‘रशिया ने पश्चिमी देशों के विरोध में संघर्ष करने के लिए उनकी सीमा पर टैंक नहीं भेजे हैं। लेकिन प्रत्युत्तर देने के लिए रशिया के हाथों में कई विकल्प है। हम सीर्फ बख्तरबंद वाहनों का इस्तेमाल करके रुकेंगे नहीं और यह अहसास हर कोई रखे। आधुनिक समय में रशिया विरोधी युद्ध पुरी तरह से अलग होगा’, ऐसे आक्रामक शब्दों से राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अमरीका समेत पश्चिमी देशों को धमकाया है। दूसरे विश्व युद्ध के प्रसिद्ध ‘बैटल ऑफ स्टैलिनग्राड’ के ८० वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर पर आयोजित समारोह में रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिने यह अहसास कराया कि, आगे के समय में रशिया-यूक्रेन संघर्ष अधिक प्रखर होगा।
नए साल में रशिया यूक्रेन विरोधी अभियान की तीव्रता अधिक बढ़ा रही हैं और ऐसे में पश्चिमी देशों ने यूक्रेन के लिए लगातार शस्त्र सहायता घोषित करना जारी रखा हैं। पिछले महीने अरबों डॉलर्स के शस्त्र सहायता का ऐलान करने के बाद अमरीका ने फिर एक बाद यूक्रेन को नई रक्षा यंत्रणा प्रदान करने के संकेत दिए हैं। इसमें ‘ग्राउंड लौन्चड् स्मॉल डाइमीटर बम’ (जीएलएसडीबी) मिसाइलों के साथ करीबन दो अरब डॉलर्स के सैन्य सामान का समावेश होगा, ऐसा अमरिकी सूत्र ने कहा। इन मिसाइलों की आपूर्ति को मंजूरी प्रदान करके अमरीका ने यूक्रेन को रशिया पर हमले करने के लिए एक तरह से मंजूरी ही दी है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।
दूसरी ओर जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों ने यूक्रेन को विभिन्न तरह के टैंक और तोप देने का ऐलान किया है। जर्मनी ‘लिओपार्ड १’ और ‘लिओपार्ड २’ जैसे टैंक यूक्रेन को प्रदान कर रहा हैं। फ्रान्स, पोलैण्ड, ब्रिटेन ने भी अपने टैंक यूक्रेन को देने का ऐलान किया हैं। ब्रिटेन ने टैंक के साथ ही लड़ाकू विमान देने के संकेत दिए हैं। अमरीका के बायडेन प्रशासन ने यूक्रेन को प्रगत ‘एमक्यू ९ रिपर ड्रोन्स’ देने की गतिविधियां शुरू की हैं।
पश्चिमी देशों की यह शस्त्र सहायता यानी नाटो ने रशिया विरोधी युद्ध में उतरने का किया ऐलान है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं। इस वजह से नाटो विरोधी इस संघर्ष के लिए रशिया अधिक आक्रामकता से उतरेगी, ऐसे संकेत प्राप्त होने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों में रशियन सेना का जमावड़ा एवं अन्य योजनाओं को लेकर माध्यमों में विभिन्न दावे प्रसिद्ध हुए थे। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के इशारे की वजह से इसकी पुष्टि होती दिख रही हैं।
पुतिन ने फिलहाल यूक्रेन में शुरू संघर्ष की तुलना दूसरे विश्व युद्ध में नाज़ी हुकूमत के खिलाफ किए संघर्ष से की है। यूक्रेन युद्ध यह दूसरे विश्व युद्ध के ‘बैटल ऑफ स्टैलिनग्राड’ की तरह ही होने के मुद्दे पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया। ‘बैटल ऑफ स्टैलिनग्राड’ में शुरू मे रशियन सेना को भारी नुकसान उठाकर वापस आना पड़ा था। लेकिन, इसके बाद रशिया ने नाज़ी सेना को जोरदार प्रत्युत्तर देकर पराजित किया था। पुतिन ने यह जिक्र करना ध्यान आकर्षित करता है।
इसी बीच, रशिया ने यूक्रेन संघर्ष में ‘मार्कर’ नामक रोबोटिक टैंक तैनात करने के संकेत दिए हैं। जर्मनी और अमरिकी टैंकों को रशिया रोबोटिक टैंकों से प्रत्युत्तर देगी, यह दावा रशियन सैन्य सूत्र ने किया।
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