अमरिका का ‘चैम्प’ मिसाइल तैनात – ब्रिटिश समाचार पत्र का दावा

अमरिका का ‘चैम्प’ मिसाइल तैनात – ब्रिटिश समाचार पत्र का दावा

वॉशिंगटन – दुश्मनों के बैलस्टिक मिसाइल, लष्करी ठिकाने, राडार यंत्रणा और अबतक अति सुरक्षित समझे जा रहे बंकर्स में मौजूद सुरक्षा यंत्रणा नाकाम करने में सक्षम ‘चैम्प’ मिसाइल का अमरिका ने निर्माण किया है। अमरिकी वायुसेना ने ऐसी २० मिसाइल दुनिया में कई जगहों पर तैनात किए है और इन मिसाइलों का हमला होने पर मनुष्य हानी टालना संभव होगा, यह दावा ब्रिटेन के समाचार पत्र ने किया है। वर्तमान में यह मिसाईल अमरिका ने ईरान और उत्तर कोरिया के विरोध में तैनात किए है, ऐसा वर्णित समाचार पत्र ने कहा है।

ईरान ने खाडी क्षेत्र में अमरिकी हितसंबंधों पर हमलें करने की धमकी दी है। अमरिका ने भी खाडी क्षेत्र में लष्करी की तैनाती बढाने से किसी भी क्षण अमरिका बनाम ईरान युद्ध शुरू हो सकता है, ऐसा कहा जा रहा है। लेकिन, फिर भी खाडी क्षेत्र में बडी मात्रा में जीवित हानी होगी, यह आलोचना भी दुनियाभर से हो रही है। ऐसे में अमरिका ने निर्माण किए और तैनात किए एक मिसाइल की वजह से ईरान के विरोध में युद्ध में जीवित हानी नही होगी और ईरान भी घुटने के बल गिरेगा, यह दावा एक वरिष्ठ पत्रकार ने किया है।

अमरिका में प्रमुख समाचार पत्र में खोज पत्रकार रहे और नामी किताबों के लेखक ‘रोनाड्ल केस्लर’ इन्होंने ब्रिटेन के समाचार पत्र से की बातचीत के दौरान अमरिका के ‘चैम्प’ मिसाइल की जानकारी उजागर की। ‘काउंटर इलेक्ट्रॉनिक्स हाय पॉवर मायक्रोवेव्ह एडव्हान्सड् मिसाइल प्रोजेक्ट’ (चैम्प) इन नाम से पहचाने जा रहा यह मिसाइल ‘हाय पॉवर मायक्रोवेव्हज्’ (एचपीएम) का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है। ‘चैम्प’ मिसाइल से निकलनेवाले ‘एचपीएम’ की वजह से दुश्मनों की मारक क्षमता खतम होती है, यह दावा केस्लर ने किया। साथ ही चैम्प मिसाइल की तैनाती की वजह से ‘कल्पना के परे की बातें अब असल में बनती दिख रही है’, यह प्रतिक्रिया इस मिसाइल पर काम कर रही बोईंग कंपनी के जनरल मैनेजर किथ कोलमन इन्होंने दर्ज की है।

अमरिका में सबसे बडी हथियार निर्माण करनेवाली कंपनी ‘बोईंग’ पिछले दस वर्षों से ‘एचपीएम’ प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। अमरिकी वायुसेना से संबंधित इस प्रोजेक्ट में ‘मायक्रोवेव्ह’ या ‘अति सुक्ष्म रेडिओ तरंग’ का इस्तेमाल करके मिसाइल निर्माण का काम शुरू था। वर्ष २०१२ में बोईंग और अमरिकी वायुसेना ने सफलता से अति सुक्ष्म रेडिओ तरंगों पर निर्भर ‘चैम्प’ का निर्माण एवं सफल परिक्षण किया था। लेकिन, उस समय के ओबामा प्रशासन ने यह मिसाइल अमरिकी वायुसेना में तैनात करने से इन्कार किया था, यह जानकारी केस्लर इन्होंने दी।

लेकिन, दो वर्ष पहले केस्लर ने राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के उस समय के सुरक्षा सलाहकार ‘एच.आर.मॅकमास्टर’ इन्हें इस मिसाइल की जानकारी दी। उसके बाद ट्रम्प प्रशासन ने ‘चैम्प’ प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक प्रावधान करने का ऐलान किया और वायुसेना ने दुनिया में कई जगहों पर बनाए अड्डों पर यह मिसाइल तैनात करने के आदेश जारी किए। ‘चैम्प’ मिसाइल वायुसेना की परमाणु अस्त्र छोडने की क्षमता रखनेवाले ‘बी-५२ बॉम्बर्स’ विमान पर तैनात है। यह बॉम्बर विमान फिलहाल पर्शियन खाडी, गुआम द्विपों पर तैनात है। यह मिसाइल ७०० मील दूरी तक हमला करने की क्षमता रखते है और दुश्मनों की सीमा में कम उंचाई से भी अपने लक्ष्य की दिशा में आगे बढ सकते है।

‘चैम्प’ मिसाइल छोडने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तोंप का इस्तेमाल होता है। इस वजह से यह मिसाइल तेजीसे सफर कर सकते है। दुश्मनों की सीमा में पहुंचने के बाद इस मिसाइल की यंत्रणा कार्यान्वित होती है। कम उंचाई पर उडान भरते समय यह मिसाइल रेडिओ तरंग यानी ‘एचपीएम’ प्रवाहित करते है। इस वजह से कम्प्युटर चिप्स या इलेक्ट्रॉनिक यंत्रणा से जुडे मिसाइल, राडार यंत्रणा नाकाम होती है। ‘एचपीएम’ के तरंग लष्करी अड्डोंपर मौजूद सभी इलेक्ट्रॉनिक्स सामना नाकाम करते है।

इस मिसाइल का सफल परिक्षण अमरिकी हवाई अड्डे पर किया गया था, यह जानकारी केस्लर ने ब्रिटिश पत्र के साथ की बातचीत के दौरान दी। इस परिक्षण में वायुसेना के अड्डे पर लगाए सीसीटीव्ही कैमरे नाकाम हुए थे। लेकिन, किसी भी प्रकार की जीवित हानी नही हुई थी। इस वजह से यह मिसाइल सबसे खतरनाक होने का दावा केस्लर इन्होंने किया है।

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