‘ओआईसी’ में भारत का विरोध कर रहे पाकिस्तान को मुंह की खानी पडी

‘ओआईसी’ में भारत का विरोध कर रहे पाकिस्तान को मुंह की खानी पडी

अबू धाबी – ५७ सदस्य देशों की ‘ऑर्गनायजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन’ (ओआईसी) ने भारत को आमंत्रित करने का निर्णय पीछे ले, यह मांग करनेवाले पाकिस्तान को मुंह की खानी पडी है। संयुक्त अरब अमिराती के अबू धाबी में योजित ‘ओआईसी’ की परिषद में भारतीय विदेश मंत्री को बोलने का अवसर ना मिले, इसके लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने इस परिषद पर बहिष्कार करने की चेतावनी दी थी। उनकी इस धमकी की परवाह किए बिना ‘ओआईसी’ ने भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इन्हें दिया न्यौता कायम रखा था। इस वजह से भारत को घेरने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान की तौहीन हुई है। सीधे नाम का जिक्र किए बिना विदेश मंत्री स्वराज इन्होंने ‘ओआईसी’ के सामने किए भाषण में पाकिस्तान की आतंकी नीति पर जोरदार प्रहार किया।

‘आतंकवाद की वजह से कईयों का जीवन ध्वस्त होता है। आतंकवाद की वजह से क्षेत्रों में अराजकता निर्माण होती है और इससे पुरी दुनिया के लिए खतरा बनता है’, ऐसा कहकर विदेश मंत्री स्वराज इन्होंने ‘ओआईसी’ के सामने किए १७ मिनिटों के भाषण में आतंकवाद एवं चरमपंथ पर कडी आलोचना की। ‘आतंकवाद और चरमपंथ अलग अलग तरीके से पुरस्कार किया जा रहा है। लेकिन, ऐसा करनेवाले धर्म की विकृत तरीके से रचना करते है। धर्म का आधार लेकर आतंकवाद का समर्थन करना मुमकिन नही’, ऐसा भारत की विदेश मंत्री ने इस परीषद में डटकर कहा। हम १३० करोड भारतीयों की शुभेच्छा के साथ यह पहुंचे है और भारत में १८.५ करोड इस्लामधर्मी बंधू-भगिनी रहते है, इसकी याद भी विदेश मंत्री स्वराज इन्होंने दिलाई।

‘ओआईसी’ में विदेश मंत्री स्वराज इन्होंने किया यह भाषण ऐतिहासिक साबित हुआ है। खास तौर पर इनका यह भाषण शुरू था तभी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की खाली कुर्सी भारतीय समाचार चैनल बार बार दिखा रहे थे। ‘ओआईसी’ में शामिल होने का अवसर भारतीय विदेश मंत्री को ना मिले, यह मांग पाकिस्तान ने रखी थी। २६ फरवरी के दिन भारत ने पाकिस्तान के ‘बालाकोट’ में बने आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया था। यह हवाई हमला यानी पाकिस्तान पर हमला है। इस हमले का विरोध करने के लिए भारतीय विदेश मंत्री को दिया न्यौता ‘ओआयसी’ पीछे ले, यह मांग पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी इन्होंने रखी थी। ऐसा नही हुआ तो, इस परिषद पर पाकिस्तान बहिष्कार करेगा, यह चेतावनी भी कुरेशी ने दी थी।

भारत यह इस्लामधर्मी देश नही है और ‘ओआईसी’ का सदस्य या निरिक्षक देश भी नही है। इस वजह से वहांपर भारत को न्यौता देने की कोई वजह नही है, ऐसा दावा पाकिस्तान से किया जा रहा था। लेकिन, ‘ओआईसी’ के अन्य सदस्य देशों ने पाकिस्तान की यह चेतावनी पुरी तरह से नजरअंदाज की। इस वजह से आखिरकार बस ना चले पाकिस्तान के विदेश मंत्री इस परीषद में मौजूद नही रहे।

यह भारत की और एक राजनयिक जीत है। इस्लामधर्मी देश पाकिस्तान के पक्ष में खडे रहने से दूर रहे है और ‘ओआईसी’ में पाकिस्तान पुरी तरह से अकेला होता दिखाई दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने अपने देश की संसद में बोलते समय यह अफसोस जताया। इस्लामधर्मी देशों के लिए पाकिस्तान युद्ध में उतरा था। लेकिन, इन देशों को पाकिस्तान की परवाह नही, बल्कि वह भारत को नजदिकी देश समजते है, ऐसी आलोचना पाकिस्तान के माध्यम कर रहे है।लगाव है, यह

मतभेद होने के बावजूद पाकिस्तान ने इस परिषद में शामिल होना था। जिस देशों के पास पाकिस्तान कटोरा हाथ में लिए भीक मांग रहा है, ऐसे देश पाकिस्तान की कोई भी मांग गंभीरता से नही लेंगे। इसके बजाए काफी बडा आर्थिक एवं राजनयिक प्रभाव रखनेवाले भारत को ही इस्लामी देश अधिक अहमियत देंगे। यह सच्चाई अपनी सरकार स्वीकार करे और उसके नुसार नीति तय करे’, ऐसा पाकिस्तान के कुछ जनप्रतिनिधि?एवं विश्‍लेषक कहते है। साथ ही भारत के साथ युद्ध हुआ तो इस्लामधर्मी देश अपने पीछे खडे नही रहेंगे, इसका एहसास पाकिस्तान रखे, यह भी पाकिस्तान के कुछ जिम्मेदार पत्रकार बता रहे है।

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