वॉशिंग्टन/जेरूसलेम – ‘तुर्की के इस्तंबूल में सौदी अरब के दूतावास में पत्रकार जमाल खशोगी की हुई हत्या दहलानेवाली है। लेकिन इस कारण अमरीका सौदी अरब और सौदी के ‘क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान’ का साथ ना छोडे’, ऐसा कहते हुए इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने अमरीका को सौदी के बारे में कठोर नीति ना अपनाने का आवाहन किया। इसके बजाय ईरान की चुनौती सबसे बडी है, इसकी याद प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने करायी। इस्रायल के बाद इजिप्त ने भी अमरीका को सौदी समेत धोरणात्मक सहयोग बनाए रखने का आवाहन किया है।
इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू अभी यूरोपीय देशों के यात्रा पर है। अमरीका के अग्रतम समाचारपत्र ने उनके इस यात्रा के बारे में खबर प्रकाशित की। इसमें इस्रायली प्रधानमंत्री ने बल्गेरीया, रोमानिया, सर्बिया और ग्रीस इन देशों के नेताओं को संबोधित करते हुए सौदी के पत्रकार खशोगी की हत्या पर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने अपनी नीति स्पष्ट की। ‘खशोगी हत्या की विस्तार से जॉंच होनी चाहिए। साथही खाडी और दुनिया में स्थिरता कायम रखनी है तो सौदी अरब की हुकूमत को अस्थिर बनाकर कुछ नहीं होगा। सौदी अस्थिर हो गया तो क्या योगा, इस बारे में ना सोचा जाए वहीं अच्छा है’, ऐसे सटीक शब्दों में इस्रायली प्रधानमंत्री ने सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद का समर्थन करने का आवाहन किया। अमरीका के समाचार पत्र ने इस बारे में खबर प्रकाशित की।
खशोगी की हत्या महत्त्वपूर्ण है, लेकिन ईरान भी उससे कही गुना बडी चुनौती है, इस तरफ अनदेखा करना अच्छा नहीं होगा, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा। यूरोपीय देशों में ईरान द्वारा शुरू साजिश की ओर पश्चिमी देश गौर से ध्यान दे, ऐसा कहते हुए नेत्यान्याहू ने डेन्मार्क, नॉर्वे साथही इससे पहले फ्रान्स, जर्मनी और बेल्जिअम में ईरान द्वारा नियोजित आतंकी हमलों की साजिश पर ध्यान खिचा। इस्रायली खुफिया एजन्सी की जानकारी के कारण फ्रान्स और डेन्मार्क की साजिश समय रहते उजागर हुई, ऐसा नेत्यान्याहू ने कहा। ईरान को रोकना ये सिर्फ इस्रायल के ही नहीं बल्कि यूरोपीय देशों की सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण है, ऐसा दावा इस्रायली प्रधानमंत्री ने कहा।
इस्रायल के अन्य नेता भी खशोगी मामले मे सौदी अरब पर दबाव बनाने से बेहतर अमरीका और यूरोपीय देशों ने यूरोप में ईरान के साजिशों के और ध्यान दे, ऐसी मॉंग की है। ईरान की हुकूमत डेन्मार्क में अपने विरोधकों को खत्म करने के लिए साजिश रच रही है, ऐसा आरोप करते हुए डेन्मार्क ने इसका निषेध जताया था। साथही डेन्मार्क ने ईरान से अपने राजदूतों को वापस बुलाया था। नॉर्वे ने भी इस मामले में ईरान के दूतावास को समन्स बजाए है। ये इस्रायल के ईरान के विरोध में साजिश का हिस्सा होने का इल्जाम ईरान द्वारा किया जा रहा है।
लेकिन इस्रायल के प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने ईरान ये आतंकवाद का सबसे बडा समर्थक देश है, ऐसा कहते हुए ईरान से यूरोपीय देशों को भी बडा खतरा है, इसे गले उतारने के लिए राजनयीक मोर्चा खोला ऐसा दिखाई दे रहा है।
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