रशिया-नाटो संघर्ष का रूपांतर परमाणु युद्ध में होगा – रशियन नेता दिमित्रि मेदवेदेव का इशारा

मॉस्को/ब्रुसेल्स – नाटो के सदस्य देशों से रशियन सीमा के करीब जारी गतिविधियों की वजह से नाटो एवं रशिया के बीच सीधा संघर्ष छिड सकता है। इस संघर्ष का रूपांतर आगे चलके परमाणु युद्ध में भी होने का खतरा है। ऐसा इशारा रशिया के ’सिक्युरिटी कौन्सिल’ के उपाध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव ने दिया है। युरोप के फिनलैंड एवं स्विडन को नाटो में प्रवेश करने के संकेत दिए गए थे तब मेदवेदेव द्वारा दिए गए परमाणुयुद्ध का इशारा ध्यान आकर्षित करता है। तो, रशियन प्रवक्ता दिमित्रि पेस्कोव ने आगाह किया है कि, फिनलैंड जैसे देश को नाटो में शामिल होने का निर्णय लेना रशियाविरोधि कदम होगा और इसका प्रत्युत्तर दिया जाएगा।

गुरुवार को फिनलैंड की सरकार ने एक निवेदन जारी करके घोषित किया था कि, हम जल्द ही नाटो की सदस्यता के लिए अर्जी दे रहे हैं। रशिया के युक्रेन हमलों के बाद फिनलैंड का नाटो संबंधी इरादा बदल गया और नाटो के सहयोग के बाद देश की सुरक्षा अधिक मजबूत होगी, ऐसा निवेदन में कहा गया। फिनलैंड के इस निर्णय का भी नाटो समेत अमेरिका एवं युरोपिय महासंघ ने भी स्वागत किया। फिनलैंड के निर्णय के बाद स्विडन ने कहा है कि, हम भी जल्द ही निर्णय घोषित करेंगे। पर रशिया से इस पर तीव्र प्रतिक्रिया उमडी है।

रशिया के ‘सिक्युरिटी कौन्सिल’ के उपाध्यक्ष मेदवेदेव ने सीधे परमाणु युद्ध का इशारा देकर नाटो को परिणामों का अहसास कराया है। ’नाटो सदस्यदेश युक्रेन को शस्त्रों की आपूर्ति कर रहे हैं। युक्रेन के जवानों को परदेस में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। परदेस से भाडोतत्री मारनेवाले युक्रेन में भेजे जा रहे हैं। रशिया की सीमा के पास नाटो एवं सहयोगी देशों के अभ्यास जारी हैं। इसके समेत नाटो द्वारा जारी गितिविधियां रशिया एवं नाटो में खुले संघर्ष की आग लग सकती है। रशिया एवं नाटो के बीच के संघर्ष का रूपांतर परमाणु युद्ध में होने का धोखा है’, ऐसा मेदवेदेव ने सुनाया।

मेदवेदेव के परमाणुयुद्ध के इशारे से पहले रशिया के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने फिनलैंड के निर्णय पर से आक्रामक प्रतिक्रिया दर्ज की थी। फिनलैंड को नाटो का सदस्य बनना रशिया की सुरक्षा के लिए खुला खतरा है और इसका योग्य प्रत्युत्तर दिया जाएगा। ऐसा पेस्कोव ने आगाह किया। नाटो के विस्तार की वजह से युरोप अधिक स्थिर एवं सुरक्षित होने की संभावना नहीं है, इसका अहसास भी रशियन प्रवक्ताओं ने कराया।

तो, फिनलैंड एवं स्विडन के संभाव्य नाटो प्रवेश से पहले नाटो के आघाडी सदस्य देश ब्रिटेन ने दोनों देशों पर विशेष सुरक्षा सहयोग करार पर हस्ताक्षर किए थे। फिनलैंड एवं स्विडन पर हमले हुए तो ब्रिटेन इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाएगा, ऐसा बंडोबस्त इन करारों में है। तथा ब्रिटेन इन दोनों देशों के साथ लश्करीए तथा गोपनीय महिती आदान-प्रदान बढाएगा और संयुक्त लश्करी अभ्यास भी अयोजित किए जाएंगे, ऐसा करार में कहा गया। पिछले सप्ताह ही स्विडन ने घोषित किया कि उसे अमेरिका से सुरक्षाविषयक हमी मिली।

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