लंदन/टोकिओ – हाँगकाँग में नया सुरक्षा कानून जारी करने की योजना चीन रद करें और इस मुद्दे से पीछे हटें, ऐसी चेतावनी ब्रिटन के विदेशमंत्री डॉमिनिक राब ने दी है। पिछले वर्ष हाँगकाँग में चीन के विरोध में हुए प्रदर्शनों की रिपोर्ट ब्रिटीश संसद में पेश की गयी। इसपर बात करते समय, ब्रिटन के विदेशमंत्री ने चीन की शासक कम्युनिस्ट हुकूमत को खरी खरी सुनायी। ब्रिटन के साथ ही, जापान ने भी हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई है और ‘जी-७’ गुट ने हाँगकाँग के मुद्दे पर स्वतंत्र निवेदन की माँग सामने रखी है।
कोरोना वायरस की महामारी फैल रही है और तभी अपनी वर्चस्ववादी और विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहें चीन के विरोध में आंतर्राष्ट्रीय समुदाय फिलहाल काफ़ी आक्रामक हुआ है। साउथ चायना सी, ५-जी तकनीक, विदेश में किया निवेश और हाँगकाँग, इन जैसें मुद्दों पर चीन को निशाना किया जा रहा है। अमरीका, ब्रिटन और सहयोगी देश इस मामले में आगे हैं। ब्रिटन के विदेशमंत्री ने दी हुई चेतावनी भी इसी का हिस्सा है। ब्रिटीश संसद में हाँगकाँग से संबंधित रिपोर्ट रखते समय विदेशमंत्री राब ने चीन की हुक़ूमत को पीछे हटने की चेतावनी दी।
हाँगकाँग की स्वायत्तता और हाँगकाँग के आंतर्राष्ट्रीय समझौतें, इनका चीन सम्मान करें। हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन जो भी कुछ हरकतें कर रहा है, उसपर पुनर्विचार करने के लिए चीन के हाथ में अभी भी समय है। हाँगकाँग का मसला चरमसीमा तक पहुँचने से पहले ही चीन पीछे हटें, यह चेतावनी ब्रिटन के विदेशमंत्री ने चीन को दी है। इस समय, विदेशमंत्री राब ने, अगले तीन महीनों में हाँगकाँग में होनेवाले चुनाव के और सायमन चेंग इस ब्रिटीश कर्मचारी के मुद्दों पर भी चीन को लक्ष्य किया है।
‘सितंबर महीने में हाँगकाँग में होनेवाले चुनाव खुले और निर्भय माहौल में करवाने होंगे। उसमें किसी भी प्रकार का दबाव या हिंसाचार नहीं होना चाहिए, इन ठेंठ शब्दों में ब्रिटिश विदेशमंत्री ने चीन को लक्ष्य किया। सायमन चेंग इस ब्रिटिश कर्मचारी के साथ चीन में हुए गैरबर्ताव को लेकर चीन सरकार से उचित जवाब प्राप्त नही हुआ है, इस ओर भी राब ने ध्यान आकर्षित किया। चीन ने रक्षा कानून संबंधित निर्णय में बदलाव ना करने पर, हाँगकाँग के नागरिकों को ब्रिटन की नागरिकता प्रदान करने के मुद्दे पर ब्रिटन की सरकार कायम है, यह बात भी विदेशमंत्री राब ने दोहराई।
पिछले हफ्ते में ही ब्रिटन और चीन के बीच हाँगकाँग के मुद्दे पर राजनीतिक संघर्ष भड़का था। ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने, हाँगकाँग के ३० लाख निवासियों को ब्रिटन की नागरिकता देने की तैयारी शुरू की है, यह चेतावनी दी थी। प्रधानमंत्री जॉन्सन की इस चेतावनी पर गुस्सा हुए चीन ने उल्टा ब्रिटन को ही धमकाया था। ‘ब्रिटन ही एक कदम पीछे हटकर, अपनी शीतयुद्ध की मानसिकता और उपनिवेशवादी नज़रिया छोड़ दें। हाँगकाँग चीन को दिया गया है, इस सच्चाई का स्वीकार करके उसका सम्मान करें’ इन शब्दों में चीन के विदेश विभाग ने ब्रिटन के प्रधानमंत्री को फ़टकार लगाई थी।
इसी बीच, ब्रिटन के साथ ही, अब हाँगकाँग के मुद्दे पर जापान भी आक्रामक हुआ है। जापान के प्रधानमंत्री एबे शिंझो ने, देश की संसद में हाँगकाँग का मुद्दा पेश करते समय ‘जी-७’ गुट हाँगकाँग के लिए स्वतंत्र निवेदन जारी करें, यह माँग की थी। इस दौरान उन्होंने, इस निवेदन के लिए जापान पहल करेगा और अन्य देशों से बातचीत भी करेगा, यह स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री एबे ने, हाँगकाँग में कार्यरत कंपनियों के कुशल कर्मचारियों का जापान में स्वागत होगा, ऐसे संकेत भी दिए। जापान की इस भूमिका की वजह से, नज़दीकी दौर में हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन और जापान के बीच नये से तनाव निर्माण होने की संभावना बनी है।
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