चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ को जापान और यूरोपिय महासंघ ने दिया झटका

चीन के महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ को जापान और यूरोपिय महासंघ ने दिया झटका

ब्रुसेल्स/टोकियो : चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ऍण्ड  रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआई) परियोजना सुरक्षा के लिए खतरा होने का ऐलान करने के बाद मात्र २४ घंटों में जापान ने इस परियोजना को जोरदार झटका दिया है| चीन के प्रभाव को लगातार चुनौती दे रहे जापान ने यूरोपिय महासंघ के साथ ‘ईयू एशिया कनेक्टिव्हिटी प्लैन’ के समझौते पर हस्ताक्षर किए है| इस के तहेत करीबन ६५ अरब डॉलर्स से भी अधिक निवेश किया जाएगा और लंबे समय तक चलनेवाले, कानून का पूरी तरह से पालन कररहे और पर्यावरण की रक्षा करनेवाली परियोजना का निर्माण इस समझौते की खास बात होगी, यह भरोसा जापान के प्रधानमंत्री शिंझो एबे ने दिया है|

‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ यानी ‘बीआरआई’ परियोजना के तहेत चीन ने रशिया, एशिया एवं अफ्रीकी देशों के साथ सीधे यूरोप से जुडने के लिए बडे प्लैन पर काम शुरू किया है| यूरोपिय देशोंतक रास्ते एवं रेल मार्ग का निर्माण करके व्यापारी सहयोग बढाने की कोशिश करने का दावा चीन कर रहा है| इसके लिए चीन ने करीबन एक ट्रिलियन डॉलर्स का निवेश किया है| इसमें एशिया, यूरोप और अफ्रीका के करीबन ५० से अधिक देश शामिल होने की बात चीन ने कही है|

 

लेकिन, चीन की यह महत्वाकांक्षी परियोजना दुनियाभर में अपना प्रभावक्षेत्र तैयार करने की कोशिश का हिस्सा है, यह आलोचना पिछले कुछ वर्षों में तीव्रता के साथ हो रही है| साथ ही इस परियोजना के तहेत चीन ने छोटे देशों कों कर्ज के फंदे में फंसाना शुरू किया है, यह बात मलेशिया, श्रीलंका एवं अफ्रीकी देशों की घटनाओं से स्पष्ट हुई है| पाकिस्तान जैसे मित्रदेश में भी चीन की इस परियोजना को बडा विरोध हो रहा है और इस कारण चीन की महत्वाकांक्षा को बडे झटके लगते दिखाई दे रहे है|

इसी पृष्ठभूमि पर जापान के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया एक हो रहे है और चीन की ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ यानी ‘बीआरआई’ परियोजना को चुनौती देने की कोशिश कर रहे है| जापान और यूरोपिय महासंघ ने शुक्रवार के दिन किया समझौता इन्हीं कोशिशों का हिस्सा समझा जा रहा है| चीन ने ‘बेल्ट ऍण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ यानी की ‘बीआरआई’ के लिए यूरोप में भी बडा निवेश करने का कदम उठाया है| लेकिन, इसे अब यूरोपिय महासंघ ने ही विरोध किया है और विकल्प के तौर पर अन्य परियोजना तैयार करना शुरू किया है| इसके लिए ‘ईयू एशिया कनेक्टिव्हटी’ की परियोजना तैयार करने का काम हो रहा है और चीन का विरोध कर रहे जापान की सहायता पाकर यूरोपिय देशों ने चीन को बडा झटका दिया है|

‘ईयू एशिया कनेक्टिव्हिटी’ के तहेत ‘इंडो पैसिफिक’ क्षेत्र को यूरोप और अफ्रीका से जोडने के लिए कई परियोजना शुरू की जा रही है और इसके लिए करीबन ६५ अरब डॉलर्स से भी अधिक निवेश हो रहा है|

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