मास्को – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार के दिन संसद में किए भाषण के दौरान रशियन संविधान में सुधार करने का प्रस्ताव घोषित किया| इस प्रस्ताव में राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री के अधिकार कम करके संसद को ज्यादा अधिकार देने का प्रावधान है| पुतिन ने किए इस ऐलान के बाद दिमित्रि मेदवेदेव ने प्रधानमंत्री पद समेत मंत्रिमंडल का इस्तीफा दिया है और इसके बाद मिखाईल मिशुस्ति को रशिया के नए प्रधानमंत्री बनाया गया है| पुतिन की यह चाल वर्ष २०२४ के बाद देश पर सियासी पकड बरकरार रखने के लिए खेला गया दांव होने का दावा विश्लेषक कर रहे है|
वर्ष २०१८ में दुसरी बार राष्ट्राध्यक्ष बने व्लादिमीर पुतिन का कार्यकाल वर्ष २०२४ में खतम हो रहा है| इसके बाद वह राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर कार्यरत रहना संविधान के अनुसार संभव नही| इसी वजह से रशिया पर अपनी पकड बरकरार रखने के लिए पुतिन ने अपनी गतिविधियां शुरू की है, यह बात बुधवार के दिन उन्हों ने किए भाषण से रखे प्रस्ताव से दिख रही है| अपने भाषण में पुतिन ने संसद और संसद के सियासी दल एवं सांसदों के अधिकार बढाने के संकेत दिए| रशिया में राष्ट्राध्यक्ष व्यवस्था बरकरार रहती है तो भी वर्तमान की तुलना में उनके अधिकार कम हुए होंगे, यह संभावना भी पुतिन ने रखें प्रस्ताव से दिख रही है|
घटना में किए सुधारों का ऐलान करने के साथ ही यह सुधार रशियन जनता ने मंजूर करना जरूरी और और इसके लिए सार्वमत करना होगा, यह घोषणा भी पुतिन ने की है| इस वजह से वर्तमान वर्ष में रशिया में चुनाव होंगे, यह संभावना भी सूत्रों ने व्यक्त की है| पुतिन के भरोसे के नेता समझे जानेवाले मेदवेदेव ने पुरे सरकार का इस्तीफा देना इसी योजना का हिस्सा होगा, यह दावा भी किया जा रहा है| मेदवेदेव ने प्रधानमंत्री पद का इस्तीफा दिया हो, फिर भी उन्हें सिक्युरिटी कौन्सिल के उपप्रमुख नियुक्त किया गया है|
साथ ही रशिया की ‘टैक्स सिस्टि’ के प्रमुख मिखाईल मिशुस्तिन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है| उनकी नियुक्ती को संसद ने मंजुरी देने की बात भी सामने आयी है| मिशुस्तिन यह अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाते है| साथ ही कुछ दिन पहले पुतिन ने घोषित की हुई महत्वाकांक्षी योजना पर अमल करने की जिम्मेदारी भी उन्हें दी जाएगी, यह बताया जा रहा है|
राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की इस खेली के पीछे वर्ष २०२४ के बाद रशिया पर पकड बरकरार रखने के उद्देश्य के साथ ही पिछले दो वर्षों में बनी रशियन जनता की नाराजगी दूर करने का उद्देश्य भी होगा, यह अंदाजा पश्चिमी विश्लेषक व्यक्त कर रहे है|
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