ईरान कुछ ही हफ्तों में परमाणु बम का निर्माण कर सकता है – अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन

वॉशिंग्टन – ‘‘ईरान के साथ परमाणु समझौता पुनर्जीवित करने की चर्चा रुक गई है। ईरान परमाणु बम का निर्माण करने के ‘ब्रेकआऊट टाईम’ से चंद कुछ हफ़्ते दूर है। इस कारण, परमाणु समझौते में सहभागी होने के लिए ईरान इच्छुक है अथवा नहीं, यह स्पष्ट नहीं हुआ है। अमरीका इसका अनुमान लगा रही है। अमरीका हालाँकि सन २०१५ के परमाणु समझौते में सहभागी हुई भी, तो भी ईरान पर सैकड़ों प्रतिबंध कायम रहेंगे। क्योंकि परमाणु कार्यक्रम के अलावा अन्य कारणों के लिए भी अमरीका ईरान पर दबाव कायम रखने की कोशिश करेगी’’, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने जताया है।

अमरिकी सिनेट की ‘फॉरिन अफेअर्स कमिटी’ के समक्ष बात करते समय, विदेश मंत्री ब्लिंकन ने पिछले तीन महीनों से ईरान के साथ जारी बातचीत की जानकारी दी। वियना में जारी बातचीत के बाद अमरीका और ईरान के बीच समझौता होगा अथवा नहीं, यह बताना फिलहाल मुश्किल है, ऐसा ब्लिंकन ने कहा। साथ ही, ‘ ईरान की परमाणु गतिविधियाँ इन चर्चाओं में मुश्किलें पैदा कर रहीं हैं। इस कारण, क्या ईरान परमाणु समझौते का पालन करने के लिए तैयार है, यह अभी भी अस्पष्ट है’, ऐसा दावा अमरीका के विदेश मंत्री ने किया।

विदेश मंत्री ब्लिंकन ने इस समय, ईरान परमाणु बम निर्माण के ‘ब्रेकआऊट टाईम’ के पास पहुँच रहा होने की जानकारी सिनेट सदस्यों को दी। ब्रेकआऊट टाईम यानी ईरान को परमाणु बम के निर्माण के लिए लगनेवाला समय। पिछले कुछ सालों में अमरीका, इस्रायल की गुप्तचर यंत्रणाओं ने इस बारे में अलग-अलग दावे किए थे।

सन २०१५ में ईरान के साथ परमाणु समझौता करने से पहले अमरीका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने, ईरान साल भर में परमाणु बम का निर्माण करेगा, ऐसा कहा था। वहीं, हाल में इस्रायल की गुप्तचर यंत्रणाओं ने, ईरान साढ़ेतीन महीनों में परमाणु बम का निर्माण कर सकता है, ऐसी चेतावनी दी थी। अमरीका के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने चंद कुछ हफ्तों का उल्लेख किया।

उसीके साथ, ‘अमरीका के सहभाग के कारण हालाँकी सन २०१५ का परमाणु समझौता पुनर्जीवित हुआ भी, तो भी ईरान को प्रतिबंधों से छूट नहीं मिलेगी। यहाँ तक कि तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने लगाए प्रतिबंध भी कायम रहेंगे। परमाणु कार्यक्रम के अलावा क्षेपणास्त्रों का निर्माण, आतंकवादी गुटों को समर्थन, अस्थिरता मचानेवालीं गतिविधियाँ इनके लिए ईरान को प्रतिबंधों से छूट नहीं दी जा सकती’, ऐसा विदेश मंत्री ब्लिंकन ने स्पष्ट किया।

अमरीका सबसे पहले सन २०१५ के परमाणु समझौते में सहभागी हों और ट्रम्प प्रशासन ने लगाए प्रतिबंध हटाएँ, ऐसी माँग ईरान ने की थी। अपनी माँगें मान्य किए बगैर परमाणु समझौते में शामिल न होने की अड़ियल भूमिका ईरान ने अपनाई थी। साथ ही, राष्ट्राध्यक्ष हसन रोहानी की सरकार ईरान की सत्ता में रहने तक, बायडेन प्रशासन के साथ शुरू चर्चाओं को सफलता मिलेगी, ऐसा दावा रोहानी सरकार के प्रवक्ता अली राबेई ने किया है।

ईरान में चुनाव होनेवाले होकर, अगस्त महीने में ईरान में नई सरकार सत्ता में आयेगी। इस कारण, अगले दो महीनों में ये चर्चाएँ सफल साबित होंगी, ऐसा ईरान को लग रहा है। लेकिन बायडेन प्रशासन ने प्रयास करके अगर परमाणु समझौता पुनर्जीवित किया, तो भी ईरान पर लगाए प्रतिबंध हटाए नहीं जा सकते, ऐसी ब्लिंकन ने की घोषणा गौरतलब साबित होती है। इससे यही संकेत मिलने लगे हैं कि बायडेन प्रशासन की ईरानविषयक नीति बदल रही है। इसका बहुत बड़ा असर पर्शियन खाड़ी तथा खाड़ी क्षेत्र में हो सकता है।

English    मराठी

इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:

https://twitter.com/WW3Info
https://www.facebook.com/WW3Info