वॉशिंग्टन – अपने देश में स्थित अमरिका का लष्करी अड्डा बंद करके इस अड्डे पर तैनात अमरिकी सैनिकों को देश के बाहर निकालने का प्रस्ताव इराक की संसद ने सहमति के साथ पारित किया है| इस निर्णय पर क्रोधित हुए अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने कडे शब्दों में इराकी नेताओं के कान खिंचे है| ‘अमरिकी सेना इराक से पीछे नही हटेगी| ऐसा करना है तो इराक में स्थित अमरिका के लष्करी अड्डे के लिए किया गया अरबों डॉलर्स का खर्च अदा करें| इसके बाद ही अमरिकी लष्करी अड्डा छोडने के लिए कहा गया तो ईरान पर लगाए प्रतिबंध सौम्य लगेंगे, इतने कडे प्रतिबंध इराक के विरोध में लगाएंगे’, ऐसी कडी चेतावनी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने दी है|
इराक की संसद में अमरिकी सैनिकों को अपने देश से बाहर निकालने के लिए प्रस्ताव रखा गया था| यह प्रस्ताव पारित करके इराक की संसद ने अमरिकी सेना को इराक से बाहर निकल जाने की चेतावनी दी| ईरान समर्थक यह पहचान बनी इराक के प्रधानमंत्री अदेल महदी ने अमरिकी सेना को इराक से बाहर निकालने के लिए रखे प्रस्ताव का समर्थन किया| पर, इस पर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने बडा गुस्सा व्यक्त किया है|
‘अमरिका ने इराक में काफी बडा निवेश करके हवाई अड्डे का निर्माण किया है| इस हवाई अड्डे का निर्माण करने के लिए अमरिका ने अरबों डॉलर्स खर्च किए है| इस वजह से जबतक इराक इन अरबों डॉलर्स का भुगतान करता नही तबतक अमरिका इराक से बाहर नही निकलेगी| उसके बाद भी यदी अमरिका को बाहर निकलने को कहा गया तो फिर ईरान पर लगे प्रतिबंध सौम्य होने का एहसास होगा, ऐसे कडे प्रतिबंध अमरिका इराक के विरोध में लगाएगी’, यह इशारा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दिया है|
इसके अलावा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने ईरान को भी धमकाया है| ‘ईरान ने अमरिकी नागरिकों की हत्या करना चलता है| वह हमारें नागरिकों को पीडा देना उन्हें अपाहिज करना चलता है| रास्तों पर बम धमाके करके हमारें नागरिकों को ढेर किया हुआ भी चलता है| पर, हम उनके सांस्कृतिक केंद्र पर हमला नही कर सकतें? यह बर्दाश्त करना मुमकिन नही’, यह कहकर राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इसके आगे भी ईरान के ठिकानों को लक्ष्य किया जाएगा, यह एहसास भी दिलाया|
इसी बीच, इराक के प्रधानमंत्री माहदी और अन्य नेताओं ने अमरिका के विरोध में भूमिका अपनाई है और उन्हें कुछ मात्रा में समर्थन भी प्राप्त हो रहा है| पर, इराक में कुछ लोगों ने अमरिका के पक्ष में समर्थन दिया है और ईरान को कडा विरोध जता रहे है| पिछले दस वर्षों के दौरान ईरान ने इराक पर बडी मात्रा में अपना प्रभाव बनाया है और इसे इराकी जनता विरोध कर रही है| एक समय पर इराक स्थित पुख्ता ईरान समर्थक शियापंथी नेता के तौपर पर जाने जा रहे मुक्तदा अल सत्र ने भी सुलेमानी और मुहानदिन के मारे जाने के बाद इराकी नागरिक अपनी देश को बचाने के लिए तैयार रहें, यह बयान करके इशारा भी दिया था| इस वजह से इराक की ईरान समर्थक सरकार के निर्णय को इराक में ही चुनौती मिलने की बात स्पष्ट हो रही है|
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