रशिया के हमलों के बाद तुर्की सीरिया के लष्करी अड्डे से पीछे हटा

रशिया के हमलों के बाद तुर्की सीरिया के लष्करी अड्डे से पीछे हटा

इदलिब/अंकारा – रशियन लड़ाकू विमानों ने बीते सप्ताह में किए आक्रामक हवाई हमलों की पृष्ठभूमि पर तुर्की ने उत्तरी सीरिया के शिर मघार लष्करी अड्डे से वापसी की है। कुछ ही दिन पहले इदलिब के सबसे बड़े मोरेक अड्डे से भी तुर्की पीछे हटा था। तुर्की ने बीते कुछ वर्षों में सीरिया के साथ लीबिया, ग्रीस, सायप्रस, पैलेस्टिन और आर्मेनिया-अज़रबैजान के मुद्दे पर बड़ी मात्रा में दखलअंदाज़ी शुरू की थी। सीरिया के मुद्दे पर तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने रशिया और अमरीका को धमकाना भी शुरू किया था। इस पृष्ठभूमि पर तुर्की ने पीछे हटना शुरू करना ध्यान आकर्षित करता है।

लष्करी अड्डे

तुर्की ने वर्ष २०१८ में सीरिया में अपनी गतिविधियों का दायरा बढ़ाकर इदलिब और नज़दिकी इलाके में लगभग १२ लष्करी अड्डे और आउटपोस्ट्स का निर्माण किया था। इन अड्डों पर तुर्की के १० से १५ हज़ार सैनिक तैनात किए गए थे। तुर्की समर्थक आतंकी गुटों के सदस्यों को प्रशिक्षण एवं आश्रय देने के लिए भी इन अड्डों का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन, इस वर्ष के शुरू में रशिया समर्थक सीरियन सेना ने इदलिब के करीबी इलाके में अहम ठिकानों पर कब्ज़ा किया था। इस वजह से तुर्की समर्थक गुटों के साथ तुर्की की सेना को झटका लगा था। इसके बाद रशिया और तुर्की ने इस क्षेत्र में युद्धविराम के लिए समझौता किया था।

लष्करी अड्डे

इस समझौते के बाद भी तुर्की और समर्थक आतंकी गुटों की इस क्षेत्र में गतिविधियां जारी रखी हैं, यह दावे सीरियन सरकार ने किए थे। इस क्षेत्र में तुर्की की सीमा के करीब ‘फयलाक अलशाम’ नामक आतंकी संगठन के बड़े अड्डे हैं और इस जगह पर आतंकियों की भर्ती की जाती है। बीते कुछ वर्षों में तुर्की ने सीरिया की अस्साद हुकूमत के विरोध में संघर्ष के लिए ‘फयलाक’ के आतंकियों का बड़ा इस्तेमाल किया है। लीबिया के संघर्ष में भी इसी गुट के आतंकियों को उतारा गया था। बीते कुछ सप्ताहों से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच हो रहे युद्ध में भी तुर्की ने ‘फयनाक’ के आतंकियों को आर्मेनिया के खिलाफ उतारने का दावा किया जा रहा है। लीबिया और आर्मेनिया-अज़रबैजान के युद्ध में तुर्की ने किया आतंकियों का इस्तेमाल और आक्रामक भूमिका रशिया की नाराज़गी का कारण बना है।

लष्करी अड्डे

तुर्की की इन गतिविधियों पर प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया ने बीते सप्ताह में इदलिब में जोरदार हवाई हमला किया था। यह हमला तुर्की के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। तुर्की ने इस हमले पर रशिया को धमकाया है, फिर भी यह धमकी सच्चाई में उतारने की क्षमता तुर्की नहीं। फिलहाल तुर्की लीबिया के साथ ग्रीस और अज़रबैजान के मोर्चे पर फंसा है। तुर्की की अर्थव्यवस्था भी बड़ी मुश्‍किलों में फंसी है।

ऐसी स्थिति में पहले से झटके महसूस करनेवाले सीरिया में नया मोर्चा खोलने के बजाय तुर्की ने पीछे हटने का विकल्प चुना है, यही बात मोरेक और शिर मघार से पीछे हटने का निर्णय करने से दिख रहा है। सीरियन सेना ने इन अड्डों पर कब्जा किया है और तुर्की को अभी और भी कुछ अड्डे छोड़ने पड़ेंगे, यह संकेत भी सूत्रों ने दिए हैं। सीरिया से शुरू हुआ पीछे हटने का यह सिलसिला तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की महत्वाकांक्षा को लगा हुआ बड़ा झटका होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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