अमरिका के लिए आर्क्टिक क्षेत्र ‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ – ‘नॉर्दन कमांड’ प्रमुख जनरल का बयान

अमरिका के लिए आर्क्टिक क्षेत्र ‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ – ‘नॉर्दन कमांड’ प्रमुख जनरल का बयान

वॉशिंगटन – रशिया और चीन जैसे देशों से शुरू बढती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर आर्क्टिक क्षेत्र अब अमरिका के लिए ‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ बना है, यह दावा अमरिका के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने किया है। फिनलैंड में हाल ही में हुई ‘आर्क्टिक कौंसिल’ की बैठक के बाद अमरिका में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते समय ‘नॉर्दन कमांड’ के प्रमुख जनरल टेरेन्स ओशॉघ्नेसी इन्होंने आर्क्टिक में बने खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इसके पहले आर्क्टिक कौंसिल में शामिल हुए अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ इन्होंने रशिया और चीन ने आर्क्टिक में अतिरिक्त हस्तक्षेप करना बंद करे और इस क्षेत्र से दूर रहे, यह इशारा किया था।

‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’, अतिरिक्त हस्तक्षेप, टेरेन्स ओशॉघ्नेसी, आर्क्टिक क्षेत्र, गतिविधियां, अमरिका, नॉर्वेधरती के उत्तरी हिस्से में बने बर्फानी ‘आर्क्टिक’ क्षेत्र में बर्फिले टिले पिघल रहे है और नए सागरी मार्ग खुले होने लगे है। साथ ही इस क्षेत्र में बडी तादाद में ईंधन का भंडार होने के अहवाल भी सामने आए है। इस वजह से आर्क्टिक क्षेत्र की इर्द गिर्द के देशों का ध्यान फिर से इस क्षेत्र की ओर केंद्रीत हो रहा है। इसमें, रशिया ने पहल की है। रशिया के अलावा अमरिका, कनाडा, नॉर्वे, डेन्मार्क, ग्रीनलैंड, स्वीडन और फिनलैंड इन देशों ने भी आर्क्टिक में ईंधन के भंडार और सागरी मार्ग पर अपना हक जताने के लिए गतिविधियां शुरू की है।

पिछले महीने में रशिया ने आर्क्टिक में २५० सैनिकों का एक नया लष्करी अड्डा सक्रिय किया था। इसके साथ ही राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन इन्होंने न्युक्लिअर आईसब्रेकर्स, लष्करी अड्डा एवं व्यापार के लिए नए बंदरगाह का निर्माण करने का प्रावधान होनेवाली महत्वाकांक्षी ‘आर्क्टिक प्लैन’ का ऐलान भी किया था। रशिया आर्क्टिक में प्रमुख दावेदार है और भौगोलिक नजरिए से रशिया का ही अधिकार बनता है, यह दिखाने के लिए यह कोशिश होने की बात समझी जा रही है। रशिया को साथ देनेवाले देशों में चीन का भी समावेश है और उसने स्वयं को ‘निअर आर्क्टिक स्टेट’ यह दर्जा बहाल करके स्वतंत्र नीति का ऐलान किया है।

रशिया और चीन से शुरू गतिविधियों की अमरिका ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। आर्क्टिक कौंसिल में पोम्पिओ ने किया इशारा और उसके बाद अमरिका के लष्करी अधिकारियों ने अपनाई भूमिका इसीका हिस्सा है। पोम्पिओ ने आर्क्टिक की अहमियत स्पष्ट करते समय २० वे शतक में व्यापार का जागतिक मार्ग के तौर विकसित हुए ‘पनामा’ एवं ‘सुएज’ कनाल का जिक्र किया। ‘आर्क्टिक २० वी सदी का सुएज या पनामा कनाल साबित होगा’, यह दावा अमरिकी विदेशमंत्री ने किया।

उसी समय रशिया और चीन से शुरू गतिविधियों पर आलोचना करके इन दोनों देशों को आर्क्टिक में बनते अमरिका के हितसंबंधों का एहसास रखने की सलाह भी पोम्पिओ ने दी। यदि इन देशों ने इस ओर नजरअंदाजी की तो उन्हें परिणाम भुगतने होंगे, यह चेतावनी भी उन्होंने दी। अमरिकी रक्षा विभाग ने संसद में पेश किए अहवाल में चीन ने आर्क्टिक में गोपनीयता रखकर शुरू की गतिविधियां उजागर की गई है, इस ओर भी अमरिकी विदेशमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

पोम्पिओ ने रशिया और चीन को दिए इशारे के बाद अमरिका की वरिष्ठ सेना अधिकारियों ने आर्क्टिक में रक्षा की तैयारी बढाने के लिए अहमियत देने की मांग की। जनरल टेरेन्स ओशॉघ्नेसी यह अमरिका की ‘नॉर्दन कमांड’ एवं ‘नॉर्थ अमरिकन एरोस्पेस डिफेन्स कमांड’ के प्रमुख है और उन्होंने आर्क्टिक में लष्करी क्षमता बढाने का निवेदन किया। ‘आर्क्टिक अमरिका के लिए अंतर्गत क्षेत्र का हिस्सा है, फिर भी यह पहले की तरह सुरक्षित जगह नही रही’, ऐसा जनरल टेरेन्स ओशॉघ्नेसी इन्होंने इशारा दिया है। साथ ही आर्क्टिक अमरिका के लिए ‘फर्स्ट लाईन ऑफ डिफेन्स’ होने की याद भी उन्होंने दिलाई।

अमरिका ने पिछले वर्ष में आर्क्टिक के लिए सही दिशा में कदम बढाना शुरू किया है और प्रगत ‘आईसब्रेकर्स’ का बेडा तैयार करने के लिए गतिविधियां शुरू की है। पिछले वर्ष आर्क्टिक का हिस्सा रहनेवाले नॉर्वे में नाटो का युद्धाभ्यास किया गया। इसके लिए अमरिका ने ही पहल की थी। इस युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि पर विमान वाहक युद्धपोत ‘यूएसएस हैरी ट्य्रुमन’ आर्क्टिक क्षेत्र में दाखिल हुई थी। यह बात अमरिका की आर्क्टिक नीति के नजरिए से काफी अहम समझी जाती है।

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