स्टॉकहोम – स्वीडन में ‘रेडिओ फ्रिक्वेन्सी आयडेंटिफिकेशन’ (आरएफआयडी) नाम से पहचाने जाने वाले टेक्नोलॉजी पर आधारीत ‘मायक्रोचीप्स’ का इस्तमाल बढा है। चावल के दाने इतना आकार की चीप हात में बिठाई जाती है, जिसका इस्तमाल रेल स्टेशन से नोकरी की जगह तक सब जगह हो रहा है। ‘मायक्रोचीप’ द्वारा जमा की गई जानकारी सहजता से ‘हॅक’ की जा सकती है, साथही इसके पिछे आंतर्राष्ट्रीय कारस्थान होने का आरोप इससे पहले हुआ था।
दो साल पहले ऑस्ट्रेलिया में ‘मायक्रोचीपिंग’ का इस्तेमाल बढ़ने की जानकारी देने वाले लेख प्रकाशित हुए थे। उस समय अमरीका और यूरोप के कुछ देशों ने इस तरह से कोशिश शुरू की, ऐसे दावा किए गए थे। स्वीडन से सामने आ रही जानकारी से ये दावे सही है, ऐसा दिखाई देरहा है। स्वीडन में ‘बायोहॅक्स इंटरनॅशनल’ इस कंपनी की ओर से नागरीकों की पूरी जानकारी रहनेवाली मायक्रोचीप्स तैयार कर उन्हें शरीर में बिठाया जा रहा है।
फिलहाल स्वीडन में रेल सेवा, रेस्टॉरंट, लिंक्ड् जैसे निजी कंपनी इस जैसे जगह मायक्रोचीप्स का इस्तमाल होरहा है, चार हजार से अधिक नागरीकों के शरीर में चीप्स बिठाने की जानकारी सूत्रों ने दी है। स्वीडन में कुछ तज्ञों ने इन मायक्रोचीप्स से शरीर पर घातक परीणाम हो सकते है, ऐसी चेतावनी भी दी है।
पिछले दशक से मानव के शरीर में अलग अलग कारणों से सीमित तरीके से ‘मायक्रोचीपिंग’ का इस्तमाल करने के प्रयोग साथही कोशिशें शुरू है। अमरीकी सरकार ने खुफिया स्तर पर इस प्रकार का कार्यक्रम चलाया था। वर्ष २०१७ तक सभी अमरीकी नागरीकों के शरीर में ‘मायक्रोचीप्स’ बिठाए जाएंगे, ऐसा दावा कुछ लोगों से बार-बार किए जा रहे है। इस बारे में कुछ लोगों ने गंभीर आरोप किए है, जिन्हों ने इसके पिछे आंतर्राष्ट्रीय कपट होने की चेतावनी दी थी।
इस मायक्रोचीफ से डेबीट अथवा क्रेडीट कार्ड अथवा किसी भी प्रकार के पहचान पत्र साथ रखने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे ‘मायक्रोचीपिंग’ मतलब अलग करनेवाली व्यवस्था होने का दावा इस संकल्पना के समर्थक कर रहे है। लेकिन वास्तव में ये ग्लोबलायझेशनवालों की दुनिया की जनता को गुलाम बनाने की योजना है, ऐसा आरोप ‘कॉन्स्पिरसी थिएरिस्ट’ करते आ रहे है।
इस टेक्नोलॉजी का इस्तमाल करते हुए सरकार एक नागरीक की नीजि जानकारी उसके अनुमती के बगैर सहजता से प्राप्त कर सकते है। इसलिए ये टेक्नोलॉजी नागरीकों की व्यवस्था को गुलाम बनानेवाली है। साथही हमें अनचाहे विरोधकों का काटा निकालना इस व्यवस्था से आसान हो सकता है, ऐसी चिंता भी ‘कॉन्स्पिरसी थिएरिस्ट’ द्वारा जताई जा रही है।
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने वर्ष २०१० में ही अपने देश के सभी नागरीकों में ‘मायक्रोचीप’ बिठाने की योजना रखी थी। ‘सीबीएस ऑस्ट्रेलिया’ इस समाचार मिडिया ने ये जानकारी जारी की थी। अब स्वीडन जैसा प्रगत यूरोपीय देश के हजारों लोगों ने मायक्रोचीप स्वीकारने से आनेवाले समय में ये व्यवस्था यूरोप में स्थापित होती हुई दिखाई दे रही है।
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