लंदन/तेहरान – सौदी अरब और मित्रदेशों की ईंधन टैंकर्स पर हुए आतंकी हमलों को महीना नही हो रहा था, तभी फिर से इसी समुद्री क्षेत्र में सफर कर रहे अन्य दो ईंधन टैंकर्स पर आतंकी हमलें हुए है। इन टैंकर्स पर मौजूद ४४ कर्मचारियों को बचाने में सफलता मिली है। इस घटना के बाद खाडी क्षेत्र के देशों में अलर्ट जारी किया गया है। इस हमले की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दामों में बढोतरी हुई है।
ईरान के तट से करीबन २५ मील दूरी पर इन ईंधन टैंकर्स को आग लगने की जानकारी ईरानी समाचार चैनल ने सबसे पहले प्रसिद्ध की। इनमें से एक टैंकर नॉर्वे और दुसरा तैवान का होने की जानकारी सामने आ रही है। इन दोनों टैंकर्स पर ‘टोर्पेडो’ के साथ हमला किया गया होगा, यह आशंका जताई जा रही है। नॉर्वे के ईंधन टैंकर का मालिक ‘फ्रंट अल्टेर’ इस कंपनी ने ‘टोर्पेडो’ का हमला होने की संभावना व्यक्त की है। वही, ईंधन की यातायात करनेवाली कोकुका करेजस इस कंपनी ने इस घटना के पीछे आतंकी हमला होने का दावा किया है। ईरान के जहाज ने ईन टैकर्स पर मौजूद ४४ कर्मचारियों को रिहा करने का ऐलान किया है और इस घटना की जांच करने की घोषणा की है।
इससे पहले १२ मई के रोज यूएई के फुजेराह बंदरगाह के निकट तैनात चार ईंधन टैंकर्स पर हमलें हुए थे। इनमें से दो टैंकर्स सौदी और यूएई और नॉर्वे के एक-एक टैंकर्स का हमलें में नुकसान हुआ था। इस हमलें के पीछे ईरान होने का आरोप सौदी अरब, यूएई और नॉर्वे ने किया था। अमरिका ने भी पर्शियन खाडी में गश्त कर रहे ईरान के जहाजों ने यह हमला किया होगा, यह संभावना व्यक्त की थी। इस वजह से गुरूवार की सुबह हुए इस हमले के लिए ईरान जिम्मेदार होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
ओमान की खाडी में हुए इस हमले के बाद सौदी, यूएई और अन्य खाडी देशों ने अलर्ट जारी किया है। पर्शियन खाडी से अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र में सफर कर रहे ईंधन टैंकर्स एवं अन्य व्यापारी जहाजों को विशेष सुरक्षा देने की मांग हो रही है। वही, बाहरिन में तैनात अमरिका की ‘फिफ्थ फ्लीट’ के कमांडर ‘जोशूआ फ्रे’ ने इस घटना का ब्यौरा करने के लिए अपने जहाज ओमान की खाडी में भेजे है।
इस हमले का समाचार प्राप्त होते ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रुड ऑइल के दामों में चार प्रतिशत की बढोतरी हुई। इस वजह से बनी अनिश्चितता के असर में अगले दिनों में ईंधन के दामों में और भी बढोतरी होने के संकेत प्राप्त हो रहे है। अमरिका के प्रतिबंधों की वजह से ईरान की ईंधन निर्यात में गिरावट हुई है। इन प्रतिबंधों का ऐलान होने के बाद ईरान ने यह धमकाया था की, ‘यदि ईरान को ईंधन निर्यात करने का अवसर नही मिलता है तो होर्मुझ की खाडी से अन्य कोई भी देश ईंधन निर्यात कर नही सकेगा।’
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