किव – २१ दिनों के घनघोर युद्ध में यूक्रैन बुरा हाल होने के बाद इस देश के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की को अहसास हुआ है कि, यूक्रैन नाटो में शामिल नहीं हो सकता| नाटो की सदस्यता की सच्चाई सामने आ रही है और यूरोपिय महासंघ ने भी ऐलान किया है कि, यूक्रैन को सदस्य के रूप में स्वीकृत करने के लिए काफी समय लगेगा| इसकी वजह से यूक्रैन के राष्ट्राध्यक्ष ने पुख्ता किस कारण रशिया के इस युद्ध को आमंत्रित किया, यह सवाल खड़ा हो रहा है|
रशिया और यूक्रैन के युद्धविराम की फिर से चर्चा शुरू हो रही है| लेकिन, इस चर्चा की प्रक्रिया शुरू होने के दौरान भी रशिया ने यूक्रैन के शहरों पर जोरदार हमले जारी रखे हैं| यूक्रैन के शहरों की इमारतें रशिया के हमलों से धराशायी हो रही हैं और रिहायशी इलाकों में भी काफी बड़ा नुकसान हो रहा है| ऐसे में कुछ स्थानों पर यूक्रैन की सेना ने प्रतिकार करने की वजह से रशिया के टैंक और सैन्य वाहन नष्ट होने के वीडियोज् प्रसिद्ध किए जा रहे हैं, इसके बावजूद यूक्रैन की सेना का प्रतिकार संगठित ना होने के दावे सैन्य विश्लेषक कर रहे हैं| ऐसी स्थिति में भी यूक्रैन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की ने नाटो को इस संघर्ष में उतरने का आवाहन किया|
कम से कम अपनी सुरक्षा के लिए तो हमारी सहायता करें, क्योंकि यूक्रैन के बाद रशिया नाटो को ही लक्ष्य करेगी, ऐसे दावे ज़ेलेन्स्की ने किए| तथा हमारे देश को नाटो की सदस्यता मिलेगी, इसकी उम्मीद ज़ेलेन्स्की ने छोड़ने की बात उनके बयानों से स्पष्ट हो रही है|
यूक्रैन नाटो में शामिल होकर हमारी सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण नहीं बनेगा, इसकी गारंटी रशिया ने यूक्रैन एवं नाटो से मॉंगी थी| लेकिन, इससे यूक्रैन और नाटो ने भी इन्कार किया था| पर, आज यूक्रैन नाटो में शामिल नहीं होगा, यह स्वीकार कर रहे हैं| यह बात उन्होंने तीन हफ्ते पहले स्वीकारी होती तो संभवत: यूक्रैन पर रशिया का हमला टल सकता था|
२१ दिनों के इस संघर्ष में ६१९ नागरिक मारे गए और घायलों की संख्या १,१४३ तक जा पहुँची है| इसके अलावा, युद्ध की वजह से ३२ लाख से अधिक यूक्रैनी बेघर हुए हैं, यह जानकारी संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानव अधिकार संगठन ने साझा की| इसके अलावा यूक्रैन सरकार इस संघर्ष में इससे कई गुना अधिक जान का नुकसान होने का बयान कर रही है|
अमरीका और नाटो के आश्वासन पर निर्भर रहकर यूक्रैन ने रशिया के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाई थी| नाटो की सदस्यता यूक्रैन ने स्वीकारनी है या नहीं, इसका निर्णय यूक्रैन की जनता करेगी, ऐसी आदर्श भूमिका यूक्रैन, अमरीका और नाटो ने उस समय अपनाई थी| लेकिन, युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रैन अब भी नाटो का सदस्य नहीं बन पाया है, इसकी याद अमरीका ने करायी और रशिया के हमले के खिलाफ यूक्रैन के लिए इस युद्ध में उतरने के लिए हम तैयार ना होने का ऐलान अमरीका ने किया|
ऐन मौके पर अमरीका ने यह रवैया अपनाने की वजह से यूक्रैन ताकतवर रशिया के हमले के सामने अकेला पड़ गया| रशियन सेना के सामने यूक्रैन का प्रतिकार कम ही दिख रहा है| अगले दिनों में दोनों देशों की चर्चा शुरू होकर युद्धविराम होगा तभी यूक्रैन अपना नुकसान टाल पाएगा| वरना, रशिया पूरी तरह से यूक्रैन पर कब्ज़ा करने तक इस देश का सबकुछ खाक हो जाने की भयंकर संभावना सामने आ रही है|
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