मॉस्को/दमास्कस – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन अब सीरियन राष्ट्राध्यक्ष बशर अल अस्साद पर नाराज़ हुए हैं और अस्साद को हटाने की गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं, यह दावा प्रसार माध्यमों ने किया है। अस्साद पर ईरान और ईरान समर्थक लॉबी का बना प्रभाव ही, पुतीन की इस नाराज़गी का प्रमुख कारण होने की बात सामने आयी है। पिछले महीने में रशियन माध्यमों में अस्साद के विरोध में प्रसिद्ध हुए लेख और रशिया में स्थित सूत्रों से प्राप्त हुई जानकारी के आधार पर ये दावे होने की बात कही गई है।
पिछले महीने में रशियन सरकार से नज़दिकी रखनेवाले माध्यमों ने, अस्साद के विरोध में एक लेख की श्रृंखला प्रकाशित की थी। इन लेखों में, अस्साद भ्रष्टाचारी और कमज़ोर नेता होने की जानकारी बयान की गई थी। सीरिया में एक सर्वे किया गया और उसमें मात्र ३२ प्रतिशत जनता अस्साद का समर्थन करती है, यह बात भी इस लेख में कही गई थी। सन २०२१ में सीरिया में होनेवाले चुनाव में अस्साद को विजयी होने का अवसर नहीं मिलेगा, यह दावा भी रशियन लेख में किया गया था।
कुछ दिनों बाद लेख की यह श्रृंखला इंटरनेट से हटाई गई। इसके बाद रशियन समाचार चैनल की, अरबी भाषा में उपलब्ध की गई वेबसाईट पर, एक समय पर अस्साद के समर्थक रहे कारोबारी की मुलाकात प्रकाशित की गई। इसमें, बशल अल अस्साद एक डूबता जहाज़ है और रशिया इसकी साथ छोड़ दें, यह सलाह भी इस कारोबारी ने दी हुई दिखाई दे रही थी।
इसके साथ ही, अस्साद के अंदरूनी दायरे के ‘रामी मखलौफ’ की हुई गिरफ़्तारी और उनके बीच हुए मतभेद, इनके पीछे भी रशिया का दबाव होने की बात समझी जा रही है। मखलौफ यह अस्साद की हुकूमत में ईरान लॉबी का हिस्सा हैं और सीरिया की ५० प्रतिशत से भी अधिक अर्थव्यवस्था पर उसका नियंत्रण होने की बात समझी जाती है। मखलौफ के साथ ही, अस्साद की हुकूमत में मौजूद ईरान समर्थक और उनकी ओर से हो रहे निर्णय, रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के लिए सिरदर्द बने थे, ऐसे दावें भी रशियन सूत्र कर रहे हैं।
पुतिन की खाड़ी क्षेत्र से संबंधित नीति में सीरिया अहम अंग है और इस नीति की कामयाबी रशिया के लिए अहम है। लेकिन, अपनी ही हुकूमत बरकरार रखने के लिए रशिया की सहायता प्राप्त करनेवाले अस्साद, सियासी सुधार एवं पुनःनिर्माण के लिए रशिया की ओर रुख करने से क़िनारा कर रहे हैं।
सीरिया में विपक्षियों के साथ बातचीत करने से किया हुआ इन्कार, तुर्की के नियंत्रणवाले क्षेत्र पर ईरान के सहयोग से किये हुए हमलें और ईरानी कंपनियों को प्रदान हो रहे कान्ट्रैक्ट भी इसी का हिस्सा होने की बात समझी जा रही हैं। इस वज़ह से रशिया से भी नाराज़गी के संकेत देना शुरू हुआ है। सीरिया पर बढ़ रहें इस्रायल के हमलें और उसकी तरफ़ रशिया ने की हुई अनदेखी, यह रशिया ने अस्साद और ईरान इन दोनों को दिया हुआ संदेश है, यह दावा रशियन सूत्रों ने किया हैं।