वॉशिंग्टन – अपनी लष्करी आक्रामकता से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव निर्माण कर रहे चीन ने परमाणु वाहक अंतरमहाद्विपीय मिसाइलों की तैनाती के लिए ११९ ‘सायलो’ बनाए होने की बात बीते हफ्ते सामने आयी। चीन की यह परमाणु गतिविधियाँ चिंताजनक हैं और इस वजह से कम्युनिस्ट पार्टी की मंशा को लेकर आशंका होने की फटकार अमरिकी विदेश मंत्रालय ने लगाई है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के मुखपत्र ने इस पर प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। ‘तैवान के मुद्दे पर लष्करी संघर्ष शुरू हुआ तो यही परमाणु अस्त्र अमरीका को रोकने का काम करेंगे। इस वजह से अमरीका चाहे कितने भी हाथ-पैर झटके तब भी चीन अपनी परमाणु अस्त्रों की तैनाती ना छोड़े’, यह इशारा चीन के सरकारी मुखपत्र ने दिया है।
चीन ने गान्सू प्रांत के युमेन इलाके में बीते हफ्ते अंतरमहाद्विपीय परमाणु वाहक मिसाइलों की तैनाती करने के लिए ११९ ‘सायलो’ स्थापित करने की जानकारी सामने आयी। अमरीका के ‘जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज्’ नामक अभ्यासगुट ने सैटेलाईट से प्राप्त किए हुए इसके फोटो जारी किए। इसमें अमरीका तक हमला करने की क्षमता रखनेवाले ‘डीएफ-४१’ मिसाइलों का भी समावेश होने का बयान इस अभ्यासगुट ने किया था। इन अंतरमहाद्विपीय मिसाइलों की तैनाती करके चीन अपने विरोधियों को धमका रहा है, ऐसी आलोचना अमरीका के शीर्ष अखबार ने की थी। इसके कुछ ही घंटों बाद चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के समारोह में बोलते समय अपने विरोधियों को धमकाया था।
चीन की इस तैनाती और धमकी पर अमरिकी विदेश मंत्रालय ने चिंता जताई है। ‘चीन की परमाणु वाहक अंतरमहाद्विपीय मिसाइलों की बढ़ाई हुई गतिविधियाँ काफी चिंताजनक हैं और इसकी वजह से चीन की मंशा पर शंका होने लगी है। यह परमाणु खतरा कम करने के लिए आवश्यक उपाय करने की अहमियत अधिक बढ़ी है’, ऐसा इशारा अमरिकी विदेश मंत्रालय ने दिया है। इसके साथ ही चीन की परमाणु मुस्तैदी के अनुमान से अधिक गति से और संख्या में यह बढ़ रही हैं, यह चिंता अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने जताई है।
‘सिप्री’ नामक अभ्यासगुट ने कुछ दिन पहले ही यह बयान किया था कि, चीन के बेड़े में ३५० परमाणु अस्त्र मौजूद थे। लेकिन, अपारदर्शिता के लिए कुख्यात चीन के पास इससे कई गुना अधिक मात्रा में परमाणु अस्त्र होने का दावा किया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता प्राईस ने रशिया की तरह चीन के परमाणु अस्त्रों की संख्या भी सीमित करने का मुद्दा उपस्थित किया है। इसी के साथ चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अपने विरोधियों को दी गई धमकी का अमरीका ने गंभीरता से संज्ञान लिया है, यह बात प्राईस ने कही।
अमरीका की इस भूमिका पर चीन के मुखपत्र ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। अमरीका और पश्चिमी देशों के गुट इस साल के शुरू से ही चीन के परमाणु अस्त्रों को लक्ष्य कर रहे हैं, यह आरोप चीन के मुखपत्र ने लगाया। चीन की परमाणु क्षमता प्रभावित करने के लिए अमरीका और मित्रदेशों की कोशिश जारी है। लेकिन, इन्हें इस कोशिश में सफलता हासिल नहीं होगी, यह दावा भी वर्णित मुखपत्र ने किया है। चीन को अपने नियंत्रण में रखना ही अमरीका की सामरिक महत्वाकांक्षा है, लेकिन चीन की परमाणु मुस्तैदी अमरीका की मर्यादा से बाध्यकारी नहीं है, ऐसी आलोचना इस मुखपत्र ने की है। साथ ही अमरीका और पश्चिमी देशों के दबाव के सामने झुककर चीन अपने परमाणु अस्त्रों की संख्या नियंत्रित नहीं करेगा, यह इशारा चीनी मुखपत्र ने दिया है।
इसके साथ ही ‘तैवान के मुद्दे पर संघर्ष शुरू हुआ तो यही परमाणु अस्त्र अमरीका को रोकेंगे। इस वजह से अमरीका चाहे कितने भी हाथ-पैर झटके तब भी चीन अपनी परमाणु मुस्तैदी ना छोड़े’, ऐसा सुझाव चीनी मुखपत्र ने कम्युनिस्ट हुकूमत को दिया है। इसके अलावा चीन के मुखपत्र ने यह भी कहा है कि, अमरीका के विरोध में चीन ‘सेकंड स्ट्राईक’ करने की क्षमता विकसित करे और परमाणु अस्त्रों का पर्याप्त भंड़ार रखे।
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