अम्मान – ‘एक राष्ट्र यही हल होने का पुरस्कार करनेवाले नेताओं को, उसका वास्तविक अर्थ क्या है, इसका एहसास नहीं है। यदि पॅलेस्टिनी नॅशनल अथॉरिटी ढ़ह गयी, तो आखात में कट्टरवाद और अराजक फ़ैलेगा। इस्रायल ने यदि जुलाई महीने में वेस्ट बँक के भूभाग पर वाक़ई अपना कब्ज़ा कर लिया, तो उन्हें जॉर्डन के साथ बहुत बड़ा संघर्ष करना पड़ेगा’, ऐसे तीख़े शब्दों में जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह ने इस्रायल-जॉर्डन युद्ध की चेतावनी दी।
इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यानाहू ने पिछले वर्ष इस्रायल की पूर्वीय ओर की सीमा के रूप में जॉर्डन व्हॅली पर अधिकार स्थापित करने की घोषणा की थी। इस्रायल की इस योजना को अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने भी समर्थन दिया है। लेकिन आखाती देश और युरोप ने इस्रायल और अमरीका की योजनाओं का तीव्र विरोध किया है। युरोपीय महासंघ ने हाल ही में इस्रायल के विरोध में राजनैतिक गतिविधियाँ अधिक तेज़ करने का निर्णय लिया है।
इस पृष्ठभूमि पर, जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह ने जर्मन साप्ताहिक को दिये इंटरव्यू में, इस्रायल के विरोध में युद्ध छेड़ने की चेतावनी दी। ‘मैं फ़िज़ूल में धमकियाँ देना नहीं चाहता और संघर्ष का माहौल बनाना नहीं चाहता। लेकिन जॉर्डन सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है’, ऐसे शब्दों में जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह ने इस्रायल के विरोध में युद्ध के लिए जॉर्डन तैयार होने के संकेत दिये।
आखात के कर्र् देशों ने अभी भी इस्रायल को मान्यता नहीं दी। लेकिन इजिप्त और जॉर्डन इन दो देशों ने शांतीकरार करके इस्रायल को मान्यता दी है। इजिप्त ने सन १९७९ में और जॉर्डन ने सन १९९४ में इस्रायल के साथ शांतिसमझौते पर हस्ताक्षर किये थे। इस कारण, अन्य आखाती देशों की तुलना में जॉर्डन की इस्रायलसंदर्भ की भूमिका काफ़ी हद तक उदार रही है। इस पृष्ठभूमि पर जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह ने इस्रायल को दी हुई यह धमकी ग़ौरतलब साबित होती है।
अमरीका द्वारा जेरुसलेम को इस्रायल की राजधानी घोषित करना, उसके बाद इस्रायल-पॅलेस्टाइन को दिया नया शांतिप्रस्ताव और इस्रायली प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू द्वारा जॉर्डन व्हॅली और अन्य भाग को कब्ज़े में करने की घोषणा; इनपर जॉर्डन ने तीव्र असंतोष व्यक्त किया था। जॉर्डन का यह असंतोष अब इस्रायल को युद्ध की चेतावनी देने के स्तर पर पहुँचा होकर, इसकी बहुत बड़ी गूँजें आखाती क्षेत्र में सुनायी दे सकतीं हैं। इस्रायल का विरोध करनेवाले आखात के देश और संगठन इस मुद्दे पर जॉर्डन का समर्थन कर सकते हैं। इस कारण, आखात में इस्रायल के विरोध में ग़ुस्सा बढ़ने की संभावना है।
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