दे पर बाल्कन क्षेत्र में रशिया-नाटो के बीच नया संघर्ष भडकेगा

‘बोस्निया’ के मुद्दे पर बाल्कन क्षेत्र में रशिया-नाटो के बीच नया संघर्ष भडकेगा

मास्को/बु्रसेल्स –  यूरोप में बाल्कन देशों में से एक होनेवाले बोस्निया में बना सियासी तनाव रशिया और नाटो के बीच भडकने वाले नए संघर्ष का संकेत साबित हो सकता है, यह इशारा विश्‍लेषकों ने दिया है| बोस्निया में चुनाव होकर नौ महीनें से अधिक समय बीत चुका है और अभी तक सरकार का गठन नही हुआ है| इसके पीछे ‘नाटो’ की सदस्यता का मुद्दा प्रमुख कारण होने की बात कही जा रही है|

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नाटो ने वर्ष २०१० में बोस्निया को बतौर सदस्य शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था| बोस्निया की सरकार का हिस्सा होनेवाले ‘बोस्निआक’ एवं ‘क्रोएट’ गुट नाटो की सदस्यता के पक्ष में है, फिर भी ‘सर्ब’ वंशियों के सियासी गुट ने नाटो की सदस्यता के लिए जोरदार विरोध किया है| इस वजह से नाटो ने आमंत्रित करने के नौ वर्ष बाद भी बोस्निया नाटो का सदस्य होने की प्रक्रिया आगे बढ नही सकी है|

बोस्निया की सियासी व्यवस्था के नुसार राष्ट्राध्यक्ष पद पर तीन गुटों के नेता का चयन होता है और इन में से एक गुट का नेता राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व करता है| फिलहाल बोस्निया के राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर सर्ब वंशियों के नेता मिलोरॅड दॉदिक संभाल रहे है और वह ‘नाटो’ के कडे विरोध के तौर पर पहचाने जाते है| दॉदिक को रशिया का समर्थन प्राप्त है और उन्होंने कई बार रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से भी भेंट की है|

इस वजह से दॉदिक से हो रहे नाटो के विरोध के पीछे रशिया का हाथ होने का दावा बोस्निया के ‘बोस्निआक’ एवं ‘क्रोएट’ गुटों ने किया है| बोस्निया में देखी जा रही सियासी समस्या का इस्तेमाल रशिया नाटो एवं यूरोपिय महासंघ को रोकने के लिए कर रहा है, यह मत ब्रिटीश विश्‍लेषक मार्को होआर ने व्यक्त किया है| बोस्निया अस्थिर रखना रशिया के हित में है और इसी माध्यम से रशिया अपने हितसंबंध की रक्षा करने में सफल हो रही है, यह भी होआर ने कहा है| पीछले कुछ वर्षों में रशिया ने नाटो की सदस्यता प्राप्त कर रहे बाल्कन देशों में अस्थिरता निर्माण करने की कोशिश करने की बात उजागर हुई थी, इस ओर भी विश्‍लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है|

बाल्कन क्षेत्र में बोस्निया, सर्बिया और कोसोवो इन तीन देशों के अलावा अन्य सभी देशों ने नाटो की सदस्यता प्राप्त की है| सर्बिया यह रशिया के प्रभाव में होने से यह देश नाटो का सदस्य होना मुमकिन नही| वही, कोसोवो का दर्जा अभी भी विवादित है| इस वजह से रशिया किसी भी स्थिति में बोस्निया पर अपना प्रभाव बरकरार रखने की कोशिश करता रहेगा, ऐसा अमरिकी विश्‍लेषक डॅनिअल सर्वर ने कहा है|

रशिया ने बोस्निया में अपने गुप्तचर यंत्रणा का जाल बनाया है और कुछ निमलष्करी एवं बागी संगठनों के निर्माण के लिए भी सहायता करने की रपट रखी गई है| यह गुट और राष्ट्राध्यक्ष दॉदिक के माध्यम से रशिया बोस्निया को नाटो में प्रवेश करने से दूर रखने के लिए हर तरह की कोशिश करेगी| यह कोशिश रशिया और नाटो के बीच नए संघर्ष का कारण साबित हो सकती है, ऐसा विश्‍लेषकों का दावा है|

बोस्निया की राजधानी साराजेवो में वर्ष १९१४ में युवराज ‘आर्चड्युक फ्रान्झ फर्डिनांड’ की हुई हत्या पहले महायुद्ध का कारण साबित हुई थी| इस वजह से इस क्षेत्र में बने तनाव की गुंज पूरी दुनिया में सुनाई देती है, यह पहले भी स्पष्ट हुआ था| ऐसे में बोस्निया के मुद्दे पर रशिया और नाटो के बीच शुरू हुए सुप्त संघर्ष के भयंकर परीणाम अगले दौर में सामने आ सकते है, यह संकेत प्राप्त हो रहे है|

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