वॉशिंग्टन – अमरीका द्वारा ‘पिपल्स रिपब्लिक ऑफ चायना’ के संदर्भ में दिखाई जा रही निष्क्रियता और भोलेपन के दिन अब ख़त्म हुए हैं। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के नेतृत्व में अमरीका को, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की हरकतें और खतरों का एहसास होना शुरू हुआ है, ऐसें सीधे और आक्रामक शब्दों में अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने चीन के शासकों को खरी खरी सुनाई है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने इस समय, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग अपने आप को को दिवंगत रशियन तानाशाह जोसेफ स्टॅलिन के वारिस मानते है, ऐसी फ़टकार भी लगाई।
विश्वभर में लाखों लोगों की मौत का कारण बनी कोरोना की महामारी के पीछे चीन ही सूत्रधार होने का आरोप करके, अमरीका ने चीन के विरोध में आक्रामक राजनीतिक संघर्ष शुरू किया है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इसके लिए पहल की है और विश्व के अन्य देशों को भी कोरोना के साथ साथ, चीन से बनें अन्य खतरों से अवगत कराया जा रहा है। चीन ने अमरीका में शुरू की हुई हरकतों को रोकने के लिए, प्रशासन ने कई अहम और बड़े निर्णय किए हैं और अमरिकी जनता को चीन की साज़िशों की जानकारी प्रदान करने के लिए मुहिम भी छेड़ी गई हैं। इसी के एक हिस्से के तौर पर, ट्रम्प प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी अमरीका के अलग अलग हिस्सों में जाकर चीन संबंधित भूमिका पेश करेंगे।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओब्रायन ने चीन पर की हुई आलोचना इसी की शुरुआत होने की बात समझी जा रही है। अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ, एटर्नी जनरल विल्यम बार और जाँच यंत्रणा एफबीआय के संचालक ख्रिस्तोफर रे समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों का इसमें समावेश रहेगा। कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी जनता के मन में चीन के विरोध में तीव्र असंतोष है और इस पृष्ठभूमि पर, अमरिकी प्रशासन ने शुरू की हुई यह कोशिश ग़ौरतलब साबित होती हैं।
‘अमरीका का लक्ष्य चीन की जनता नहीं, बल्कि चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी है। दिनबदिन तरक्की कर रहे चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी अपनी जनता की जनतंत्रवादी आकांक्षाओं को खुली साँस लेने का अवसर देगी, ऐसी भावना अमरीका रखती थी। इस साहसी विचार के पीछे, अमरीका ने सोवियत रशिया के कम्युनिझम पर प्राप्त की हुई जीत और प्रचंड उम्मीद, इनकी ताक़त थी। लेकिन, दुर्भाग्यवश अमरीका की यह उम्मीद भोलापन होने की बात साबित हुई’ ऐसा कहकर ओब्रायन ने, चीन संबंधित अमरीका की रही नीति, अमरिकी विदेश नीति की सबसे बड़ी असफलता समझनी होगी, यह दावा भी किया।
‘चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी को उन्हीं के तत्त्वों के आधार पर विश्व की पुनर्रचना करनी है और चीन की सीमा से बाहर रहनेवाले लोगों के विचारों पर भी नियंत्रण प्राप्त करना हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की यह नीति अमरिकी जीवनपद्धती और मूल्यों के लिए काफ़ी घातक है। अमरीका का लक्ष्य चीन या चीन की जनता नहीं, बल्कि हमारा विरोध केवल कम्युनिस्ट पार्टी को है और कम्युनिस्ट पार्टी यानी चीन नहीं’ ऐसें कड़े शब्दों में अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने फिर एक बार कम्युनिस्ट पार्टी से बने खतरों का एहसास कराया है।
राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के सहयोगी चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से बने खतरों का एहसास करा ही रहे हैं कि तभी अमरिकी प्रशासन ने चीन के शासकों के विरोध में शुरू की हुई कार्रवाई का शिकंजा और भी कसा जा रहा है। अमरिकी रक्षा विभाग ने बुधवार के दिन चीन की ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ से संबंधित २० चिनी कंपनियों की सूचि जारी की है। अमरीका के ‘१९९९ नैशनल डिफेन्स ऑथोरायझेशन एक्ट’ के अनुसार अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष को इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार प्राप्त हैं। इन कंपनियों में हुवेई, हाईकव्हिजन, चायना मोबाईल, एव्हिक, पांडा इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रुप जैसी शीर्ष कंपनियों का समावेश है। इनमें से कुछ चीनी कंपनियों पर अमरिकी प्रशासन ने पहले ही प्रतिबंध लगाए हैं।
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