तैवान की खाड़ी में गश्‍त लगा रहीं अमरीका को चीन की नई धमकी

तैवान की खाड़ी में गश्‍त लगा रहीं अमरीका को चीन की नई धमकी

बीजिंग – नववर्ष की पूर्व संध्या पर अमरीका के दो युद्धपोतों ने तैवान की खाड़ी में गश्‍त लगाई। बीते वर्ष में अमरिकी युद्धपोतों ने इस समुद्री क्षेत्र में लगाई यह तेरहवीं गश्‍त थी। अमरिकी युद्धपोत की इस गश्‍त पर चीन ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। चीन की सेना अपने समुद्री क्षेत्र में निर्माण हो रहे खतरे और उकसानेवाली हरकतों को जबाव देने के लिए तैयार होने का इशारा चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है। चीन ने दो दिन पहले ही तिब्बत के मुद्दे पर भी अमरीका को धमकाया था।

जापान के योकोसूका बंदरगाह में तैनात अमरीकी नौसेना के ‘सेवन्थ फ्लीट’ के बेड़े में शामिल ‘यूएसएस जॉन एस. मैक्केन’ और ‘यूएसएस कर्टीस विल्बर’ इन दोनों युद्धपोतों ने गुरूवार की शाम तैवान की खाड़ी से सफर किया। मिसाइल विरोधी यंत्रणा से सज्जित इन दोनों विध्वंसकों ने एकसाथ वर्णित समुद्री क्षेत्र से सफर करने का यह बीते वर्ष का पहला अवसर था। ‘स्वतंत्र और मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अमरीका वचनबद्ध होने की बात दिखाने के लिए यह समुद्री गश्‍त अहम थी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में रहकर यह गश्‍त पूरी की गई’, ऐसा अमरिकी नौसेना ने स्पष्ट किया है

इसके बाद अमरिकी युद्धपोतों की गश्‍त पर चीन ने हमेशा की तरह क्रोध भी व्यक्त किया। ‘अमरिकी युद्धपोत इस क्षेत्र में ताकत का प्रदर्शन करके उकसाने की हरकतें कर रही हैं। अमरिकी युद्धपोतों की यह गश्‍त तैवान की आज़ादी की माँग करनेवाले गुटों को गलत संदेश पहुँचानेवाली है। साथ ही इसके कारण इस क्षेत्र की शांति के लिए खतरा निर्माण हो सकता है’, ऐसा आरोप चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेंबिन ने किया। इस समुद्री क्षेत्र की किसी भी उकसानेवाली हरकत और खतरे को प्रत्युत्तर देने के लिए चीन की सेना तैयार है, यह इशारा भी वेंबिन ने दिया।

तैवान अपना क्षेत्र होने का दावा चीन करता है। इस वजह से विश्‍व का कोई भी देश तैवान के साथ राजनीतिक, लष्करी या अन्य किसी भी तरह के सहयोग स्थापित ना करे, ऐसे इशारे चीन लगातार देता रहता है। लेकिन, अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने चीन के इन इशारों को नजरअंदाज करके तैवान के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाया है। साथ ही तैवान की समुद्री सीमा से अपने युद्धपोतों को रवाना करके अमरीका ने तैवान की सुरक्षा के लिए हम वचनबद्ध होने का संदेश चीन को दिया है। दो हफ्ते पहले ही अमरीका की ‘यूएसएस मस्टिन’ नामक युद्धपोत ने इस क्षेत्र से यात्रा की थी। इसके बाद चीन ने भी अपनी विमान वाहक युद्धपोत रवाना करके हम अमरीका की परवाह नहीं करते, यह दिखाने की कोशिश की थी।

बीते कुछ महीनों से व्यापार युद्ध, कोरोना वायरस, तैवान, हाँगकाँग, साउथ चायना सी समेत तिब्बत के मुद्दे पर अमरीका और चीन के बीच तनाव निर्माण हुआ है। इस हफ्ते में ही अमरीका ने तिब्बत और तैवान के मुद्दे पर पारित किए कानून पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने हाँगकाँग में १२ जनतंत्र समर्थकों को गिरफ्तार किया था। इस पर अमरीका ने तीव्र आलोचना की थी।

इसी बीच, अमरीका के भावी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के कार्यकाल में अमरीका-चीन संबंधों में सुधार होगा, यह उम्मीद चीन व्यक्त कर रहा है। तभी, अमरिकी माध्यम बायडेन की नीति चीन समर्थक रहेगी, ऐसी संभावना भी जता रहे हैं। लेकिन, ट्रम्प ने चीन के मुद्दे पर अपनाई नीति बायडेन अधिक आक्रामकता से आगे बढ़ाए, ऐसा सुझाव बायडेन के सलाहकार और ‘सीआयए’ के पूर्व प्रमुख स्टैन्ले मैक्‌क्रिस्टल ने दिया था।

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