अराजकता के कारण व्हेनेजुएला के ४० लाख नागरिकों ने देश छोडा – संयुक्त राष्ट्रसंघ का अहवाल

अराजकता के कारण व्हेनेजुएला के ४० लाख नागरिकों ने देश छोडा – संयुक्त राष्ट्रसंघ का अहवाल

कॅराकस/न्यूयॉर्क – व्हेनेजुएला में बना आर्थिक और मानवतावादी संकट और भी तीव्र हो रहा है और ऐसी स्थिति से बेहाल हुए करीबन ४० लाख नागरिक देश छोडने के लिए मजबूर होने का इशारा संयुक्त राष्ट्रसंघ ने दिया है| व्हेनेजुएला की जनता देश छोडकर पनाह पाने के लिए अन्य देशों की और दौड लगा रहे है और ऐसे में तानाशाह निकोलस मदुरो ने अमरिका पर कडे शब्दों में फटकार लगा कर कोलंबिया की सीमा दुबारा खुली करने का ऐलान किया है| कोलंबिया सीमा के मार्ग से अमरिका और अमरिका समर्थक गुट व्हेनेजुएला में हिंसा कराने की कोशिश में होने का आरोप करके सरकार ने तीन महीनें पहले यह सीमा बंद करी थी|

संयुक्त राष्ट्रसंघ की ‘रिफ्युजी एजन्सी’ ने इससे संबंधित बनाया अहवाल प्रसिद्ध किया है और इसमें व्हेनेजुएला में बनी अराजकता की स्थिति को लेकर जानकारी रखी है| ईंधन से भरा देश के तौर पर पहचाने जा रहे व्हेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पिछले साल से बडी गिरावट का सामना कर रही है| तानाशाह निकोलस मदुरो की नीति असफल साबित हुई है और देश में अनाज एवं जरूरी सामान एवं दवाईयों की बडी किल्लत है| ऐसे में ही अमरिका ने लगाए प्रतिबंधों की वजह से अर्थव्यवस्था और भी मुश्किल में पडने की जानकारी वर्णित अहवाल में नमूद की गई है|

दिन हर दिन देश में बिगड रहे हालाथ ही व्हेनेजुएला के नागरिकों को देश छोडने के लिए विवश कर रहे है, यह जानकारी भी इस अहवाल में दर्ज की गई है| व्हेनेजुएला के करीबन ४० लाख नागरिकों ने देश छोडकर पडोसी देशों में बतौर शरणार्थी पनाह लेना शुरू किया है| इसमें से सबसे अधिक १३ लाख नागरिक कोलंबिया में पनाह ले चुके है| इसके अलावा ब्राजिल, पेरू, चिली, अर्जेंटिना में भी व्हेनेजुएला के नागरिक पनाह लेने पहुंच रहे है|

युद्ध और अंतर्गत संघर्ष के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाकामयाब साबित हुए देशों में व्हेनेजुएला की असफलता सबसे बडी और भयंकर होही, यह इशारा वरिष्ठ अर्थशास्त्री केनेथ रॉजॉफ इन्होंने पीछले महीनें में ही दिया था| अर्थशास्त्री रॉजॉफ ने व्हेनेजुएला की तुलना मुअम्मर गद्दाफी के मौत के बाद लीबिया में बनी स्थिति के साथ की थी| लेकिन, लीबिया में जंग शुरू थी, इस ओर ध्यान आकर्षित करके व्हेनेजुएला की जनता गलत नीति और निर्णयों के कारण देश छोडने के लिए विवश होने की बात उन्होंने स्पष्ट की थी|

देश की जनता का समर्थन खो बैठे मदुरो अब रशिया, चीन और क्युबा जैसे देशों की सहायता से देश चलाने की कोशिश कर रहे है| इसके लिए ईंधन भंडार, सरकारी जगह और खुले द्विप इन देशों के कब्जे में देने का कदम उठाया गया है, यह बात भी सामने आ चुकी है| अर्थव्यवस्था संवरने के लिए सोने की बिक्री भी शुरू है और फिर भी इसका लाभ आम जनता को जरा भी नही हुआ है, इस ओर विश्‍लेषक और विशेषज्ञ ध्यान आकर्षित कर रहे है|

English      मराठी

इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:

https://twitter.com/WW3Info
https://www.facebook.com/WW3Info