ताइपेई – चीन की हुकूमत तैवान की सीमा के करीबी क्षेत्र में अपनी लष्करी तैनाती में तेज़ गति से बढ़ोतरी करती दिख रही हैं। तैवान की समस्या शीघ्रता में ख़त्म करने का उद्देश्य इसके पीछे होने की बात दिखाई दे रही हैं। चीन की ये गतिविधियाँ तैवान पर चीन का हमला होने का ख़तरा बढ़ने के संकेत दे रही हैं, ऐसी गंभीर चेतावनी तैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वु ने दी हैं। चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने कुछ दिन पहले ही यह धमकी दी थी कि चीन की सेना ने हमला करने पर कुछ ही घंटों में तैवान पर कब्ज़ा होगा।
‘चीन के लड़ाकू विमान लगभर हररोज़ तैवान की सीमा से जा टकरा रहे हैं। पिछले महीने में चीन के लड़ाकू विमानों की हो रही घुसपैठ मात्रा आम तौर से भी अधिक होने की बात सामने आयी हैं। तैवान की समुद्री सीमा में भी लगातार आक्रामक गतिविधियाँ हो रही हैं। चीन के रक्षाबलों ने तैवान पर हमला करने का उद्देश्य सामने रखकर लगातार युद्धाभ्यास करना शुरू किया है। चीन की बढ़ती गतिविधियाँ हमारे लिए तीव्र चिंता का विषय बना हैं’, इन शब्दों में तैवान के विदेशमंत्री ने चीन का हमला होने की ख़तरें की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
कोरोना की महामारी, धीमी हो रही अर्थव्यवस्था और बाढ़ की स्थिति संभालने में चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत नाकाम हुई हैं। इस वज़ह से इस हुकूमत पर अंदरुनि दबाव काफ़ी मात्रा में बढ़ चुका हैं। इस नाकामी से जनता का ध्यान हटाने के लिए तैवान को लक्ष्य करके उसपर हमला किया जा सकता है, इस बात का एहसास विदेशमंत्री वु ने कराया है।
इस समय तैवान के विदेशमंत्री ने, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग पर की हुई कार्रवाई की भी याद ताज़ा की। यदि आंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने हाँगकाँग के मुद्दे पर चीन को कड़ा संदेशा नहीं दिया, तो मुँहज़ोर हुई चीन की हुकूमत अन्य मुद्दों पर भी यही रवैया दोहराएगी, यह ड़र भी विदेशमंत्री वु ने व्यक्त किया है। चीन के हमले का मुकाबला करना है, तो तैवान को अमरीका और जापान जैसें सहयोगी देशों के साथ अधिक से अधिक सहयोग बढ़ाना होगा, यह दावा भी उन्होंने किया है।
कोरोना की पृष्ठभूमि पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत साउथ चायना सी एवं ईस्ट चायना सी क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेगी, यह चेतावनी वरिष्ठ अमरिकी सेना अधिकारी ने मई महीने में ही दी थी। यह चेतावनी देने से पहले एवं उसके बाद के दिनों में चीन ने तैवान के विरोध में अपनी गतिविधियों में बढ़ोतरी करने की बात दिखाई दे रही है। मई महीने के अन्त में चीन मे हुई एक बैठक के दौरान, कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने एवं लष्करी अधिकारियों ने तैवान पर हमला करने के लिए यही उचित अवसर होने की भूमिका बड़ी आग्रहता के साथ रखी थी। त्साई इंग-वेन का दोबारा तैवान की राष्ट्राध्यक्षा होना, चीन की इस विचारधारा का प्रमुख कारण है और इसकी वज़ह से चीन ने तैवान के विरोध में अपनाया रवैया और भी आक्रामक होता दिखाई दे रहा है।
चीन ने तैवान के विरोध में शुरू की हुई आक्रामक गतिविधियों पर प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका ने भी जोरदार तैयारी करना शुरू किया हैं। पिछले कुछ महीनों में अमरीका ने बड़ी मात्रा में तैवान को रक्षा सामान की आपूर्ति करना शुरू किया है। इसमें लड़ाकू विमान, ‘हार्पून’ मिसाइल्स, ‘पैट्रिऑट मिसाईल्स सिस्टिम’ समेत टोर्पेडो मिसाइल्स का भी समावेश है। अमरीका ने अपने विमान वाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, बॉम्बर्स, ड्रोन्स एवं गश्ती विमानों की तैनाती एवं मौजुदगी भी बढ़ाई है। साथ ही तैवान पर होनेवाले संभावित हमले के विरोध में अमरीका को लष्करी कार्रवाई करने की अनुमति प्रदान करने से संबंधित कानून लाने के संकेत भी दिए गए हैं। ‘तैवान इन्व्हेजन प्रिव्हेंशन ॲक्ट’ इस नाम के कानून का विधेयक अमरिकी संसद में रखा गया हैं और इसके अनुसार अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष को, तैवान के मसले में लष्करी ताकत का प्रयोग करने की अनुमति प्रदान की जा रही है।
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