चीन से बढते हुए धोखे की पृष्ठभूमि पर जापान से संरक्षण नीति में बदलाव के संकेत

- दुष्मन के ठिकानों पर हमले करने की क्षमता पाएगा

टोकिओ/बीजिंग – चीन एवं उत्तर कोरिया के बढते धोखे की पृष्ठभूमि पर जापान ने अपने संरक्षण नीति में बडे बदलाव करने के संकेत दिए हैं। इसमें जापान के संरक्षण दलों को दुष्मन के ठिकानों पर हमले करने की क्षमता पाने का समावेश है। इसके अलावा, ’नैशनल डिफेन्स प्रोग्राम गाईडलाईन्स’ तथा मिडियम टर्म डिफेन्स प्रोग्राम’ में भी बदलाव किए जाएंगे। जापान सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरु की है और प्रधानमंत्री किशिदा ने इसकी पहल की है।

संरक्षण नीति

पिछले कुछ वर्षों में चीन तथा उत्तर कोरिया की आक्रामक गतिविधियां जारी है। चीन जापान के करीबी सागरी सीमा में निरंतर युद्धनौकाएं एवं गश्त नौकाएं भेज रहा है रुअ कुछ महीनों पूर्व एक पनडुब्बी को भी देखा गया था। चीन ने रशियन युद्धनौकाओं की सहायता से जापान के सागरी क्षेत्र के करीब गश्त मुहिम भी चलाई थी। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया द्वारा परमाणु क्षमता बढाने की गतिविधियां जारी हैं और पिछले कुछ महीनों में नए परीक्षण भी किए गए हैं।

इसकी वजह से जापान की सुरक्षा के लिए धोखा बढा है। चीन तथा उत्तर कोरिया के धोखे से मुकाबला करने के लिए जापान द्वारा निरंतर संरक्षण सामर्थ्य बढाया जा रहा है। इसके लिए हर वर्ष संरक्षण खर्च भी बढाया जाता है और पिछले वर्ष इसमें अतिरिक्त बढोतरी की गई है। यह निधि प्रगत मिसाईल प्रणाली, पनडुब्बी विरोधि रॉकेट्स एवं अन्य शास्त्रास्त्रों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं।

संरक्षण नीति

बढे हुए संरक्षण खर्च का समर्थन करते हुए जापान के प्रधानमंत्री दुष्मन के ठिकानों पर हमलों की क्षमता के बारे जिक्र किया था। ’जापान का संरक्षण सामर्थ्य बढाने के लिए हम सारे विकल्पों के बारे में सोचेंगे। इसमें दुष्मन के ठिकानों पर हमला करने के लिए उचित क्षमता हासिल करने का भी समावेश होगा’, ऐसा प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा था। इसके बाद अब जापान सरकार ने औपचारिक स्तर पर इसके लिए गतिविधियां शुरु की हैं और भूतपूर्व संरक्षणमंत्री समेत वरिष्ट अधिकारी एवं विशेषज्ञों की भी सलाह ली जा रही है। इसके लिए बुधवार को स्वतंत्र बैठक होने की जानकारी भी सूत्रों ने दी। इसी बैठक में संरक्षण नीति समेत ’नैश्नल डिफेन्स प्रोग्राम गाईडलाईन्स’ एवं मिडियम टर्म डिफेन्स प्रोग्राम’ में बदलाव के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

तो, तैवान की तरह ही जापान को भी चीन के ’ग्रे ज़ोन वॉरफेयर’ का मुकाबला करना पड रहा है ऐसी बात सामने आ रही है। अप्रैल से दिसंबर २०२१ तक के नौं महीनों के दौर में लगभग ७८५ विमानों ने जापान की हवाई सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश किए जाने की बात स्पष्ट हुई है। इनमें से ५७१ विमान चीन के थे तो अन्य रशिया के थे, ऐसी जानकारी जापान के संरक्षणदल ने दी।

चीनी विमानों की घुसपैठ की कोशिशें पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक संख्या होने की बात जापान ने कही। इस घुसपैठ की कोशिशों की वजह से जापान के हवाईदल पर भीषण तनाव पडने की खबर दी गई है। चीन के विमानों की सर्वाधिक घुसपैठ ओकिनावा आयलंड के हिस्से में हुई है। इस बेट पर अमेरिका के ३२ लश्करी अड्डे सक्रिय हैं।

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