ईरान के साथ होने वाले अणुकरार से पिछे हटकर डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीका एवं यूरोप के साथ संबंध तोड़ दिए

ईरान के साथ होने वाले अणुकरार से पिछे हटकर डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरीका एवं यूरोप के साथ संबंध तोड़ दिए

विख्यात निवेशक जॉर्ज सोरस की तीव्र प्रतिक्रिया

अणुकरारपेरिस – ‘अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अटलांटिक महासागर के उस पार वाले देशों के साथ होने वाले घनिष्ठ संबंध भी तोड़ दिए हैं। इसका विनाशकारी परिणाम यूरोपीय देशों को भुगतना पड़ा है, साथ ही इसके बाद यूरोपीय देश सहकार्य एवं सुरक्षा हेतु अमरीका के भरोसे पर नहीं रह सकते हैं। यूरोप फिलहाल अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए लड़ रहा है’, ऐसा दावा विख्यात निवेशक जॉर्ज सोरस ने किया। इसके साथ ही यूरोप की इन समस्याओं का समाधान उनके पास होने का दावा भी सोरस ने किया है।

यूरोप में आनेवाले निर्वासितों का समर्थन करनेवाले ये धनवान निवेशक जॉर्ज सोरस पिछले कई महीनों से इन विवादों के भँवर में फँसे हुए हैं। विशेषत: हंगेरी एवं अन्य कुछ यूरोपीय देशों में सोरस के खिलाफ़ वातावरण निर्माण हो चुका है। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प के नीति के खिलाफ बोलनेवाले आलोचक के रूप में भी इनकी पहचना बन चुकी है। ‘यूरोपीयन कौन्सिल ऑन फॉरिन रिलेशन्स’ इस विख्यात निरीक्षकसमूह के समक्ष बोलते समय जॉर्ज सोरस ने ड्रोनाल्ड ट्रम्प के नीति के प्रति जोरदार प्रतिक्रिया व्यक्त की।

ब्रिटन, फ्रान्स एवं जर्मनीने ईरान के साथ होनेवाले अणुकरार के हित में साथ देने के कारण ट्रम्पने एकतरफा निर्णय लेकर अमरीका को इस अणुकरार से बाहर निकाल लिया। इस निर्णय के कारण ट्रम्प ने अमरीका के साथ होनेवाले यूरोपीय देशों के घनिष्ठ संबंधों को भी तोड़ दिया है। साथ ही नाटों के सदस्य देशों ने अपनी सुरक्षितता के लिए और अधिक खर्च करना जरूरी है ऐसे कहकर ट्रम्प ने इस संबंध पर और भी एक आघात किया है। द्वितीय महायुद्ध के पश्चात्‌ शीतयुद्ध के दौरान भी अमरीकाने यूरोपीय देशों के सुरक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। परंतु अमरीका के इस नीति को बदलकर ट्रम्प ने आनेवाले समय में यूरोपीय देशों को उनकी सुरक्षा हेतु अमरीका के स्त्रोत एवं निधि की उपलब्धता पर निर्बंध लगा दिया जाएगा यह भी स्पष्ट किया।

यह काफी जबरदस्त झटका होने के साथ-साथ इसके आगे यूरोपीय देश अपनी सुरक्षा हेतु अमरीका पर भरोसा नहीं कर सकते हैं यह भी सोरस ने स्पष्ट किया। ऐसे में यूरोप अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए लड़ रहा है इस कठोर वास्तव को हमें मान्य करना चाहिए ऐसा दावा सोरस ने किया। निर्वासितों की समस्या, महासंघ से बाहर निकलने की कोशिश करनेवाले देशों की समस्यायें एवं आर्थिक प्रश्नों आदि के कारण यू्रोपीय महासंघ कमज़ोर पड़ चुका है इस ओर भी सोरस ने ध्यान केंद्रित किया। साथ ही हंगेरी, इटली एवं पौलैड ये देश यूरोपीय मंहासघ के भविष्य की ओर शंकायुक्त नज़रीये से देख रहे हैं, यह भी अपने-आप में एक काफ़ी महत्त्वपूर्ण समस्या साबित हो सकती है यह कहकर सोरस ने इस पर नाराज़गी व्यक्त की।

निर्वासिंतों की समस्या को हंगेरी के राष्ट्राध्यक्ष व्हिक्टर ऑर्बन जैसे नेताओं ने बढ़ा-चढ़ाकर बताया है। इसी कारण वातावरण काफ़ी बिगड़ चुका है और इस समस्या से बाहर आने के लिए यूरोपीय महासंघ को अब ठोस कदम उठाना ज़रूरी है। इसीलिए महासंघ को एकजूट होकर आर्थिक एवं सुरक्षाविषयक मिलनेवाले लाभ की ओर सदस्य देशों का ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो इस लाभ हेतु अन्य राजकीय मतभेदों को एक ओर रखकर सदस्य देश महासंघ में स्थिर रह सकते हैं, ऐसा विश्वास सोरस ने व्यक्त किया। इसी के साथ-साथ महासंघ को एक ही चलन का उपयोग करने वाले निर्बंध को हटा देना चाहिए ऐसी सलाह भी सोरस ने दी है।

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