वॉशिंग्टन/बीजिंग – तैवान को हथियारों की आपुर्ति करके अमरिका चीन को अपना शत्रु ना करें, यह इशारा चीन ने दिया था| इस पर जवाब देते समय अमरिका ने तैवान के साथ बना सहयोग जारी रहेगा, यह बात डटकर स्पष्ट की है| साथ ही ‘अमरिका तैवान से कर रही लष्करी सहायता से इस क्षेत्र में बने लष्करी संतुलन पर असर नही होगा| इस लष्करी सहायता की वजह से वर्तमान एवं भविष्य में क्षेत्रीय खतरों का सामना करने की तैवान की क्षमता और तैवान की अंतर्गत सुरक्षा मजबूत होगी’, यह फटकार अमरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने लगाई है|
अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के लिए लष्करी सहायता करनेसंबंधी की हुई घोषणा पर विदेश मंत्रालय ने सोमवार के दिन अहम निर्णय किया| अमरिकी विदेश मंत्रालय ने तैवान के लिए २.२ अरब डॉलर्स के हथियारों की आपुर्ति करने के लिए मंजुरी दी| इसके तहेत अमरिका से तैवान को १०८ एबरॅम्स टैंक, २५० विमान विरोधी स्टिंगर मिसाइल और इससे जुडा सामान एवं तकनीक की आपुर्ति होगी| तैवान के लिए घोषित की गई इन हथियारों की सहायता की जानकारी अमरिकी कांग्रेस को दी गई है और अगले दो महीनों में इस पर अंतिम निर्णय होगा, यह भी अमरिकी विदेश मंत्रालय ने घोषित किया है|
अमरिका के इस निर्णय पर चीन ने क्रोध व्यक्त किया है| चीन के उप-विदेशमंत्री ली युचेंग ने बीजिंग में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में अमरिका को धमकाया| ‘तैवान के साथ सहयोग स्थापित करके आप चीन को शत्रु बना रहे है| इसके विनाशक परिणाम भुगतने होंगे’, यह धमकी युचेंग ने दी है| चीन के उप-विदेशमंत्री ने जाहीर तौर पर अमरिका का जिक्र किया नही है, फिर भी ट्रम्प प्रशासन ने तैवान के लिए २.२ अरब डॉलर्स के हथियारों की सहायता करने का ऐलान करने के बाद चीन ने यह प्रतिक्रिया दर्ज की है, ऐसा दिख रहा है|
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने अमरिका को वन चाइना पॉलिसी की याद दिलाई| वन चाइना पॉलिसी का अमरिका आगर करें, यह निवेदन शुआंग ने किया| साथ ही तैवान यह चीन का अविभाज्य क्षेत्र है और वहां के प्रशासन के साथ सहयोग करना चीन की सार्वभूमता और सुरक्षा को चुनौती देनेवाला होगा’, इन शब्दों में शुआंग ने अमरिका पर आलोचना की|
लेकिन, अमरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने तैवान के साथ किए लष्करी सहयोग का समर्थन किया| अमरिका और तैवान के बीच लष्करी सहयोग होने से इस क्षेत्र में लष्करी संतुलन प्रभावित नही होगा, यह दावा पेंटॅगॉन ने किया| साथ ही इस सहयोग की वजह से तैवान के लष्करी सामर्थ्य में बढोतरी होगी| वर्तमान और भविष्य में क्षेत्रीय खतरों का सामना करने के लिए तैवान के लष्करी सामर्थ्य में बढोतरी होना जरूरी है, यह कहकर पेंटॅगॉन ने इस देश को चीन से खतरा होने की बात रेखांकित की है|
तैवान यह ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में अहम सहयोगी देश होने की बात अमरिका ने पीछले महीने में घोषित की थी| साथ ही ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र के देशों की बैठक में तैवान की नौसेना का झंडा रखकर अमरिका ने चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ को झटका दिया था| राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने तैवान के साथ सियासी एवं लष्करी सहयोग को विशेष अहमियत दी है|
इस दौरान अमरिका और तैवान के बीच बने लष्करी सहयोग पर आपत्ति जताकर चीन ने तैवान पर लष्करी दबाव बढाने की शुरूआत की है| पीछले महीने में चीन के लडाकू विमान, विध्वंसकों ने तैवान की सीमा के निकट गश्त की थी| ऐसे में तैवान ने भी चीन को जवाब देने के लिए अपनी लष्करी तैयारी में बढोतरी करने का ऐलान किया था|
इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:
https://twitter.com/WW3Info | |
https://www.facebook.com/WW3Info |